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मुंबई 26/11 आतंकी हमले को पूरे हुए 15 साल, रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने सुनाई उस रात की कहानी

26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले को आज 15 साल पूरे हो गए हैं. सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हेमंत बावधनकर ने इस हमले में आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने के अपने अनुभवों को बताया. Mumbai 26-11 terrorist attack,

Mumbai attacks complete 15 years
मुंबई हमले को 15 साल पूरे
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2023, 3:31 PM IST

मुंबई: 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को 15 साल हो गए हैं. इस हमले के दौरान पुलिस एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ने में कामयाब रही थी. उस हमले में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हेमंत बावधनकर ने अहम भूमिका निभाई थी.

166 नागरिकों की हुई मौत: 26 नवंबर 2008 को 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुस आए और उन्होंने कई इलाकोंम में अंधाधुंध गोलीबारी की. पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 166 निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा गार्डों को मार डाला. 15 साल बाद भी हमले की भयावह यादें और जलते हुए घाव आज भी ताजा हैं. इस हमले में जीवित बचे एकमात्र आतंकी अजमल आमिर कसाब को पकड़ने के दौरान पुलिस कांस्टेबल तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे.

हालांकि, गिरगांव चौपाटी पर शहिद ओंबले के साथ संजय गोविलकर, भास्कर कदम, हेमंत बावधनकर समेत 16 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम योगदान दिया है. कसाब को जिंदा पकड़ने के अनुभव के बारे में बात करते हुए सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हेमंत बावधनकर ने कहा कि जब हमला हुआ तो शहीद ओंबले गिरगांव चौपाटी पर ड्यूटी पर थे.

बावधनकर ने कहा कि इसी समय कुछ और साथी चौराहे पर पहुंच गए, नाकाबंदी के दौरान कसाब और उसका साथी अबू इस्माइल स्कोडा कार में फायरिंग करते हुए आ रहे थे. जब कसाब और उसके साथी ने दूसरी जगह हमला किया और चौपाटी पर पहुंच गए. तभी ओंबले ने कसाब को रोकने और उसे पकड़ने की कोशिश की. हालांकि, कसाब के साथी ने ओंबले को गोली मार दी. आतंकी विधान भवन से बंदूक की नोक पर लूटी गई स्कोडा कार लेकर मालाबार हिल की ओर निकले थे.

बावधनकर ने आगे कहा कि रात 12:30 बजे इस कार को गिरगांव चौपाटी पर रोका गया. फिर हमने कार के बाहर हेडलाइट बंद करने और अंदर की लाइट चालू करने का निर्देश दिया. लेकिन आंखों में कार की लाइट की रोशनी पड़ने से पुलिस कार का नंबर नहीं देख पाई. पुलिस को कार के पास आता देख इस्माइल ने उसे वापस मोड़ने की कोशिश की. लेकिन तभी कार डिवाइडर से टकरा गई और कार का पहिया जाम हो गया.

उन्होंने कहा कि गुस्से में आकर इस्माइल ने पुलिस पर गोली चला दी. पुलिस की जवाबी फायरिंग में इस्माइल मारा गया. हेमंत बावधनकर ने कहा कि इस मामले की जानकारी बाहर की पुलिस को नहीं थी. आगे बोलते हुए बावधनकर ने कहा कि अबू इस्माइल ने हमारी तरफ गोली चलाई. तभी हमारे सहयोगी भास्कर कदम ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से आतंकी पर जवाबी फायरिंग की और अबू इस्माइल को घायल कर दिया.

उन्होंने कहा कि कसाब कार के बाईं ओर बैठा था. कसाब ने दरवाज़ा खोला और बाहर आ गया. उस वक्त हमारे साथी संजय गोविलकर, तुकाराम ओंबले उसे घेरने वाले थे. तभी कसाब ने एके 47 से फायरिंग कर दी. इस्माइल की फायरिंग में तुकाराम ओंबले गंभीर रूप से घायल हो गए. ओंबले ने अपने सीने पर गोलियां खाकर हमारी जान बचाई. इस हमले में कई शहीद हुए. तुकाराम ओंबले की बदौलत हममें से बाकी 15 लोग बच गए, नहीं तो तस्वीर कुछ और होती.

