नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश में और खासतौर पर पंजाब राज्य में व्याप्त नशीले पदार्थों की समस्या को 'मादक पदार्थ आतंकवाद' (नार्को टेररिज्म) करार देते हुए सरकार से आवश्यक कदम उठाने की और प्राथमिक शिक्षा में मादक द्रव्य रोधी पाठ्यक्रम शामिल करने की मांग की (anti drug curriculum in schools).
सदन में नियम 193 के तहत 'देश में मादक पदार्थ दुरुपयोग की समस्या और इस संबंध में सरकार द्वारा उठाये गए कदम' विषय पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने आरोप-प्रत्यारोप में उलझे बिना मिलकर इससे निपटने की जरूरत बताई.
निचले सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए शिरोमणि अकाली दल (बादल) की हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब में पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत सरकार और मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार को राज्य में मादक पदार्थों के दुरुपयोग और इससे युवा पीढ़ी पर पड़ने वाले बुरे असर के लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि 'नार्को टेररिज्म' की यह समस्या केवल पंजाब नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए खतरा है.
उन्होंने कहा कि सिख गुरुओं की शहादत से लेकर आजादी की लड़ाई और आपातकाल तक जिस पंजाब ने और सिख धर्म के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, आज उस धरती को किसी की 'बुरी नजर' लग गई है.
उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार आने के बाद चार सप्ताह में नशे की समस्या को खत्म करने का वादा किया गया था, लेकिन पांच साल में कुछ नहीं हुआ, बल्कि 'गली-गली और घर-घर तक नशा पहुंचा दिया गया.'
हरसिमरत ने पंजाब की वर्तमान सरकार का उल्लेख करते हुए कहा कि एक और नई पार्टी बदलाव की राजनीति की बात करते हुए आई, लेकिन दस महीने में ही पंजाब के ऐसे हालात हो गए हैं कि उच्चतम न्यायालय ने भी राज्य सरकार से नाराजगी जताई है.
उन्होंने पंजाब की सीमा पाकिस्तान से लगे होने का जिक्र करते हुए कहा कि मादक पदार्थ तस्करी में भी पंजाब आगे है और आज राज्य में कोई सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा. उन्होंने केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि 'अगर इस स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जाता तो पंजाब गृह युद्ध के कगार पर पहुंच सकता है.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पंजाब और देश को आम आदमी पार्टी की इस सरकार से बचाना चाहिए. इस दौरान हरसिमरत कौर बादल और पंजाब के कुछ कांग्रेस सदस्यों के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली.
जहरीली शराब का मुद्दा उठा : चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के सत्यपाल सिंह ने कहा कि बिहार में जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत की पृष्ठभूमि में इस गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में कई बार देश की जनता और विशेष रूप से युवाओं को नशाखोरी के खिलाफ चेताया है.
उन्होंने कहा कि देश में 2018 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सौजन्य से पहली बार एक व्यापक सर्वेक्षण कराया गया जिसके परिणाम स्वरूप अनुमान लगाया गया कि देश में लगभग 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं और करीब 3 करोड़ लोग गांजा, भांग तथा अफीम आदि का नशा करते हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के विभिन्न विभाग नशाखोरी रोकने के लिए अनेक प्रयास कर रहा है.
उन्होंने कहा कि देश में मादक पदार्थों का प्रकोप बढ़ने का एक प्रमुख कारण स्कूली बच्चों में पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव और इसके बाद 'मजे की संस्कृति' के तहत मादक पदार्थों और शराब के उपयोग का बढ़ता चलन है.
सिंह ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक शिक्षा की कमी से यह समस्या बढ़ी है लेकिन इस सरकार द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा पर जोर दिया गया है जिससे इस समस्या से निपटने में मदद मिलेगी. वहीं, कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस संवेदनशील विषय पर आरोप-प्रत्यारोप के बजाय सभी को मिलकर लड़ना होगा.
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में यह समस्या अधिक रहती है और वे पड़ोसी देशों की आतंकवादी गतिविधियों के साथ-साथ मादक पदार्थ तस्करी से भी परेशान हैं.
औजला ने कहा कि विदेश मंत्री को आतंकवाद के साथ 'मादक पदार्थों के आतंकवाद' पर भी बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'जब तक हम इकट्ठे होकर ठोस तरीके से काम नहीं करेंगे, हल नहीं निकलेगा.' औजला ने कहा कि स्कूलों में पांचवीं कक्षा से लेकर ऊपर की कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को मादक पदार्थ रोधी शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे वे इसके बुरे असर को समझ सकेंगे.
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(पीटीआई-भाषा)