नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी पर कहा कि जब भी समान नागरिक संहिता की बात होती है तो कुछ लोगों का सेक्यूलरिज्म खतरे में आ जाता है.
उन्होंने सवाल किया, 'क्या हमारे संविधान निर्माता सेक्यूलर नहीं थे? संविधान के आर्टिकल 44 में ये निर्देश दिया गया है कि राज्य इसके लिए हालात बनाए तो किसी को क्या आपत्ति हो सकती है?'
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पेश किए जाने का समर्थन करते हुए सात जुलाई को कहा था कि अलग-अलग 'पर्सनल लॉ' के कारण भारतीय युवाओं को विवाह और तलाक के संबंध में समस्याओं से जूझने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता.
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने एक आदेश में कहा था कि आधुनिक भारतीय समाज धीरे-धीरे समरूप होता जा रहा है. धर्म, समुदाय और जाति के पारंपरिक अवरोध अब खत्म हो रहे हैं, और इस प्रकार समान नागरिक संहिता अब उम्मीद भर नहीं रहनी चाहिए.
आदेश में कहा गया, 'भारत के विभिन्न समुदायों, जनजातियों, जातियों या धर्मों के युवाओं को जो अपने विवाह को संपन्न करते हैं, उन्हें विभिन्न पर्सनल लॉ, विशेषकर विवाह और तलाक के संबंध में टकराव के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दों से जूझने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.'
इस फैसले में यह भी कहा गया कि सरकार पर देश के नागरिकों को समान नागरिक संहिता के लक्ष्य तक पहुंचाने का कर्तव्य है.
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