भोपाल। देवास के एक छोटे से गांव में रहने वाले कारपेंटर हरिकृष्ण चौधरी की पोती ने पूरे परिवार का नाम रोशन करते हुए भारतीय नौसेना में एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के पद पर जगह बनाई है. उनकी पोती काजल ने कई सालों की मेहनत के बाद यह मुकाम पाया है. इस पद के लिए सिलेक्ट हुए 5 लोगों में काजल इस साल के एग्जाम में मध्य प्रदेश से इकलौती युवती हैं, इससे परिवार में खुशी का माहौल है. बता दें कि युवती के पिता राजेंद्र चौधरी इलेक्ट्रिशियन का काम करते हैं.
काजल रहीं हैं एवरेज स्टूडेंट: काजल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि "उन्होंने इसके लिए बहुत पहले से तैयारी करके रखी थी. दरअसल जल सेना में जितने भी प्लेन आदि शिप पर आते हैं उनमें एटीसी यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति की जाती है. इसी में काजल चौधरी का भी चयन हुआ है." काजल ने बताया कि "वह हमेशा से एक एवरेज स्टूडेंट रही हैं, लेकिन खुद पर भरोसा और पढ़ाई करके मैंने यह मुकाम पाया है."
काजल के पिता इलेक्ट्रिशियन: काजल के इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे उनके साथ ही उनके परिवार की संघर्ष की भी कहानी है. काजल के दादाजी हरिकृष्ण चौधरी देवास के एक छोटे से गांव में कारपेंटर का काम करते थे. काजल के पिता राजेंद्र चौधरी को मिलाकर हरिकृष्ण के कुल 6 बच्चे हैं, जिसमें राजेंद्र सबसे बड़े हैं. काजल के दादाजी ने बहुत मुश्किल से कारपेंटर का काम कर अपने परिवार का भरण पोषण किया है. इसके बाद राजेंद्र को इलेक्ट्रिक का काम भी सिखलाया. देवास से निकलकर राजेंद्र की नौकरी भोपाल में लगी और उन्होंने भी कई दिक्कतों के साथ परिवार का भरण पोषण प्रारंभ किया.
काजल बताती हैं कि "वैसे तो उन्हें पिता राजेंद्र ने हर जरूरत का सामान मुहैया कराया है, लेकिन कई बार परिवार में यह स्थिति भी रहती थी कि कई चीजों के लिए परेशान होना पड़ता था. पिता और मां, भाई से ज्यादा काजल पर ही ध्यान देते थे और उन्हें जरूरत की हर चीज मुहैया कराते थे. काजल कहती हैं कि पिताजी भले खुद के लिए सामान न लेते हों लेकिन हम भाई-बहन की हर जरूरत का ध्यान रखते थे."
नौसेना के एग्जाम में ऐसे चुनी गई: काजल ने बताया कि "एटीसी के इस एग्जाम में इस साल देश भर में 147 छात्रों ने यह एग्जाम दिया था, जिसमें पूरे देश से 5 लोगों का सिलेक्शन हुआ है. इसमें से मैं 1 खुद हूं. इसके लिए मैंने दिन-रात मेहनत की थी. वैसे मैं इंजीनियरिंग की छात्रा हूं, लेकिन मेरा रुझान शुरू से ही फोर्स में जाने का था और मुझे कुछ अलग कर दिखाने की चाहत थी. ऐसे में मैंने इस लाइन को चुना, जिसमें मेरा सहयोग मेरे कई सीनियर्स ने भी दिया है. उन्हीं की सलाह पर मैंने भी इस एग्जाम की तैयारी की और भारतीय जल सेना के एग्जाम में चयनित भी हो गई."
1 लाख होगी सैलरी: काजल ने बताया कि अभी 6 महीने मेरी ट्रेनिंग चलेगी. 14 तारीख से मुझे मुंबई में जाकर जॉइनिंग करना है. इसके बाद 6 महीने तक मुझे एक निश्चित अवधि में स्टाइपेंड मिलेगा, जिसमें लगभग 50 से 55 हजार के बीच इनका यह मानदेय होगा. वहीं जब रेगुलर जॉइनिंग हो जाएगी तो सैलरी 1 लाख के लगभग होने का अनुमान है. इसको लेकर मैं बहुत खुश हूं. साथ ही मेरा पूरा परिवार भी इस खुशी में मेरे साथ मौजूद है."
परिवार का हर सदस्य अब भोपाल के उनके घर में पहुंच चुका है. काजल कहती है कि वैसे तो भोपाल में माता-पिता और एक भाई के साथ यह 4 लोग ही रहते हैं. पिछले साल ही इन्होंने कोलार में नया मकान भी लिया है, लेकिन जब से यह जानकारी परिवार के लोगों को मिली है तो गांव से हर व्यक्ति घर में आ गया है और इनके साथ में ही इस खुशी का आनंद ले रहे हैं.
पिता का क्या है कहना: काजल के पिता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि उन्होंने बेटा-बेटी में कभी फर्क नहीं समझा. लेकिन हमेशा काजल की हर खुशी का ध्यान उन्होंने जरूर रखा. वह चाहते थे कि बेटी परिवार का नाम रोशन करे और उसने आज यह कर दिखाया है. जिसको लेकर पूरे कुटुंभ में ही एक गर्व की अनुभूति हो रही है.