भोपाल। फिल्म अभिनेता सैफ अली खान की बहन और क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी व फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की बेटी सबा सुल्तान को एक सप्ताह में दूसरी बार नोटिस भेजा गया है. यह नोटिस उन्हें मप्र वक्फ बोर्ड की तरफ से दिया गया है हालांकि वक्फ बोर्ड के अधिकारी कह रहे हैं कि वे अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभा रही हैं, इसलिए उन्हें पत्र लिखा गया है.
हाजियों का करीब 40 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च: नोटिस तो हमने पहले भेजा था, लेकिन अब परमिशन (तफरी) नहीं लेने के मामले के कारण उन्हें एक पत्र लिखा है. यह कहना है मप्र वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सनव्वर पटेल का. ETV Bharat से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि यदि मुतवल्ली (प्रबंधनकर्ता) सबा सुल्तान समय पर सऊदी सरकार से परमिशन ले लेती तो मक्का-मदीना जानें वाले हाजियों की करीब 40 हजार रुपए राशि बच जाती. इन्होंने परमिशन ली नहीं और 10 मई को ड्रॉ (कुर्रा) हो गया. इससे नाराज एक डेलीगेशन हमसे मिला तो समझ आया कि यह भारी लापरवाही है. इसके बाद औकाफ-ए-शाही को पत्र लिखा गया. समस्या मक्का में आती है, क्याेंकि यहां पर सिर्फ 300 लोगों को ही परमिशन मिलती है. इसके पहले इन्हें 8 मई को एक नोटिस भेजकर इनसे 7 दिन में जवाब मांगा था और उसमें आरोप था कि यह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रही हैं.
मक्का और मदीना में हज हाउस: गौरतलब है कि जब भाेपाल में नवाबी शासन था, तब नवाबों ने हाजियों के रुकने के लिए मदीने में 5 और मक्का में दो हज हाउस बनवाए थे. यहां लोगों के ठहरने व खाने की नि:शुल्क व्यवस्था करने के लिए वक्फ को लिखा था लेकिन हर साल सउदी सरकार से इसकी परमिशन लेनी पड़ती है. इससे हाजियों के दोनों जगह मिलाकर करीब 50 हजार रुपए की बचत हो जाती है लेकिन बीते दो तीन साल से यह परमिशन नहीं ले रही है, जिसके कारण हाजियों को 50 हजार रुपए अतिरिक्त खर्च करने पड़ रहे हैं.
2011 में बनाया था मुतवल्ली: मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड ने 30 सितंबर 2011 में सबा सुल्तान को औकाफ-ए-शाही की मुतवल्ली (प्रबंधनकर्ता) बनाया था. सबा सुल्तान क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी और फिल्म अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की बेटी हैं. वहीं इनके भाई फेमस फिल्म अभिनेता सैफ अली खान और भाभी करीना कपूर खान हैं. वक्फ का मतलब होता है कि धार्मिक काम के लिए दान दी गई जमीन. बोर्ड की तरफ से बार-बार पत्र लिखे जाने के बाद भी सबा सुल्तान ध्यान नहीं दे रही हैं. इसलिए उनके खिलाफ जिम्मेदारी के प्रति लापरवाही बरतने और काम में रुचि नहीं लेने के आरोप लगाए हैं. बोर्ड ने लिखा है कि वे न तो वक्फ प्रॉपर्टी का निरीक्षण करती हैं और न ही इनसे होने वाली आय में कोई बढ़ोतरी की गई है.