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MP Police: कागज-पैन से काम करने वाली पुलिस को रास नहीं आई नई तकनीक, अब भी थानों में परंपरागत तरीकों का इस्तेमाल जारी

करीब डेढ़ साल पहले मप्र में ई-इंवेस्टिगेशन की शुरूआत की गई, लेकिन पुलिस के आईओ (Investigation Officer) इससे फ्रेंडली नहीं हो पा रहे हैं. खासकर वे पुलिस अधिकारी जो उम्रदराज हैं और परंपरागत तरीके से ही काम करते आए हैं. जबकि नई भर्ती से आए पुलिस कर्मी इस ई-इंवेस्टिगशन के जरिए 40 हजार से अधिक केस का इंवेस्टिगेशन कर चुके हैं.

MP Police
एमपी पुलिस
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Published : Jul 11, 2023, 10:09 PM IST

भोपाल। एमपी पुलिस ने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) में देश में पहली बार नवाचार करते हुए पूरे प्रदेश में अपने जांच अधिकारियों (Investigation Officer) को टैबलेट दिए. इसके बाद इसका फायदा तो मिला, लेकिन समस्या यह है परंपरागत या कागज पेन का इस्तेमाल करने वाले पुलिसकर्मी अब भी इन टैबलेट से फ्रेंडली नहीं हो पाए. वे अब भी पुराने तौर तरीकों से ही काम करना पसंद करते हैं और टैब केवल नई भर्ती के ही पुलिसकर्मी इस्तेमाल कर रहे हैं. अब पुलिस सभी पुलिसकर्मियों को ई-एप के लिए फ्रेंडली बनाने के लिए लगातार ट्रैनिंग करवा रही है.

नॉन टेक्नीकल इंवेस्टिगेशन आ रही आड़े: दरअसल मध्यप्रदेश पुलिस ने पहली किस्त में एमपी के थानों के लिए 1740 आईओ (जांच अधिकारियों) को टैबलेट बांटे थे. मकसद था कि इनके जरिए इंवेस्टिगेशन रियल टाइम हो सकेगी. फील्ड से ही इन टैबलेट में फोटो वीडियो अपलोड करने के साथ ही बयान भी दर्ज किए जा सकेंगे. ताकि रियल टाइम वर्क हो सके और जांच में पारदर्शिता आए. इसका फायदा भी हुआ और दूसरे राज्य भी फॉलो कर रहे हैं. अब तक एमपी में 40 हजार केसेज के चालान पेश किए जा चुके हैं, लेकिन इतनी शानदार पहल के बीच नॉन टेक्नीकल इंवेस्टिगेशन ऑफिसर आड़े आ रहे हैं.

स्टॉफ ने बताया फ्रेंडली: थानों में इन टैबलेट का इस्तेमाल करने वाले कुछ पुलिसकर्मियों से बात की तो उन्होंने नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध पर बताया कि दरअसल टैब अच्छा है, लेकिन अब काफी पुराना हो गया है. टाइपिंग करने में दिक्कत आती है. वॉइस टायपिंग में भी कई बार शब्द गलत हो जाते हैं तो उसे फिर बाद में ठीक करना पड़ता है. नेटवर्क इश्यु रहता है. वहीं बीते 6 साल में भर्ती होकर आए स्टॉफ ने बताया कि यह काफी फ्रेंडली है. बस इसके लिए नेटवर्क जरूरी है. यदि नेटवर्क नहीं है तो फिर टैब की गैलेरी में ही फोटो वीडियो बनाकर रख लेते हैं. इस मामले में अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कि हमारे ई-इंवेस्टिगेशन को अब तक तीन पुरस्कार मिल चुके हैं और यह क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है. अब तक इस एप और टैब के जरिए 30 लाख रुपए की बचत कर चुके हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो टैब पर इंवेस्टिगेशन से खरीदी की लागत में से 5 फीसदी राशि की बचत कर चुके हैं.

कहां कितने टैबलेट बांटे हैं

  1. 358 भोपाल रेंज
  2. 254 इंदौर
  3. 180 ग्वालियर
  4. 177 जबलपुर
  5. 152 उज्जैन
  6. 142 छिंदवाड़ा
  7. 96 होशंगाबाद
  8. 81 सागर
  9. 72 रीवा
  10. 67 छतरपुर

क्या है CCTNS: पुलिस अभी क्राइम एवं क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए अपराध संबंधी डिजिटल रिकार्ड तैयार करती है. यह कंप्यूटर साफ्टवेयर है, जिसमें FIR, विवेचना, घटनास्थल के फोटो व अन्य जानकारी अपलोड होती है. जैसे ही किसी व्यक्ति का नाम एप में डाला जाएगा. CCTNS के रिकार्ड से उसके बारे में दर्ज पूरी जानकारी सामने आ जाएगी.

