नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि केरल और तमिलनाडु सरकारों के लिए 'बाहरी राजनीतिक मजबूरी' भले हो सकती है, लेकिन दोनों राज्यों को 126- साल पुराने मुल्लापेरियार बांध से संबंधित मामले में न्यायालय में सामान्य वादियों की तरह 'व्यवहार' करना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कि ये राज्य एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी और राजनीतिक टिप्पणियां कर रहे हैं, लेकिन न्यायालय का इससे कोई सरोकार नहीं है.
न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार (Justice CT Ravikumar) की पीठ ने कहा कि अदालत में कोई भी शिकायत करने से पहले पक्षकारों को केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर 1895 में बने बांध में पानी छोड़ने या जल-स्तर के प्रबंधन के लिए कोई भी कदम उठाने से पहले पर्यवेक्षी समिति से संपर्क करना चाहिए.
पीठ ने कहा, 'हम कुछ अधिक नहीं कहते हैं. दोनों पक्षों को बिना किसी अपवाद के इस अनुशासन का पालन करना चाहिए और इस तरह की शिकायतों के लिए इस अदालत के समक्ष कोई नया आवेदन नहीं किया जाना चाहिए, जिसे सभी हितधारकों की सहमति से सुलझाया जा सकता है.'
शीर्ष अदालत केरल सरकार के एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बांध से तड़के भारी मात्रा में पानी नहीं छोड़ने का तमिलनाडु को निर्देश देने की यह कहते हुए कहा गया था कि इससे बांध के नीचे हिस्से में रहने वाले लोगों को भारी नुकसान होता है. पीठ ने कहा कि इस पहलू पर निर्णय लेने के लिए पर्यवेक्षी समिति सबसे अच्छा 'न्यायाधीश' है और यह पानी छोड़ने के अनुरोध पर विचार करेगी और यह भी ध्यान में रखेगी कि क्या इसकी आवश्यकता है.
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शीर्ष अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, 'एक-दूसरे से लड़ाई अब बंद कर देनी चाहिए. अदालत के सामने, आप दोनों को किसी सामान्य वादी की तरह व्यवहार करना चाहिए और इस चरम स्थिति के साथ नहीं आना चाहिए.' पीठ ने कहा, 'आपकी बाहर राजनीतिक मजबूरी हो सकती है, लेकिन कम से कम अदालत कक्ष में नहीं. आप एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं, तमाम राजनीतिक टिप्पणियां की जा रही हैं. हमें इससे कोई सरोकार नहीं है. कृपया समझें कि हम क्या कह रहे हैं.' शुरुआत में, केरल के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में एक अर्जी दायर की है.
तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े ने कहा कि ये आवेदन तो आते रहेंगे, बल्कि शीर्ष अदालत को मुख्य मामले पर विचार करना चाहिए. केरल के वकील ने पीठ से कहा कि तमिलनाडु को तड़के बांध से पानी छोड़ने से 24 घंटे पहले नोटिस देना चाहिए था, क्योंकि इससे बाढ़ आती है. अधिवक्ता जी प्रकाश के माध्यम से दायर एक आवेदन में, केरल सरकार ने तमिलनाडु सरकार को पर्याप्त चेतावनी दिये बिना तड़के भारी मात्रा में पानी छोड़ने के बजाय, दिन भर पानी छोड़कर जलस्तर को नियंत्रित करने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.