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महाराष्ट्र : कोरोना के डर से कोई नहीं आया आगे, मुस्लिम पड़ोसियों ने किया अंतिम संस्कार

हमारा देश यूं ही आपसी भाईचारे के लिए नहीं जाना जाता. औरंगाबाद में जब एक 15 वर्षीय हिंदु लड़के के अंतिम संस्कार के लिए कोई आगे नहीं आया तो मुस्लिम पड़ोसियों ने हाथ बढ़ाकर मदद की और उसका अंतिम संस्कार किया.

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Published : Apr 23, 2021, 7:14 AM IST

Updated : Apr 23, 2021, 11:43 AM IST

muslims performed last rites of a hindu
muslims performed last rites of a hindu

औरंगाबाद : कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण चारो तरफ अव्यवस्था फैली हुई है, जिसकी वजह से हम असहाय महसूस कर रहे हैं. ऐसे में हमारे आस-पास कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जो हमें लड़ाई जारी रखने को प्रेरित करती हैं. ताजा मामला महाराष्ट्र के औरंगाबाद का है, जहां मुस्लिमों ने हिंदु मान्यताओं का पालन करते हुए एक गैर मुस्लिम दोस्त के बेटे का अंतिम संस्कार किया.

मुस्लिम पड़ोसियों ने किया अंतिम संस्कार

मृतक का नाम सुबोध बताया जा रहा है, जो बीते कई दिनों से बीमार था. सुबोध दिव्यांग था. उसके माता-पिता ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुए. 20 अप्रैल को सुबोध की मृत्यु हो गई.

कोरोना काल में लोगों के मन में डर था की सुबोध की मृत्यु कोरोना से हुई थी. इसलिए कोई आगे नहीं आया. इस बात की जानकारी जब पड़ोसियों को मिली तो वह आगे आए और सुबोध का अंतिम संस्कार किया. यह घटना प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति में एक दूसरे के दुख में साथ खड़े रहना अनोखी बात नहीं है.

पढ़ें-महाराष्ट्र: कोरोना संकट के बीच दर्दनाक हादसा, हॉस्पिटल के ICU वॉर्ड में लगी आग, 13 मरीजों की मौत

औरंगाबाद : कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण चारो तरफ अव्यवस्था फैली हुई है, जिसकी वजह से हम असहाय महसूस कर रहे हैं. ऐसे में हमारे आस-पास कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती हैं जो हमें लड़ाई जारी रखने को प्रेरित करती हैं. ताजा मामला महाराष्ट्र के औरंगाबाद का है, जहां मुस्लिमों ने हिंदु मान्यताओं का पालन करते हुए एक गैर मुस्लिम दोस्त के बेटे का अंतिम संस्कार किया.

मुस्लिम पड़ोसियों ने किया अंतिम संस्कार

मृतक का नाम सुबोध बताया जा रहा है, जो बीते कई दिनों से बीमार था. सुबोध दिव्यांग था. उसके माता-पिता ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुए. 20 अप्रैल को सुबोध की मृत्यु हो गई.

कोरोना काल में लोगों के मन में डर था की सुबोध की मृत्यु कोरोना से हुई थी. इसलिए कोई आगे नहीं आया. इस बात की जानकारी जब पड़ोसियों को मिली तो वह आगे आए और सुबोध का अंतिम संस्कार किया. यह घटना प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति में एक दूसरे के दुख में साथ खड़े रहना अनोखी बात नहीं है.

पढ़ें-महाराष्ट्र: कोरोना संकट के बीच दर्दनाक हादसा, हॉस्पिटल के ICU वॉर्ड में लगी आग, 13 मरीजों की मौत

Last Updated : Apr 23, 2021, 11:43 AM IST
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