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क्या बेबस हुआ ड्रैगन ? भारत से लगी सीमा पर 10 महीने में बदले चार कमांडर - पश्चिमी थिएटर कमांड

चीन ने पश्चिमी थिएटर (Western Theatre) के लिए एक नए कमांडर की घोषणा कर दी है. चीन के सर्व-शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग ने घोषणा की कि जनरल वांग हैजियांग (Wang Haijiang) को पश्चिमी थिएटर कमांडर के सर्वोच्च पद पर पदोन्नत किया गया है. दरअसल, पिछले 10 महीने में यह चौथा मौका है, जब चीन को अपने वेस्टर्न थिएटर कमांड को बदलना पड़ा है. आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण हैं. इस संबंध में पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददात संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट

भारत सीमा
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Published : Sep 15, 2021, 7:00 PM IST

Updated : Sep 15, 2021, 8:04 PM IST

नई दिल्ली : चीन ने हाल में सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड का नेतृत्व करने के लिए एक नए जनरल को पदोन्नत किया है. पिछले 10 महीने में यह चौथा मौका है, जब चीन को अपने वेस्टर्न थिएटर कमांड को बदलना पड़ा है. चीन के पश्चिमी थिएटर कमांड के कमांडरों का तबादला जल्दी- जल्दी कर रहा है, जो हैरान करने वाला है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि डब्ल्यूटी में जो कुछ भी हो रहा है वह बीजिंग की पसंद के अनुसार नहीं हो रहा है. इसलिए चीन पश्चिमी थिएटर कमांड के सर्वश्रेष्ठ कमांडर की खोज में लगा हुआ है, जो उसके अनुरूप कार्य कर सके.

चीन के सभी थिएटर कमांडो में वेस्टर्न थिएटर कमांड सामरिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण है. यह चीन का भौगोलिक रूप से पीएलए का अब तक का सबसे बड़ा थिएटर कमांड है और संभवत: सबसे अधिक परेशानी वाला है, क्योंकि यह थिएटर कमांड देश के उत्तर-पश्चिमी और पश्चिमी क्षेत्र (northwestern and western region) पर नजर रखता है, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और मध्य एशियाई देशों कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान राज्यों के साथ एक बहुत ही संवेदनशील सीमा साझा करता है.

चीन के सर्व-शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग ने घोषणा की कि जनरल वांग हैजियांग (Wang Haijiang) को पश्चिमी थिएटर कमांडर के सर्वोच्च पद पर पदोन्नत किया गया है. जनरल वांग तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट (टीएमडी) और शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट दोनों की कमान संभाल चुके हैं. वह इस पद के लिए सबसे योग्य माने जा रहे हैं. अब तक चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड के कमांडर की जिम्मेदारी जनरल शु क्यूलिंग संभाल रहे थे. जून 2021 में ही शु क्यूलिंग को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

जबकि जनरल वांग तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट (टीएमडी) और शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट दोनों की कमान संभालने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य हैं, उन्होंने जनरल जू किलिंग की जगह ली, जिन्हें जुलाई, 2021 में अभी दो महीने पहले लिया गया था.

यह भी पढ़ें- चीन ने भारत, अफगान, पाक सीमा के लिए नए जनरल की नियुक्ति की

जनरल वांग अभी 58 साल के हैं. ऐसी संभावना है कि वह चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड का नेतृत्व लंबे समय तक करेंगे, क्योंकि चीनी सेना में जनरल 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं. ऐसे में जनरल शु के पास अभी भी 6 साल की सर्विस बची हुई है.

जू किलिंग ने जनरल झांग ज़ुडोंग की जगह ली थी, जिन्हें 19 दिसंबर 2020 को नियुक्त किया गया था. जनरल झांग ज़ुडोंग ने जनरल झाओ ज़ोंगकी की जगह ली थी.

शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र (Xinjiang Uyghur Autonomous Region ) में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के शीर्ष नेता और सीसीपी के 19वें पोलित ब्यूरो के सदस्य चेन क्वांगुओ के करीबी माने जाने वाले जनरल वांग के उइगरों और तिब्बतियों के मुद्दे पर पार्टी के कट्टर रुख को अपनाने की उम्मीद है.

जनरल झाओ जोंगकी के कार्यकाल के दरम्यान ही भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद छिड़ गया. 15 जून 2019 को भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी. जिसमें भारत की 20 सैनिक शहीद हो गये थे, वहीं चीन के भी काफी सैनिक मारे गये थे.

इस बीच लद्दाख में जारी तनाव को कम करने के लिए भारत- चीन के बीच कमांडर स्तर की 12 दौर की वार्ता हो चुकी है.

इन परिवर्तनों पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुहर है, जो शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष भी हैं. जबकि यह निर्णय डब्ल्यूटी के बढ़ते महत्व को दर्शाते हैं, इन तीव्र परिवर्तनों में कई कारकों का योगदान हो सकता है.

पहला कारण
पूर्वी लद्दाख में अब तक भारत-चीन गतिरोध हल नहीं हुआ है. इसके विपरीत, एशिया की दो सबसे बड़ी सेनाएं सीमा पार एक-दूसरे का सामना कर रही हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार दोनों ओर से लगभग 1,00,000 सैनिकों के तैनात किये हैं.

दोनों की देश की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने हैं. हालांकि, दोनों की सेनाएं पीछे जरूर हटी हैं. यह इलाका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है. इस चीन इस कमांड पर कमांडरों को लगातार बदल रहा है. शी के 2013 में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनका पहला तिब्बत दौरा है. वह बतौर उपराष्ट्रपति 2011 में हिमालय क्षेत्र आए थे.

दूसरा कारण
दूसरा कारण यह है कि अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार बना ली है. जो ईशारा कर रहा है कि प्रेरित किया है पूर्वी तुर्किस्तान स्वतंत्रता आंदोलन (ईटीआईएम) के उइघुर-मुस्लिम विद्रोही चीन के उइघुर क्षेत्र में अपनी गतिविधि तेज कर सकते हैं. अफगानिस्तान -पाकिस्तान और मध्य एशिया के अन्य इस्लामी आतंकवादी समूहों भी गतिविधि बढ़ा सकते हैं. बताया जाता है कि लगभग दस लाख उइगर, कज़ाख, किर्गिज़ और मुस्लिम आस्था से जुड़े अन्य लोगों को चीन ने आतंकवाद और चरमपंथ का मुकाबला करने के आधार पर झिंजियांग में नजरबंदी शिविरों में मनमाने ढंग से रखा है.

तीसरा कारण
तीसरा प्रमुख कारण यह है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी), चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) क्षेत्र से होकर गुजरेगा, हालांकि परियोजना की शाखाओं को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने में ट्रैक्शन (तनाव) है. चीन के दृष्टिकोण से, इस तरह के प्रयास के रणनीतिक, आर्थिक और सैन्य प्रभाव होंगे, जो डब्ल्यूटी को पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण बनाता है.

चौथा कारण
चौथा कारण यह है कि बहुत से तिब्बती पीएलए में अच्छी संख्या में शामिल नहीं हो रहे हैं. जो राष्ट्रपति जिनपिंग के चिंता कारण बन गया है. चीन तिब्बत और झिंजियांग पर हाल ही में विशेष ध्यान दे रहा है जैसा कि इन दो क्षेत्रों पर बीजिंग के हालिया श्वेत पत्रों से स्पष्ट होता है, जिसमें इन दोनों क्षेत्रों में हुए विकास को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया था.

दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रपति शी ने 22 और 23 जुलाई को तिब्बत का अचानक दौरा किया. शी के 2013 में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनका पहला तिब्बत दौरा है. वह बतौर उपराष्ट्रपति 2011 में हिमालय क्षेत्र आए थे. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बती शहर निंगची का भी दौरा किया था. जिनपिंग ल्हासा में दलाई लामा के आधिकारिक निवास पोटाला पैलेस के पास दिखाई दिए थे.

