नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी को प्रभावशाली बनाने और अन्य कृषि संबंधित विषयों पर राय देने के लिए गठित 29 सदस्यीय कमेटी की बैठक इस महीने दिल्ली में होगी. कमेटी के कुछ सदस्यों ने ईटीवी भारत को बताया कि 22 अगस्त को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में कमेटी की पहली औपचारिक बैठक होगी. हालांकि सरकार द्वारा गठित कमेटी पर विरोध अभी थमा नहीं है और संयुक्त किसान मोर्चा के दोनों गुटों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह कमेटी का बहिष्कार करते हैं और इसमें हिस्सा नहीं लेंगे.
बता दें कि बीते रविवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भी कुछ मुख्यमंत्रियों ने एमएसपी और उस पर बनी कमेटी का मुद्दा उठाया था और इसमें भागीदार बनाए गए सदस्यों के नाम पर दोबारा विचार करने की मांग प्रधानमंत्री के सामने रखी थी.
इस दौरान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि उन्होंने स्वयं प्रधानमंत्री के समक्ष ये कहा था कि 29 सदस्यों की कमेटी में 26 लोग सरकार के पक्षधर हैं जबकि तीन सदस्यों की जगह छोड़ी गई है जिसमें किसानों का स्वतंत्र पक्ष रखने वाले लोग शामिल हों. ऐसे में कमेटी एक पक्षीय हो गई है और सरकार से इतर विचार रखने वाले लोगों का मत मजबूती से नहीं रखा जा सकेगा. इसलिए भगवंत मान ने कमेटी के पुनर्गठन का सुझाव भी दिया था.
29 सदस्यीय कमेटी में अब तक 26 सदस्य ही शामिल हुए हैं, जबकि तीन किसान प्रतिनिधियों के नाम संयुक्त किसान मोर्चा से मांगे गए थे. संयुक्त किसान मोर्चा के दो भागों में बंट जाने के बाद और आपसी मतभेदों के बीच दोनों गुटों ने ही इस कमेटी से अलग रहने का फैसला किया. हालांकि बताया जाता है कि कई किसान संगठन कमेटी में शामिल होने के इक्छुक थे लेकिन आम राय न बन पाने के कारण वह शामिल नहीं हो सके. इसमें राकेश टिकैत का संगठन भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ जैसे बड़े संगठनों के भी नाम शामिल हैं जिन्होंने शुरुआत में कमेटी में शामिल होने की इच्छा जताई थी लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा में राय न बन पाने के कारण पीछे हट गए.
फिलहाल 22 अगस्त की बैठक में एजेंडा क्या होगा यह अभी तक तय नहीं है लेकिन कमेटी के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे सदस्यों ने अपने-अपने संगठन में एमएसपी और अन्य संबंधित मुद्दों पर चर्चा शुरू कर दी है और निश्चित रूप से अपना पक्ष रखेंगे. एक अन्य सदस्य ने कहा कि बेहतर होगा कि कमेटी में शामिल सभी किसान प्रतिनिधि देश के अलग-अलग क्षेत्रों के किसानों के बीच जाएं और उनके विचार सुनें, इसके बाद ही उन्हें कमेटी में अपना पक्ष रखना चाहिए. जहां एक तरफ संयुक्त किसान मोर्चा सरकार से नाराजगी और कमेटी के विरोध के बीच फिर बड़े संघर्ष की तैयारी कर रही है वहीं सरकार के द्वारा गठित कमेटी की पहली बैठक भी उसी समय पर रखी गई है.
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