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MP नर्सिंग काउंसिल के डायरेक्टर को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस, ओपेन कैटेगरी के छात्रों को बड़ी राहत

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Published : Nov 22, 2022, 11:37 AM IST

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग एडमिशन 2020-21 के मामले में छात्रों को बड़ी राहत प्रदान की है. उसने मध्यप्रदेश सरकार के ओपेन कैटगरी के उम्मीदवारों के एडमिशन रद किए जाने के फैसले को अमान्य करते हुए एमपी नर्सिंग काउंसिल के निदेशक को अवमानना का नोटिस जारी किया है.

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सागर। मध्यप्रदेश में 2020-21 में नर्सिंग एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को अवमानना का नोटिस जारी किया है. दरअसल नर्सिंग काउंसिल द्वारा ओपेन कैटेगरी में उम्मीदवारों को एडमिशन दिया गया था. बाद में रिजर्वेशन पॉलिसी अपनाए न जाने की बात कह कर एडमिशन निरस्त कर दिए. इस मामले में उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने एडमिशन निरस्त किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया. इसके बावजूद नर्सिंग काउंसिल ने हाईकोर्ट के आदेश को नहीं माना और एडमिशन नहीं दिए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मप्र नर्सिंग काउंसिल के डायरेक्टर को अवमानना का नोटिस जारी किया है. (MP nursing admission 2020 to 21)

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क्या है पूरा मामलाः दरअसल मप्र नर्सिंग काउंसिल ने 2020-21 में सेकेंड काउंसलिंग में 145 उम्मीदवारों को मुक्त श्रेणी ( free category ) में प्रवेश दिया था. बाद में आरक्षण प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने का हवाला देकर प्रवेश निरस्त कर दिए. सरकार के आदेश के चलते 145 उम्मीदवारों का एडमिशन नहीं दिया गया. इस परिस्थिति में सभी उम्मीदवारों ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए हाइकोर्ट ने कहा था कि सभी एडमिशन नियम और प्रकिया के अनुसार हुए है, इसलिए निरस्त नहीं माने जा सकते. सरकार ने हाइकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया और उम्मीदवारों को एडमिशन नहीं दिए. हाइकोर्ट के आदेश की अवमानना को लेकर उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां जस्टिस दिनेश महेश्वरी और सुधांशु धूलिया ने सुनवाई की और मप्र नर्सिंग काउंसिल के डायरेक्टर से जवाब तलब किया है. (Big relief to nursing students)

सागर। मध्यप्रदेश में 2020-21 में नर्सिंग एडमिशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग काउंसिल को अवमानना का नोटिस जारी किया है. दरअसल नर्सिंग काउंसिल द्वारा ओपेन कैटेगरी में उम्मीदवारों को एडमिशन दिया गया था. बाद में रिजर्वेशन पॉलिसी अपनाए न जाने की बात कह कर एडमिशन निरस्त कर दिए. इस मामले में उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने एडमिशन निरस्त किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया. इसके बावजूद नर्सिंग काउंसिल ने हाईकोर्ट के आदेश को नहीं माना और एडमिशन नहीं दिए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मप्र नर्सिंग काउंसिल के डायरेक्टर को अवमानना का नोटिस जारी किया है. (MP nursing admission 2020 to 21)

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क्या है पूरा मामलाः दरअसल मप्र नर्सिंग काउंसिल ने 2020-21 में सेकेंड काउंसलिंग में 145 उम्मीदवारों को मुक्त श्रेणी ( free category ) में प्रवेश दिया था. बाद में आरक्षण प्रक्रिया नहीं अपनाए जाने का हवाला देकर प्रवेश निरस्त कर दिए. सरकार के आदेश के चलते 145 उम्मीदवारों का एडमिशन नहीं दिया गया. इस परिस्थिति में सभी उम्मीदवारों ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सरकार के आदेश को निरस्त करते हुए हाइकोर्ट ने कहा था कि सभी एडमिशन नियम और प्रकिया के अनुसार हुए है, इसलिए निरस्त नहीं माने जा सकते. सरकार ने हाइकोर्ट के आदेश पर अमल नहीं किया और उम्मीदवारों को एडमिशन नहीं दिए. हाइकोर्ट के आदेश की अवमानना को लेकर उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां जस्टिस दिनेश महेश्वरी और सुधांशु धूलिया ने सुनवाई की और मप्र नर्सिंग काउंसिल के डायरेक्टर से जवाब तलब किया है. (Big relief to nursing students)

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