इंदौर(पीटीआई) मध्य प्रदेश के इंदौर में एक व्यक्ति को सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर आवेदन पर जानकारी 40 हजार पन्नों में मिली, जिन्हें वह अपने एसयूवी वाहन में भरकर घर ले गया. इस जानकारी के लिए आवेदक धर्मेंद्र शुक्ला को प्रति पृष्ठ निर्धारित 2 रुपये का भुगतान भी नहीं करना पड़ा, क्योंकि उसके आवेदन का एक महीने के भीतर जवाब नहीं दिया गया था.
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ऐसी मांगी जानकारी कि SUV हो गई फुल: धर्मेंद्र शुक्ला ने शनिवार को कहा कि "मैंने इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के पास एक आरटीआई आवेदन दायर कर कोरोना काल के दौरान दवाओं, चिकित्सकीय उपकरणों और अन्य सामग्री की खरीद से संबंधित निविदाओं एवं बिल भुगतान का विवरण मांगा था. चूंकि, मुझे एक महीने के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई, इसलिए मैंने प्रथम अपीलीय अधिकारी डॉ. शरद गुप्ता से संपर्क किया, जिन्होंने अर्जी स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि मुझे सूचना निशुल्क उपलब्ध कराई जाए. लेकिन जब मुझे इसका जबाब मिला तो वह 40,000 के पेपर रूपी दस्तावेजों में मिला. जब मैं पेपरों को घर ला रहा तो मेरी पूरी एसयूवी दस्तावेजों से भर गई थी, केवल चालक की सीट खाली थी.

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सरकारी खजाने को 80,000 रुपये का नुकसान: संपर्क करने पर अपीलीय अधिकारी और राज्य स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक डॉ. शरद गुप्ता ने कहा कि "मैंने आदेश दिया है कि जानकारी मुफ्त दी जाए. सीएमएचओ को उन कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है, जिनके कारण समय पर जानकारी नहीं दिए जाने की वजह से सरकारी खजाने को 80,000 रुपये का नुकसान हुआ."