भोपाल। कहावत है पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब ,खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब. यानी आप अगर पढ़ लिख जाते हो तो अच्छी पोस्ट पर और अच्छा मुकाम हासिल कर सकते हो. जबकि खेलने के कारण आप समय बर्बाद ही करोगे, लेकिन इस कहावत को कई लोगों ने उल्टा भी साबित किया है और देश में कई ऐसे लोग हैं. जिन्होंने खेलों में ही अपना नाम रोशन किया है. सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, मैरी कॉम, सायना नेहवाल यह ऐसे नाम हैं, जिन्होंने पढ़ाई की जगह खेल में ही अपना करियर बनाया और दुनिया भर में भारत के साथ अपना नाम रोशन किया, लेकिन ऐसे युवा कम ही मिलते हैं, जो दोनों ही जगह परचम लहरा रहे हो. इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र की रहने वाली श्रावणी सांगले.
श्रावणी ने बनाया नेशनल रिकॉर्ड: श्रावणी महाराष्ट्र के नासिक जिले में व्ही.डी.के स्पोर्ट्स फेडरेशन के अंतर्गत एथलेटिक्स की ट्रेनिंग लेती हैं. वह अभी महज अंडर-19 की उम्र में हैं, लेकिन देश भर में अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं. श्रावणी अपने स्टेट महाराष्ट्र में दसवीं बोर्ड में आईसीएसई के टॉपर्स में भी जगह बना चुकी है और पढ़ाई में भी आगे है. तो खेलों में अभी तक 12 राष्ट्रीय पदक उनके नाम है. ये भोपाल में चल रहे स्कूल नेशनल गेम्स में शिरकत करने आई थी और उन्होंने 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया है. इसके साथ ही श्रावणी ने 400 मीटर बाधा दौड़ में भी गोल्ड मेडल हासिल करते हुए इस साल का नेशनल रिकॉर्ड बनाया है. इन्होंने 400 मीटर की बाधा दौड़, 1 मिनट 1 सेकेंड में पूरी करी है. जबकि पिछला रिकॉर्ड 1 मिनट 2 सेकंड का था. जिसे उन्होंने तोड़ दिया और यह रिकॉर्ड अपने नाम किया है.
श्रावणी ने की ईटीवी भारत से बात: ईटीवी भारत संवाददाता आदर्श चौरसिया से खास बातचीत में श्रावणी बताती है कि बचपन से ही उन्हें दौड़ने का शौक था. परिवार में एक भाई और एक बहन है. ऐसे में पिता भी चाहते थे कि बेटी खेलों के क्षेत्र में भी आगे बढ़े, लेकिन पढ़ाई भी जरूरी थी. ऐसे में पिता ने उनका काफी साथ दिया. श्रावणी बताती है कि वह पिछले 7 साल से दौड़ में स्पेशल ट्रेनिंग ले रही हैं. उनके कोच आनंद काले उन्हें लगातार सफलता के टिप्स सिखाते हैं. जिसके चलते उन्होंने 12 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अभी तक पदक हासिल किए हैं.
ICSE दसवीं क्लास में स्टेट में टॉप 10 में बनाई जगह: श्रावणी कहती है कि खेल के साथ-साथ घर का माहौल पढ़ाई के लिए भी था. ऐसे में उन्होंने आईसीएसई की दसवीं की परीक्षा में अपने स्टेट में टॉप टेन टॉपर्स में जगह बनाई थी और लगभग 95% अंक भी हासिल किए थे. इसके लिए उन्होंने पढ़ाई और खेल दोनों में ही बैलेंस बनाए रखा. यह बताती है कि सुबह शाम यह ग्राउंड पर प्रैक्टिस करने जाती थी और खेल पर पूरा ध्यान देती थी. जबकि दिन में स्कूल और रात को ग्राउंड से आने के बाद भी यह पढ़ाई करती थी. ऐसे में दोनों के लिए लगभग बराबर समय इन्होंने निकाला और यह उपलब्धि हासिल की है.
पिता ने किया सपोर्ट: श्रावणी ने बताया कि इनके पिता ने भी कभी इन्हें यह महसूस नहीं होने दिया कि यह लड़की है और खेलों में ये आगे नहीं बढ़ सकती. श्रावणी बताती है कि उनके पिता हमेशा उनका सपोर्ट करते हैं. चाहे सुबह दौड़ लगाने की बात हो, क्योंकि यह नासिक के पास ही रहते हैं. ऐसे में महाराष्ट्र में गर्मी बहुत पड़ती है और जिस वजह से प्रैक्टिस करने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ता है. ऐसे में इनके पिता इनसे पहले सुबह 4 बजे उठ जाया करते थे और इन्हें रनिंग के लिए उठाते थे और साथ में भी जाया करते थे. जिस कारण इन्होंने अपने पिता के सपने को पूरा करने की ठानी और आज इस मुकाम पर है कि देश में जूनियर खिलाड़ियों में इनका भी नाम शामिल है.
क्या बोले कोच: श्रावणी के कोच आनंद काले बताते हैं कि श्रावणी की कैचिंग पॉवर बहुत तेज है. उसको एक बार में जो सिखाते हैं. वह तुरंत ही सीख जाती है. इसी कारण वह पढ़ाई और खेल दोनों में ही नाम कमा रही है. आनंद के अनुसार जिस उम्र में बच्चे खेल को चुनते हैं या पढ़ाई को चुनते हैं. उस उम्र में श्रावणी ने दोनों ही जगह बराबर मुकाम हासिल किया है और इस शिखर पर पहुंची है. श्रावणी कहती है कि उनका सपना ओलंपिक में पदक हासिल करना है. वह कहती है कि सीनियर चैंपियनशिप के साथ ही अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए भी वह तैयारी कर रही है. उनको लगता है कि अगर वह इसी तरह आगे बढ़ती गई तो निश्चित ही 1 दिन देश के लिए ओलंपिक में पदक भी लेकर आएंगी. इसके लिए पूरी कोशिश भी वह कर रही हैं. वहीं पढ़ाई की दृष्टि से श्रावणी एक आईएएस अधिकारी भी बनना चाहती हैं, लेकिन वह कहती हैं कि पहले माता पिता के सपने को पूरा करना है. जिसमें देश के लिए ओलंपिक पदक उन्हें लाना है.