शामली : उत्तर प्रदेश के शामली जिले में मुस्लिम बंजारा समाज के तीन परिवारों के 18 लोगों द्वारा किया जाने वाला धर्म परिवर्तन इन दिनों देशभर में चर्चाओं का विषय बना हुआ है, लेकिन धर्म परिवर्तन का कारण कुछ और नहीं बल्कि समाज की वर्षों से चली आ रही परंपरा है. जिसका अब तक कोई समाधान नहीं हो पाया है.
दरअसल, करीब दो सप्ताह पूर्व कस्बा कांधला के मोहल्ला रायजादगान निवासी राशिद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचा था. यहां पर उसने परिवार के साथ डीएम से मुलाकात कर अपना नाम राशिद उर्फ विकास बताते हुए परिवार समेत इस्लाम धर्म से सनातन हिंदू धर्म में वापसी की बात कही थी. उस दौरान अधिकारियों ने यह मामला व्यक्तिगत होने की जानकारी दी थी, लेकिन इसके बाद नौ अगस्त को राशिद और उसके दो भाइयों के परिवार के 18 लोगों ने कांधला के सूरज कुण्ड मंदिर में पहुंचकर विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हुए सनातन धर्म में वापसी की घोषणा कर दी.
फिलहाल, इस मामले की पड़ताल करने से पता चला है कि कांधला के करीब 15-20 बंजारा हिंदू परिवारों द्वारा अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को बचाने के लिए करीब 15 साल पहले मुस्लिम धर्म अपनाया था, लेकिन धर्म परिवर्तन के बावजूद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया. इसके चलते अब फिर से समाज के तीन परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी के जरिए अपनी परंपरा को बचाने के लिए यह कदम उठाया है.
धर्म परिवर्तन के लिए क्यों हुए मजबूर?
मुस्लिम धर्म को छोड़कर हिंदू बनने वाले 18 लोग बंजारा समाज से ताल्लुक रखते हैं. दरअसल, बंजारा समाज में शव को दफनाने (समाधि) की परंपरा है, लेकिन इस समाज के लोगों की यही परंपरा उनकी परेशानी का सबब बनी हुई है. क्योंकि हिंदू समाज में शव को जलाने का प्रावधान है. ऐसे में हिंदू समाज के बंजारा लोगों को अपने परिजनों के शवों को दफनाने के लिए आसानी से जमीन नहीं मिल पाती थी. यह भी देखने में आता है कि जब बंजारा समाज में किसी की मौत हो जाती है, तो परिवार के लोगों को पहले शव दफनाने की जमीन लेने के लिए धरना प्रदर्शन तक करने पड़ते हैं. क्योंकि मुस्लिम समाज के लोग उन्हें अपने कब्रिस्तानों में शव को दफनाने नहीं देते.
15 साल पहले बने थे हिंदू से मुस्लिम
जानकारों के मुताबिक, इसी परेशानी की वजह से करीब 15 साल पहले कांधला में हिंदू बंजारा समाज के करीब 15-20 परिवारों मुस्लिम धर्म अपना लिया था. उस दौरान धर्म परिवर्तन करवाने वाले लोगों ने उन्हें शवों को दफनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराने का वादा किया था. लेकिन यह वादा कभी पूरा नहीं हो पाया, जिसके चलते बंजारा समाज के लोगों को हर बार अपने स्वजन का शव दफनाने के लिए पहले धरना प्रदर्शन करना पड़ता है. इसके बाद अधिकारी उनकी समस्या को समझते हुए शव को दफनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराते थे. समस्या जस की तस रहने के कारण अब फिर से बंजारा समाज के तीन परिवारों के 18 लोगों ने हिंदू धर्म में वापसी करते हुए एक बार फिर अपनी परेशानी पर सरकार का ध्यान केंद्रित किया है. इस बार भी कुछ लोगों ने इनकी परेशानी को समझते हुए अंतिम संस्कार के लिए सरकार से जमीन उपलब्ध कराने में मदद करने का आश्वासन दिया है.
क्या कहते हैं लोग?
धर्म परिवर्तन करने वाली महिला मंजो ने बताया कि उसने स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया है. उन पर धर्म परिवर्तन के लिए किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया गया था. वहीं कांधला कस्बे के रहने वाले कंवरपाल ने बताया कि जिन लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की है, वे 15 साल पहले हिंदू ही थे. इनके समाज में शुरू से ही शव को दफनाने का प्रचलन है. इसी के चलते इन्होंने कब्रिस्तान के लिए जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन देने पर मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया था, लेकिन उन्हें जमीन नहीं दी गई. इसके बाद अब फिर से इन्होंने स्वेच्छा से हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है.
बीजेपी नेता विवेक प्रेमी ने बताया कि 14-15 साल पहले कांधला कस्बे में बहुत बड़ी संख्या में हिंदू समाज के लोगों ने धर्मांतरित होकर इस्लाम को अपना लिया था. इसी कड़ी में पिछले दिनों एक ही परिवार के 6 सदस्यों ने अपना शुद्धिकरण करवाकर हिंदू धर्म में वापसी की थी. इसी शृंखला में कांधला के सिद्धपीठ सूरजकुण्ड मंदिर में करीब 18-19 लोगों ने अपना शुद्धिकरण कराकर हिंदू धर्म में वापसी की है.
डीएम शामली जसजीत कौर ने बताया कि उनके पास कुछ लोग नाम परिवर्तन के लिए आए थे. वे मुस्लिम से हिंदू नाम बदलना चाहते थे. इसके बाद कांधला कस्बे के मंदिर में कुछ लोगों द्वारा धर्मांतरण की जानकारी मिली थी, लेकिन अभी धर्मांतरण से जुड़ी कोई कानूनी औपचारिकताएं नहीं हुई हैं.
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