मुंबई : अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा गया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ 166 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. शीर्ष अदालत ने पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के तत्काल निस्तारण की मांग रखी थी.
शीर्ष अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों को ऐसे सभी मामलों की जानकारी देने का निर्देश दिया था. महाराष्ट्र में 1 हजार 581 जनप्रतिनिधियों पर भ्रष्टाचार, अपराध और गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
इनमें से 166 मामले विधायकों और सांसदों के खिलाफ हैं. लंबित 137 मामलों में से 65 विभिन्न जिलों के सत्र न्यायालयों में और 227 मामले मजिस्ट्रेट अदालतों में लंबित हैं. उच्च न्यायालय में 45 मामले लंबित हैं, जिनमें से 26 मुंबई में हैं और बाकी नागपुर और औरंगाबाद पीठ के समक्ष हैं. हाईकोर्ट ने 13 मामलों को स्थगित कर दिया है.
इस मामले के लिए कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर की कमेटी बनाई गई है. उनकी शर्तें हैं कि समिति वित्तीय हानि, जीवन की हानि के मुद्दे पर निर्णय लेती है. फिर एक वकील द्वारा अदालत में अनुरोध किया जाता है.
अदालत की मंजूरी के बाद मामले वापस ले लिए जाते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सिर्फ विधायकों और सांसदों पर दिया है. बाकी राजनीतिक नेताओं के लिए नहीं.
गृह विभाग के अपर सचिव प्रकाश देशमुख ने बताया कि राज्य सरकार ने नानार कांड, आरे कार शेड, भीमा-कोरेगांव दंगे, मराठा आरक्षण, राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में अपराध और आंदोलन से जुड़े मामलों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
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सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को उच्च न्यायालय की अनुमति के बिना वापस नहीं लिया जा सकता है. इस बीच इन मामलों की निगरानी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा शीघ्र निपटान के लिए की जाएगी. यह भी स्पष्ट किया गया कि इसके लिए एक विशेष पीठ का गठन किया जाएगा.