पांचवां कारण
चीन के लिए पांचवां कारण 'मलक्का दुविधा' है. यह चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है और वह हमेशा इससे निकलने का प्रयास करता है. चीन ने समुद्र-भूमि-रेल लिंक का उपयोग करके हिंद महासागर के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग खोला है. यह एक ऐसा विकास है जो रणनीतिक प्रभावों से भरा हुआ है और भारत के लिए भी बहुत मायने रखता है.

छठा कारण
छठा कारण यह है कि जनरल राकेश शर्मा, जो लद्दाख में फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की कमान संभालत रहे हैं. चीन पर नजर रखने वाले हैं जानकार बतात हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं. जनरल वांग को संभवतः आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए 2021 की शुरुआत में शिनजियांग भेजा गया था. पहले वह तिब्बत सैन्य क्षेत्र में डिप्टी और कमांडर भी थे.

2015 और 2016 की शुरुआत में, पहले के सात सेना-आधारित सैन्य क्षेत्रों की जगह, चीन ने पांच थिएटर कमांड-पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी, उत्तरी और मध्य की स्थापना की थी. ये कमांड शक्तिशाली सीएमसी के तहत रखा और परिफरल खतरों की चीन की धारणा के आधार पर संगठित किया.

6 सितंबर को, जनरल के पद पर पदोन्नत अन्य अधिकारियों में सेंट्रल थिएटर कमांडर (Central Theater Commander) लिन जियांगयांग (Lin Xiangyang), नेवी कमांडर डोंग जून (Navy Commander Dong Jun), वायु सेना के कमांडर चांग डिंगक्यू (ir Force Commander Chang Dingqiu) और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष (National Defense University President) जू जुएकियांग (Xu Xueqiang) हैं.

ऐसा कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति शी पीएलए में शीर्ष पदों पर ऐसे लोंगो को नियुक्त कर रहे हैं, जिन पर वे भरोसा कर सकते हैं. इस संबंध में जनरल शर्मा कहते हैं कि जनरल वांग के कम्युनिस्ट पार्टी के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं.

नई दिल्ली : चीन ने हाल में सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड का नेतृत्व करने के लिए एक नए जनरल को पदोन्नत किया है. पिछले 10 महीने में यह चौथा मौका है, जब चीन को अपने वेस्टर्न थिएटर कमांड को बदलना पड़ा है. चीन के पश्चिमी थिएटर कमांड के कमांडरों का तबादला जल्दी- जल्दी कर रहा है, जो हैरान करने वाला है. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि डब्ल्यूटी में जो कुछ भी हो रहा है वह बीजिंग की पसंद के अनुसार नहीं हो रहा है. इसलिए चीन पश्चिमी थिएटर कमांड के सर्वश्रेष्ठ कमांडर की खोज में लगा हुआ है, जो उसके अनुरूप कार्य कर सके.

चीन के सभी थिएटर कमांडो में वेस्टर्न थिएटर कमांड सामरिक दृष्टिकोण से सबसे महत्वपूर्ण है. यह चीन का भौगोलिक रूप से पीएलए का अब तक का सबसे बड़ा थिएटर कमांड है और संभवत: सबसे अधिक परेशानी वाला है, क्योंकि यह थिएटर कमांड देश के उत्तर-पश्चिमी और पश्चिमी क्षेत्र (northwestern and western region) पर नजर रखता है, जो अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और मध्य एशियाई देशों कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान राज्यों के साथ एक बहुत ही संवेदनशील सीमा साझा करता है.