भोपाल। एमपी पुलिस ने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) में देश में पहली बार नवाचार करते हुए पूरे प्रदेश में अपने जांच अधिकारियों (Investigation Officer) को टैबलेट दिए. इसके बाद इसका फायदा तो मिला, लेकिन समस्या यह है परंपरागत या कागज पेन का इस्तेमाल करने वाले पुलिसकर्मी अब भी इन टैबलेट से फ्रेंडली नहीं हो पाए. वे अब भी पुराने तौर तरीकों से ही काम करना पसंद करते हैं और टैब केवल नई भर्ती के ही पुलिसकर्मी इस्तेमाल कर रहे हैं. अब पुलिस सभी पुलिसकर्मियों को ई-एप के लिए फ्रेंडली बनाने के लिए लगातार ट्रैनिंग करवा रही है.

नॉन टेक्नीकल इंवेस्टिगेशन आ रही आड़े: दरअसल मध्यप्रदेश पुलिस ने पहली किस्त में एमपी के थानों के लिए 1740 आईओ (जांच अधिकारियों) को टैबलेट बांटे थे. मकसद था कि इनके जरिए इंवेस्टिगेशन रियल टाइम हो सकेगी. फील्ड से ही इन टैबलेट में फोटो वीडियो अपलोड करने के साथ ही बयान भी दर्ज किए जा सकेंगे. ताकि रियल टाइम वर्क हो सके और जांच में पारदर्शिता आए. इसका फायदा भी हुआ और दूसरे राज्य भी फॉलो कर रहे हैं. अब तक एमपी में 40 हजार केसेज के चालान पेश किए जा चुके हैं, लेकिन इतनी शानदार पहल के बीच नॉन टेक्नीकल इंवेस्टिगेशन ऑफिसर आड़े आ रहे हैं.

स्टॉफ ने बताया फ्रेंडली: थानों में इन टैबलेट का इस्तेमाल करने वाले कुछ पुलिसकर्मियों से बात की तो उन्होंने नाम न प्रकाशित करने के अनुरोध पर बताया कि दरअसल टैब अच्छा है, लेकिन अब काफी पुराना हो गया है. टाइपिंग करने में दिक्कत आती है. वॉइस टायपिंग में भी कई बार शब्द गलत हो जाते हैं तो उसे फिर बाद में ठीक करना पड़ता है. नेटवर्क इश्यु रहता है. वहीं बीते 6 साल में भर्ती होकर आए स्टॉफ ने बताया कि यह काफी फ्रेंडली है. बस इसके लिए नेटवर्क जरूरी है. यदि नेटवर्क नहीं है तो फिर टैब की गैलेरी में ही फोटो वीडियो बनाकर रख लेते हैं. इस मामले में अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कि हमारे ई-इंवेस्टिगेशन को अब तक तीन पुरस्कार मिल चुके हैं और यह क्रांतिकारी कदम साबित हो रहा है. अब तक इस एप और टैब के जरिए 30 लाख रुपए की बचत कर चुके हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो टैब पर इंवेस्टिगेशन से खरीदी की लागत में से 5 फीसदी राशि की बचत कर चुके हैं.

कहां कितने टैबलेट बांटे हैं

  1. 358 भोपाल रेंज
  2. 254 इंदौर
  3. 180 ग्वालियर
  4. 177 जबलपुर
  5. 152 उज्जैन
  6. 142 छिंदवाड़ा
  7. 96 होशंगाबाद
  8. 81 सागर
  9. 72 रीवा
  10. 67 छतरपुर

क्या है CCTNS: पुलिस अभी क्राइम एवं क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) के जरिए अपराध संबंधी डिजिटल रिकार्ड तैयार करती है. यह कंप्यूटर साफ्टवेयर है, जिसमें FIR, विवेचना, घटनास्थल के फोटो व अन्य जानकारी अपलोड होती है. जैसे ही किसी व्यक्ति का नाम एप में डाला जाएगा. CCTNS के रिकार्ड से उसके बारे में दर्ज पूरी जानकारी सामने आ जाएगी.

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