जबलपुर। आज हम मध्यप्रदेश की दो ऐसी विधानसभा के बारे में बताएंगे, जहां से उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, और टिकट लौटाने तक का अनुरोध कर दिया. इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और वो पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरे. जहां उन्होंने बड़े मार्जिन से जीत हासिल की. जी हां, हम बात कर रहे हैं, मध्यकौशल की दो सीट, पहली सिहोरा विधानसभा और दूसरी नरसिंहपुर की तेंदुखेड़ा विधानसभा सीट.
सिहोरा से संतोष बरकड़े ने जीता चुनाव: सिहोरा विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार संतोष बरकड़े ने जबलपुर में सबसे बड़ी जीत हासिल की है. संतोष बरकड़े ने कांग्रेस की उम्मीदवार एकता ठाकुर को 42772 वोट से हराया है. जबलपुर में जीत का यह अंतर बाकी विधानसभाओं के अपेक्षा सबसे अधिक है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संतोष बरकड़े चुनाव के ठीक पहले अपनी टिकट वापस करने के लिए गए थे.
संतोष बरकड़े भारतीय जनता पार्टी के एक सीधे-साधे कार्यकर्ता थे. उनकी पत्नी सरकारी नौकरी में है. उनके पास व्यक्तिगत कोई काम नहीं है. लिहाजा भारतीय जनता पार्टी के लिए काम कर रहे थे. 2022 में उन्हें पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य के लिए उम्मीदवार बनाया. संतोष बरकड़े चुनाव जीत गए. हालांकि, उनका पूरा कामकाज सिहोरा विधानसभा की भारतीय जनता पार्टी की विधायक नंदनी मरावी के माध्यम से होता था.
जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया गया. संतोष बरकड़े अपनी इस बड़ी प्रोफाइल के साथ भी बड़ा सामान्य जीवन एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह ही बिता रहे थे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. पार्टी ने नंदनी मरावी की टिकट काटकर जबलपुर की सिहोरा विधानसभा से संतोष बरकड़े को टिकट दे दिया.
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि नंदनी मरावी की टिकट इसलिए काटी गई, क्योंकि लगातार तीन बार विधायक रह चुकी थी. उनके खिलाफ एंटी इनकमबैसी फैक्टर काम करने लगा था. इसलिए नंदनी मरावी की जगह संतोष वर्कड़े को टिकट मिल गया. संतोष वरकडे ने यह बयान दिया था कि वे मानसिक रूप से तैयार नहीं है. उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं के सामने टिकट वापस करने की पेशकश की थी. नंदनी मरावी की तरफ से भी यह दबाव था कि संतोष टिकट वापस कर दे. पार्टी ने नहीं माना और संतोष ने चुनाव लड़ा.
संतोष बरकड़े के सामने छात्र नेता चुनावी मैदान में उतरे: कांग्रेस ने संतोष बरकड़े के खिलाफ एक छात्र नेता एकता ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा था. एकता ठाकुर एनएसयूआई की करमत कार्यकर्ता रही हैं. वे सक्रिय छात्र नेता थी. इस इलाके में उनकी अच्छी पैठ थी. इसके बावजूद एकता ठाकुर संतोष बरकड़े को चुनौती नहीं दे पाई. संतोष बरकड़े ने चुनाव रिकार्ड मतों से जीता. संतोष बरकड़े और एकता के बीच में वोटो का अंतर 42700 से अधिक रहा. संतोष बरकड़े का कहना है कि यह भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का और संगठन की जीत है.
विश्वनाथ सिंह ने भी की थी टिकट वापसी की पेशकश: नरसिंहपुर की तेंदूखेड़ा विधानसभा के भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विश्वनाथ सिंह ने भी संगठन के सामने टिकट वापसी की बात कही थी. वो टिकट मिलने के बाद टिकट वापस करने गए थे. संगठन ने उनकी टिकट भी अंतिम सूची में जारी की थी. उनके पास चुनाव में प्रचार करने का समय बहुत कम था. पार्टी सूत्रों के हवाले से यह खबर थी कि उन्होंने भी चुनाव नहीं लड़ने की पेशकश की थी. इसकी एक दूसरी वजह यह थी कि एक बार पहले भी तेंदूखेड़ा विधानसभा में चुनाव लड़े थे और हार गए थे.
वहीं उनके खिलाफ कांग्रेस की ओर से इस इलाके के अरबपति उम्मीदवार संजय शर्मा चुनाव मैदान में थे. इसके बाद भी विश्वनाथ सिंह जिन्हें लोग मुलायम भैया के नाम से जानते हैं वह चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से खड़े हुए. इस बीच में उनके परिवार में उनकी माताजी का निधन हो गया. इसलिए भी चुनाव प्रचार करने भी नहीं जा पाए. इसके बाद भी परिणाम चौंकाने वाले आए और विश्वनाथ सिंह मुलायम भैया ने संजय शर्मा को 12347 वोटो से हराया. संजय शर्मा ने अपनी पूरी ताकत से चुनाव लड़ा था.