चीन के सर्व-शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग ने घोषणा की कि जनरल वांग हैजियांग (Wang Haijiang) को पश्चिमी थिएटर कमांडर के सर्वोच्च पद पर पदोन्नत किया गया है. जनरल वांग तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट (टीएमडी) और शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट दोनों की कमान संभाल चुके हैं. वह इस पद के लिए सबसे योग्य माने जा रहे हैं. अब तक चीनी सेना के वेस्टर्न थिएटर कमांड के कमांडर की जिम्मेदारी जनरल शु क्यूलिंग संभाल रहे थे. जून 2021 में ही शु क्यूलिंग को इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

जबकि जनरल वांग तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट (टीएमडी) और शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट दोनों की कमान संभालने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य हैं, उन्होंने जनरल जू किलिंग की जगह ली, जिन्हें जुलाई, 2021 में अभी दो महीने पहले लिया गया था.

यह भी पढ़ें- चीन ने भारत, अफगान, पाक सीमा के लिए नए जनरल की नियुक्ति की

जनरल वांग अभी 58 साल के हैं. ऐसी संभावना है कि वह चीनी सेना के पश्चिमी थिएटर कमांड का नेतृत्व लंबे समय तक करेंगे, क्योंकि चीनी सेना में जनरल 65 साल की उम्र में रिटायर होते हैं. ऐसे में जनरल शु के पास अभी भी 6 साल की सर्विस बची हुई है.

जू किलिंग ने जनरल झांग ज़ुडोंग की जगह ली थी, जिन्हें 19 दिसंबर 2020 को नियुक्त किया गया था. जनरल झांग ज़ुडोंग ने जनरल झाओ ज़ोंगकी की जगह ली थी.

शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र (Xinjiang Uyghur Autonomous Region ) में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) के शीर्ष नेता और सीसीपी के 19वें पोलित ब्यूरो के सदस्य चेन क्वांगुओ के करीबी माने जाने वाले जनरल वांग के उइगरों और तिब्बतियों के मुद्दे पर पार्टी के कट्टर रुख को अपनाने की उम्मीद है.

जनरल झाओ जोंगकी के कार्यकाल के दरम्यान ही भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद छिड़ गया. 15 जून 2019 को भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी. जिसमें भारत की 20 सैनिक शहीद हो गये थे, वहीं चीन के भी काफी सैनिक मारे गये थे.

इस बीच लद्दाख में जारी तनाव को कम करने के लिए भारत- चीन के बीच कमांडर स्तर की 12 दौर की वार्ता हो चुकी है.

इन परिवर्तनों पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुहर है, जो शक्तिशाली केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष भी हैं. जबकि यह निर्णय डब्ल्यूटी के बढ़ते महत्व को दर्शाते हैं, इन तीव्र परिवर्तनों में कई कारकों का योगदान हो सकता है.

पहला कारण
पूर्वी लद्दाख में अब तक भारत-चीन गतिरोध हल नहीं हुआ है. इसके विपरीत, एशिया की दो सबसे बड़ी सेनाएं सीमा पार एक-दूसरे का सामना कर रही हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार दोनों ओर से लगभग 1,00,000 सैनिकों के तैनात किये हैं.

दोनों की देश की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में आमने-सामने हैं. हालांकि, दोनों की सेनाएं पीछे जरूर हटी हैं. यह इलाका सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है. इस चीन इस कमांड पर कमांडरों को लगातार बदल रहा है. शी के 2013 में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनका पहला तिब्बत दौरा है. वह बतौर उपराष्ट्रपति 2011 में हिमालय क्षेत्र आए थे.

दूसरा कारण
दूसरा कारण यह है कि अफगानिस्तान में तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार बना ली है. जो ईशारा कर रहा है कि प्रेरित किया है पूर्वी तुर्किस्तान स्वतंत्रता आंदोलन (ईटीआईएम) के उइघुर-मुस्लिम विद्रोही चीन के उइघुर क्षेत्र में अपनी गतिविधि तेज कर सकते हैं. अफगानिस्तान -पाकिस्तान और मध्य एशिया के अन्य इस्लामी आतंकवादी समूहों भी गतिविधि बढ़ा सकते हैं. बताया जाता है कि लगभग दस लाख उइगर, कज़ाख, किर्गिज़ और मुस्लिम आस्था से जुड़े अन्य लोगों को चीन ने आतंकवाद और चरमपंथ का मुकाबला करने के आधार पर झिंजियांग में नजरबंदी शिविरों में मनमाने ढंग से रखा है.

