भोपाल। बीजेपी से इस्तीफा दे चुके विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपनी ''विंध्य जनता पार्टी'' नाम से एक नई पार्टी बना ली है. विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने 25 प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. वहीं, नारायण त्रिपाठी खुद सतना जिले की मैहर सीट से चुनाव लड़ेंगे. नारायण त्रिपाठी बीजेपी के टिकट से मैहर विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. उन्होंने विधानसभा सदस्यता के साथ बीजेपी की प्राथमिकता सदस्यता से भी इस्तीफा देकर खुद की पार्टी बनाई और आयोग से 'गन्ना' चुनाव चिन्ह भी मिल गया है. अब विंध्य के सहारे पूरे प्रदेश में अपना भाग्य आजमाने के लिए त्रिपाठी और उनके कैंडिडेट मैदान में हैं.
कांग्रेस में दाल नहीं गली: बीजेपी से नाता तोड़कर नारायण त्रिपाठी को लग रहा था कि कांग्रेस उन्हें मैहर से टिकट देगी. लेकिन कमलनाथ ने त्रिपाठी के लिए टिकट देने से मना कर दिया. नारायण त्रिपाठी विंध्य क्षेत्र से बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं. वे कई सालों से विंध्य को अलग प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं. नारायण त्रिपाठी ने खुद की विंध्य जनता पार्टी बनाकर 25 कैंडिडेट मैदान में उतारे हैं. इनमें विंध्य की 20 सीट पर 11 ब्राह्मण को टिकट दिया गया है.
मैहर से चुनाव लड़ेंगे त्रिपाठी: नारायण त्रिपाठी मैहर से विधानसभा सीट ही चुनाव लडेंगे. वे वर्तमान में यहां से विधायक भी हैं. 2018 के चुनाव में त्रिपाठी ने बीजेपी से चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस के सूर्यकांत चतुर्वेदी को करीब तीन हजार वोट से हराया था. इस बार सूर्यकांत चतुर्वेदी भाजपा की ओर से मैदान में हैं. जबकि कांग्रेस ने धर्मेश घई को टिकट दिया है.
इन सीटों पर ये नाम, एक मुस्लिम, 11 ब्राह्मण चेहरे: भोपाल दक्षिण से मनीष पांडे, रैगांव से आरती वर्मा, गुढ़ से शिव मोहन शर्मा, चुरहट से अरुण द्विवेदी, सीधी से बाल्मीकि तिवारी, सिहावल से आशीष मिश्रा, सतना से हरिओम गुप्ता, मैहर से नारायण त्रिपाठी, अमरपाटन से शशि सत्येंद्र शर्मा, सिमरिया से मोहम्मद अली, त्यौंथर से कमांडो अरुण गौतम, देव तालाब से कुंज बिहारी तिवारी, चितरंगी से रामकृष्ण कौल, सिंगरौली से कुंदर पांडे, व्यवहारी से लेखन सिंह, जयसिंहनगर से फूलमती सिंह, जैतपुर से हीरालाल पनिका, अनूपपुर से प्यारेलाल, बड़ामलहरा से दिनेश यादव, पुष्पराजगढ़-आजजा से अमृतलाल सोनवानी, बांधवगढ़ से धूपसिंह, मानपुर से राजकुमार बेगा, शाहपुरा से मदन सिंह परस्ते, डिंडोरी से सितार मरकाम, अंबेडकर नगर से वेदनाथ मिश्रा को मैदान में उतारा है.
विंध्य के मुद्दों को खुलकर रखा सामने: ईटीवी भारत के भोपाल से संवाददाता सरस्वती चंद्र ने नारायण त्रिपाठी से पूछा कि आपने पार्टी बनाई, इसकी वजह ये मानी जा रही है कि आपको न बीजेपी ने और न ही कांग्रेस ने टिकट दिया. इस पर नारायण त्रिपाठी बोले की ''मैंने हमेशा अपने क्षेत्र की बात पार्टी के सामने खुल कर रखी है. मैं सपा में रहा कांग्रेस में रहा और बीजेपी में रहा और जब अपने यहां के मुद्दों को खुलकर रखा और यहां का क्षेत्र पिछड़ा हुआ है उसे स्थिति को मैंने हमेशा दलों के सामने रखा और इसी वजह से पार्टियां मुझे बागी कहती हैं.''