मुंबई: 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले को 15 साल हो गए हैं. इस हमले के दौरान पुलिस एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ने में कामयाब रही थी. उस हमले में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हेमंत बावधनकर ने अहम भूमिका निभाई थी.

166 नागरिकों की हुई मौत: 26 नवंबर 2008 को 10 आतंकवादी समुद्र के रास्ते मुंबई में घुस आए और उन्होंने कई इलाकोंम में अंधाधुंध गोलीबारी की. पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 166 निर्दोष नागरिकों और सुरक्षा गार्डों को मार डाला. 15 साल बाद भी हमले की भयावह यादें और जलते हुए घाव आज भी ताजा हैं. इस हमले में जीवित बचे एकमात्र आतंकी अजमल आमिर कसाब को पकड़ने के दौरान पुलिस कांस्टेबल तुकाराम ओंबले शहीद हो गए थे.

हालांकि, गिरगांव चौपाटी पर शहिद ओंबले के साथ संजय गोविलकर, भास्कर कदम, हेमंत बावधनकर समेत 16 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम योगदान दिया है. कसाब को जिंदा पकड़ने के अनुभव के बारे में बात करते हुए सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हेमंत बावधनकर ने कहा कि जब हमला हुआ तो शहीद ओंबले गिरगांव चौपाटी पर ड्यूटी पर थे.

बावधनकर ने कहा कि इसी समय कुछ और साथी चौराहे पर पहुंच गए, नाकाबंदी के दौरान कसाब और उसका साथी अबू इस्माइल स्कोडा कार में फायरिंग करते हुए आ रहे थे. जब कसाब और उसके साथी ने दूसरी जगह हमला किया और चौपाटी पर पहुंच गए. तभी ओंबले ने कसाब को रोकने और उसे पकड़ने की कोशिश की. हालांकि, कसाब के साथी ने ओंबले को गोली मार दी. आतंकी विधान भवन से बंदूक की नोक पर लूटी गई स्कोडा कार लेकर मालाबार हिल की ओर निकले थे.

बावधनकर ने आगे कहा कि रात 12:30 बजे इस कार को गिरगांव चौपाटी पर रोका गया. फिर हमने कार के बाहर हेडलाइट बंद करने और अंदर की लाइट चालू करने का निर्देश दिया. लेकिन आंखों में कार की लाइट की रोशनी पड़ने से पुलिस कार का नंबर नहीं देख पाई. पुलिस को कार के पास आता देख इस्माइल ने उसे वापस मोड़ने की कोशिश की. लेकिन तभी कार डिवाइडर से टकरा गई और कार का पहिया जाम हो गया.

उन्होंने कहा कि गुस्से में आकर इस्माइल ने पुलिस पर गोली चला दी. पुलिस की जवाबी फायरिंग में इस्माइल मारा गया. हेमंत बावधनकर ने कहा कि इस मामले की जानकारी बाहर की पुलिस को नहीं थी. आगे बोलते हुए बावधनकर ने कहा कि अबू इस्माइल ने हमारी तरफ गोली चलाई. तभी हमारे सहयोगी भास्कर कदम ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से आतंकी पर जवाबी फायरिंग की और अबू इस्माइल को घायल कर दिया.

उन्होंने कहा कि कसाब कार के बाईं ओर बैठा था. कसाब ने दरवाज़ा खोला और बाहर आ गया. उस वक्त हमारे साथी संजय गोविलकर, तुकाराम ओंबले उसे घेरने वाले थे. तभी कसाब ने एके 47 से फायरिंग कर दी. इस्माइल की फायरिंग में तुकाराम ओंबले गंभीर रूप से घायल हो गए. ओंबले ने अपने सीने पर गोलियां खाकर हमारी जान बचाई. इस हमले में कई शहीद हुए. तुकाराम ओंबले की बदौलत हममें से बाकी 15 लोग बच गए, नहीं तो तस्वीर कुछ और होती.

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