भोपाल। भगवान गणेश के वैसे तो कई रूप हैं. लेकिन इनमें से अद्बभुत स्वरूप भोपाल के हबीबगंज स्टेशन के सामने स्थित महागणेश मंदिर में देखने को मिलता है. यहां 10 भुजाओं वाले गणपति विराजते हैं. कहा जाता है कि देश या यूं कहें पूरे विश्व में सिर्फ दो ही ऐसे मंदिर हैं जहां गजानन की 10 भुजाओं वाली प्रतिमा देखने को मिलती है. ऐसा ही एक मंदिर महाराष्ट्र में भी स्थित है. बताया जाता है कि इन मूर्तियों की स्थापना पेशवा ने करवाई थी. हमारे सुधी पाठक ईटीवी भारत में 10 भुजाओं वाले गौरी पुत्र गणेश के दर्शन कर अपने सुख समृद्धि की कामना कर सकते हैं . (10 Arms of Mahaganesha Temple)
महागणेश की 10 भुजाओं में क्या है: वैसे तो भगवान गणेश कई रूपों में विराजमान रहते हैं. कभी पान के पत्ते पर, तो कभी केले के पत्ते पर वह दर्शन देते हैं. गौरी पुत्र की अदभुत 10 भुजाओं में अलग-अलग वस्तु और अस्त्र सुशोभित हो रहे हैं. भगवान के दायें हाथ की सबसे पहली भुजा में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु का चक्र है. दूसरी भुजा में माता दुर्गा का प्रिय फल अनार, तीसरी में धनुष है. चौथी भुजा में भगवान शंकर का प्रिय त्रिशूल और पांचवी में गदा है. इसी प्रकार मूर्ति के बायें हाथ की सबसे पहली भुजा में सुख समृद्धि का कलश है, दूसरी भुजा में भगवान का दंत है, तीसरी भुजा में हरियाली का प्रतीक धान है, चौथी भुजा में पाश है और पांचवीं भुजा में माता महालक्ष्मी का कमल है. (MP Lord Ganesha Rare Statue)
प्रतिमा का इतिहास: पंडितों के अनुसार, देशभर में महागणेश की सिर्फ दो ही ऐसी प्रतिमा है, जिनकी स्थापना महाराज पेशवा ने करवाई थी. पेशवा शासनकाल में ही महाराष्ट्र और उसके कई साल बाद भोपाल में इस प्रतिमा की स्थापना की गई. जिसमें भगवान गणेश की 10 भुजाएं हैं. मंदिर के बाहर लगे पटल पर भी इससे जुड़ी तमाम जानकारी लिखी हुई है. यहां सेवा करने वाले पंडित बताते हैं की भगवान गणेश की इस प्रतिमा का वेदों में भी अलग महत्व है. शिव पार्वती के विवाह के समय 10 भुजाधारी गणेश की ही पूजा की गई थी. साथ ही एकदंत दयावंत की सर्वाधित प्रिय चीजों का जब भी जिक्र आता है तो उन्हें दुर्बा और मोदक चढाना उनके भक्त नहीं भूलते. (Bhopal Mahaganesha temple)
प्लास्टिक की 20 हजार बोतलों से तैयार की 20 फीट ऊंची गणेश प्रतिमा
लोगों की आस्था का केंद्र: 10 भुजाधारी, मूस की सवारी करने वाले भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामना की पूर्ति होती है. यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि कोई भी समस्या मन में हो तो उसे भगवान के सम्मुख रखने से उसका समाधान हो जाता है. यहां आने वाले भक्त बताते हैं कि 1982 में यहां एक छोटी प्रतिमा की स्थापना की गई थी. उसके बाद से ही आचार्य के कहने पर गणपति की इस दुर्लभ और नयनाभिराम प्रतिमा की स्थापना 1982 में की गई. तब से लेकर अब तक इस मूर्ति की पूजा करने सैकड़ों लोग नियमित यहां आते हैं और मन वांछित फल पाकर धन्य हो जाते हैं। इसी तरह की गणपति बप्पा की एक और अलौकिक प्रतिमा महाराष्ट्र के सतारा में है. (Lord Ganesha Famous Statue in Bhopal)