करूर: स्कूली बच्चों के लिए तमिलनाडु सरकार द्वारा चलाई जा रही मुफ्त नाश्ता योजना को करूर जिले में एक विवाद का सामना करना पड़ा है, जहां एक सरकारी स्कूल के आधे से अधिक छात्रों ने एक दलित रसोइये द्वारा तैयार किया गया नाश्ता खाने से इनकार कर दिया. यह घटना अरवाकुरिची के पास वेलानचेट्टियूर गांव में पंचायत यूनियन प्राइमरी स्कूल में सामने आई.
कथित तौर पर पिछड़ी जाति और सर्वाधिक पिछड़ी जाति समुदायों से संबंधित माता-पिता ने अपने बच्चों को अनुसूचित जाति समुदाय की एक महिला द्वारा तैयार भोजन को खाने से मना कर दिया. इस दलित महिला को सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम के लिए रसोइये के तौर पर नियुक्त किया गया था.
मामले को तूल पकड़ता देख जिला कलेक्टर टी प्रभु शंकर ने 5 सितंबर को स्कूल का दौरा किया और दलित महिला रसोइये द्वारा तैयार किए गए भोजन का खुद खाया. उन्होंने खाना खाने से मना करने वाले छात्रों के माता-पिता से भी मुलाकात की और उन्हें सरकार द्वारा नियुक्त रसोइये के खिलाफ भेदभाव रखने और अपने बच्चों को भेदभाव सिखाने पर गंभीर परिणामों के बारे में कड़ी चेतावनी दी.
विवाद के केंद्र में रही दलित महिला रसोइया ने इस विवाद के बाद भी स्कूल में बच्चों को खाना बनाकर खिलाने का अपना जारी रखा. महिला रसोइया ने बताया कि उनका वेतन भले ही मामूली हो, लेकिन उन्हें बच्चों को खाना बनाकर खिलाना बेहद पसंद है और वह अपने काम को पसंद करती हैं. जानकारी के अनुसार दलित महिला रसोइया कक्षा 12 तक शिक्षित है.
महिला रसोइया का कहना है कि वह स्कूल के बच्चों के लिए उसी समर्पण और प्यार से भोजन तैयार करती है, जैसे वह अपने बच्चों के लिए खाना बना रही हो. जिला कलेक्टर टी प्रभु शंकर ने अपने निरीक्षण के दौरान महिला के कौशल की प्रशंसा की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने भोजन उसी देखभाल और प्यार से तैयार किया जैसे वह अपने परिवार के लिए बनाती हैं.