भोपाल। 'इस जीत में हर महिला अपनी जीत देख रही है. इस जीत में बेहतर भविष्य देखने वाला हर युवा रहा है.', देश के हार्टलैंड कहे जाने वाले मध्यप्रदेश समेत छत्तीसगढ़ और राजस्थान में क्लीन स्वीप मिला है. यानि यहां बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गई है. लेकिन चुनाव से पहले ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी इन राज्यों से अपनी सत्ता गंवा सकती है, लेकिन आखिर में ऐसा नहीं हुआ. ऐसे टर्निंग पाइंट थे, जो बीजेपी को एमपी में सत्ता का सरताज बना गए. आइए जानते हैं.
मुख्यमंत्री के चेहरे पर सस्पेंस: प्रदेश में एक चीज जो सबसे जोरों पर थी, वो शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ना, जनता का गुस्सा झेलना. लेकिन पूरे चुनाव में बीजेपी ने सीएम फेस पर सस्पेंस बनाए रखा. इसका फायदा भी मिला. इस चुनाव प्रचार में पार्टी ने मुख्य तौर पर नरेंद्र मोदी और कमल के चिन्ह को सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने का रास्ता बनाया. इससे प्रदेश में बनी सत्ता विरोधी लहर खत्म हो गई . इसका फायदा चुनाव में पार्टी को हुआ. साथ ही पार्टी ने केंद्रीय नेतृत्व और केंद्रीय मंत्री को चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी.
लाडली बहना योजना का दांव: एमपी में जो बीजेपी का सबसे बड़ा दांव था, वो लाडली बहना योजना को लेकर था. इस योजना की लॉन्चिंग के साथ ही महिला वोटर्स को साधने की कोशिश बीजेपी ने की. इसके तहत 1.31 करोड़ महिला वोटर्स को साधा गया. शुरुआत में इस योजना की राशि 1 हजार रुपए रखी, तो बाद में बढ़ाकर 1250 तक कर दिया गया. इन योजनाओं के सहारे ही जनता के मन को बीजेपी ने वोट में तब्दील किया.
आदिवासियों को साधा, शहीदों को दिया सम्मान: इधर, भाजपा नेतृत्व ने आदिवासियों की महत्वता को समझते हुए, कई योजनाओं का शुभारंभ किया. इसमें पेसा एक्ट जैसी योजनाएं, आदिवासी दिवस पर पीएम मोदी का सीधा संवाद, गृहमंत्री अमित शाह का शहीदों के कार्यक्रम में शामिल होना. शहडोल जिले में पीएम मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां शामिल हैं. इधर, सागर जिले में संत रविदास स्मार्क प्रोजेक्ट का शुभारंभ.
4 नवंबर की मोदी की घोषणा ने बदले समीकरण: बात 4 नवंबर की है. इस दिन प्राधनमंत्री एमपी के रतलाम पहुंचे थे. जहां उन्होंने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन योजना अगले पांच साल बढ़ाने की घोषणा की थी. तब उन्होंने कहा था कि 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन देने वाली योजना, भाजपा सरकार अब अगले पांच साल के लिए बढ़ाएगी. ये घोषणा जनता के बीच बीजेपी के विश्वास को बनाने में काफी हद तक सफल रही. साल 2023 के लिए इस योजना पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च को मंजूरी भी दे दी गई. जनता का विश्वास ही आखिर में बीजेपी की जीत का आधार बना.
राममंदिर मुद्दे को उठाकर जनता को साधा: इस बीच एक मुद्दा जिसने एमपी की सियासत में गर्मी ला दी . वो मुद्दा था, कर्नाटक के मंत्री उदयनिधि का सनातन को खत्म करने के बयान ने काफी तूल पकड़ा. ये बयान उस समय आया, जब कर्नाटक में बीजेपी शासित सत्ता को हटाकर कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई थी. भाजपा ने इसको लेकर कई पोस्टर वॉर भी किए. इससे हिन्दुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस बुरी तरह बैकफुट पर आ गई.
किसी भी बड़े नेता की तरफ से इसका खंडन नहीं किया गया. इसके अलावा बीजेपी ने पूरे प्रदेश में धुआंधार प्रचार से भी सत्ता को साधने में सफलता हासिल की. राममंदिर का उद्घाटन भी 22 जनवरी 2024 को होने जा रहा है. सभी को पता है कि राममंदिर बीजेपी का अहम मुद्दा रहा है.