तीसरा कारण
तीसरा प्रमुख कारण यह है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी), चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) क्षेत्र से होकर गुजरेगा, हालांकि परियोजना की शाखाओं को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने में ट्रैक्शन (तनाव) है. चीन के दृष्टिकोण से, इस तरह के प्रयास के रणनीतिक, आर्थिक और सैन्य प्रभाव होंगे, जो डब्ल्यूटी को पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण बनाता है.

चौथा कारण
चौथा कारण यह है कि बहुत से तिब्बती पीएलए में अच्छी संख्या में शामिल नहीं हो रहे हैं. जो राष्ट्रपति जिनपिंग के चिंता कारण बन गया है. चीन तिब्बत और झिंजियांग पर हाल ही में विशेष ध्यान दे रहा है जैसा कि इन दो क्षेत्रों पर बीजिंग के हालिया श्वेत पत्रों से स्पष्ट होता है, जिसमें इन दोनों क्षेत्रों में हुए विकास को प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया था.

दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रपति शी ने 22 और 23 जुलाई को तिब्बत का अचानक दौरा किया. शी के 2013 में राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह उनका पहला तिब्बत दौरा है. वह बतौर उपराष्ट्रपति 2011 में हिमालय क्षेत्र आए थे. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे तिब्बती शहर निंगची का भी दौरा किया था. जिनपिंग ल्हासा में दलाई लामा के आधिकारिक निवास पोटाला पैलेस के पास दिखाई दिए थे.

पांचवां कारण
चीन के लिए पांचवां कारण 'मलक्का दुविधा' है. यह चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है और वह हमेशा इससे निकलने का प्रयास करता है. चीन ने समुद्र-भूमि-रेल लिंक का उपयोग करके हिंद महासागर के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग खोला है. यह एक ऐसा विकास है जो रणनीतिक प्रभावों से भरा हुआ है और भारत के लिए भी बहुत मायने रखता है.

छठा कारण
छठा कारण यह है कि जनरल राकेश शर्मा, जो लद्दाख में फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की कमान संभालत रहे हैं. चीन पर नजर रखने वाले हैं जानकार बतात हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी अपनी स्थिति को मजबूत कर रहे हैं. जनरल वांग को संभवतः आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए 2021 की शुरुआत में शिनजियांग भेजा गया था. पहले वह तिब्बत सैन्य क्षेत्र में डिप्टी और कमांडर भी थे.

2015 और 2016 की शुरुआत में, पहले के सात सेना-आधारित सैन्य क्षेत्रों की जगह, चीन ने पांच थिएटर कमांड-पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी, उत्तरी और मध्य की स्थापना की थी. ये कमांड शक्तिशाली सीएमसी के तहत रखा और परिफरल खतरों की चीन की धारणा के आधार पर संगठित किया.

6 सितंबर को, जनरल के पद पर पदोन्नत अन्य अधिकारियों में सेंट्रल थिएटर कमांडर (Central Theater Commander) लिन जियांगयांग (Lin Xiangyang), नेवी कमांडर डोंग जून (Navy Commander Dong Jun), वायु सेना के कमांडर चांग डिंगक्यू (ir Force Commander Chang Dingqiu) और राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष (National Defense University President) जू जुएकियांग (Xu Xueqiang) हैं.

ऐसा कहा जा रहा है कि राष्ट्रपति शी पीएलए में शीर्ष पदों पर ऐसे लोंगो को नियुक्त कर रहे हैं, जिन पर वे भरोसा कर सकते हैं. इस संबंध में जनरल शर्मा कहते हैं कि जनरल वांग के कम्युनिस्ट पार्टी के साथ घनिष्ठ संबंध रहे हैं.

Last Updated : Sep 15, 2021, 8:04 PM IST
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