सवाल- क्या वजह है कि आपको कोई भी दल रास नहीं आया और आपको हमेशा दल बदल नेता के रूप में जाना जाता है ?
जवाब - नहीं ऐसी बात नहीं है, मुझे हमेशा जनता का भरपूर समर्थन मिला है और वजह यह है कि यहां की स्थिति के लिए मैं हमेशा संघर्ष करता रहा हूं और आवाज उठाता रहा हूं. इसी वजह से जनता मुझे बहुत प्यार करती है और हमेशा जनता मुझे जिताती है, चाहे कोई भी पार्टी से मैं खड़ा हो जाऊं.
सवाल- बीजेपी और कांग्रेस से आपकी बनी नहीं अब आपने खुद की पार्टी बना ली, क्या आपकी पार्टी प्रदेश की जनता के दिल में जगह बना पाएगी ?
जवाब- त्रिपाठी का कहना है कि मुझे विश्वास है कि विंध्य प्रदेश की जनता मेरी आवाज सुनेगी और मैं हमेशा लोगों और विंध्य की जमीन के लिए लड़ता रहा हूं और आगे भी मेरी लड़ाई जारी रहेगी.
सवाल- इस वक्त विपक्षी पार्टियों में एड को लेकर माहौल बना हुआ है वह कहा जाता है की आप विपक्ष में हैं तो आपके यहां एड की रेट जरुर डल सकती है?
जवाब- नारायण त्रिपाठी ने कहा कि मुझे कोई डर नहीं है मेरे पास कुछ नहीं है मैं तो सिर्फ राजनीति के जरिए जनता की सेवा कर रहा हूं.
सवाल- अपने पार्टी बना ली लेकिन जिस तरह से उमा भारती एक कद्दावर नेता हैं लेकिन उनका हश्र क्या हुआ हम सब जानते हैं ?
जवाब- देखिए उमा जी बहुत बड़ी लीडर है और मैं हमेशा उनका सम्मान करता रहा हूं. लेकिन जहां तक मेरा सवाल है तो मैं जमीनी लड़ाई लड़ रहा हूं. हमने 25 प्रत्याशी उतारे हैं और उम्मीद है कि जनता उन्हें आशीर्वाद देगी.
एमपी के दलबदलू नेताओं में नारायण त्रिपाठी का नाम भी: सियासत में पिछले 20 साल में बार-बार दल बदल के लिए चर्चित रहे मैहर से विधायक नरेंद्र त्रिपाठी ने इस बार दल बदलने की कोशिश की लेकिन दाल नहीं गली तो खुद की पार्टी बनाकर भाजपा की मुश्किलें खड़ी करने की प्लानिंग बनाई. चार बार के विधायक रहे त्रिपाठी ने अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से चुनाव लड़ा और जीते, लेकिन इस बार उन्होंने नया दल बनाते हुए अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.
विंध्य प्रदेश की लगातार उठा रहे मांग: विंध्य प्रदेश के लिए मोर्चा खोले बैठे त्रिपाठी ने 2003 में विधानसभा चुनाव मैहर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीता था. BJP के टिकट पर दो बार विधानसभा के लिए चुने जाने से पहले त्रिपाठी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से भी मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे. वह एक समय SP की राज्य इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं. त्रिपाठी ने एक अन्य बीजेपी विधायक शरद कोल के साथ जुलाई 2019 में विधानसभा में एक कानून संशोधन विधेयक के पक्ष में तत्कालीन कांग्रेस विधायकों के साथ मतदान किया था.