इंदौर। हिंदूवादी नेता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि साल 1992 में जिस तरह से हिंदुओं के जागने पर हजारों साल का कलंक धुला, उसी तरह से आज भी जागने की है जरूरत है. उन्होंने कहा कि सभी कथा प्रचारकों को चाहिए कि वह अपने सभी भक्तों को भगवान की भक्ति के साथ ही राष्ट्र की रक्षा के लिए प्रेरित करें. राजेंद्र चौधरी ने इसके साथ ही कहा कि माता-बहनों और गौमाता की रक्षा की शिक्षा दी जानी चाहिए. जिससे ऐसी घटनाओं की पुनवृत्ति न हो.
अपनी ताकत को समझें हिंदू : राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अगर वास्तव में हिंदू जाग गया तो हमारी माता-बहनों को फिर से 'द कश्मीर फाइल' और 'द केरला स्टोरी' फिल्म जैसी फिल्म देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह हिंदू समाज हनुमान जी के समान है. इसे अपनी ताकत का अनुमान नहीं है. यदि कोई ध्यान दिलाएगा तो 2 सेकंड में समुद्र को लांघ देगा और लंका को जला देगा और पुनः रामजी के समक्ष उपस्थित हो जाएगा. यदि हिंदू समाज को अपनी शक्ति का आभास हो गया तो 1992 में क्या हुआ था. हजारों साल का कलंक धुल गया था. यदि इसे अपनी ताकत का भान हो गया तो श्री राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा, जितना भी संत समाज है, इसको राष्ट्र रक्षा के प्रति जागृत करते रहना चाहिए.
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लगातार दे रहे ऐसे बयान : हिंदूवादी राजेंद्र चौधरी ने इंदौर के एक कार्यक्रम में जिस तरह का बयान दिया है, उसके कई कयास लगाए जा रहे हैं. बता दें कि मालेगांव ब्लास्ट से बरी होने के बाद इंदौर के देपालपुर में जबरेश्वर सेना के नाम से लगातार राजेंद्र चौधरी अलग-अलग तरह के कार्यक्रम कर रहे हैं और लगातार हिंदुओं को एक करने में जुटे हुए हैं. इसके पहले भी उन्होंने एक कार्यक्रम में विवादित बयान दिया था, जिसके कारण वह सुर्खियों में आ चुके हैं.
मालेगांव में 2008 में हुआ ब्लास्ट : महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 की रात को 9.35 पर बम धमाका हुआ था. यह धमाका मोटरसाइकिल में हुआ था. इस ब्लास्ट में 6 लोग मौत का शिकार हुए थे. इसके साथ ही 101 लोग घायल हुए थे. ये ब्लास्ट पूरी तरह से आतंक से जुड़ा था. महाराष्ट्र की एटीएस ने इस मामले की जांच शुरू की. एक माह बाद इस केस में UAPA व MCOCA की धारा लगाई गई. साल 2011 में इस केस की जांच एनआईए को सौंपी गई. NIA ने 13 मई 2016 को चार्जशीट दायर की. इसमें 6 आरोपियों के खिलाफ खिलाफ सबूत नहीं मिलने की बात कोर्ट में रखी गई. आरोपियों में प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण करसंग्रा, श्याम भंवर लाल साहू, प्रवीण तकलकी, लोकेश शर्मा और धनसिंह चौधरी का नाम था.