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मध्य देश में चर्चित कांग्रेस की ये हाईप्रोफाइल सीट, क्या छिंदवाड़ा में ट्रेंड बदलेगा वोटर

MP High Profile Seat Chhindwara:एमपी की हाई प्रोफाइल सीट छिंदवाड़ा चर्चाओं में इसलिए बनी हुई है, क्योंकि पहले तो यह कमलनाथ का गढ़ माना जाता है. दूसरा खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यहां से चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं सबसे बड़ी और अलग बात यहां मतदाता किसी विधायक को दूसरा मौका नहीं देते. जिसके चलते कहा जा रहा है कि क्या रिवाज बदलेगा या ट्रेंड जारी रहेगा. पढ़िए छिंदवाड़ा से महेंद्र राय की रिपोर्ट...

MP High Profile Seat Chhindwara
क्या बदलेगी रिवायत
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 21, 2023, 8:36 PM IST

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में एक छिंदवाड़ा विधानसभा भी है. जहां जीतने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई केंद्रीय मंत्रियों ने छिंदवाड़ा में ताकत झौंक दी, लेकिन छिंदवाड़ा विधानसभा के 2003 के बाद नतीजा देखें तो यहां की जनता ने किसी भी विधायक को दूसरी बार मौका नहीं दिया है. यह कमलनाथ का दूसरा मौका है. जब वे विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. क्या जनता रिवाज कायम रखेगी या फिर वोटर अपना ट्रेंड कायम रखेगा.

2003 के बाद किसी भी विधायक को एकसाथ दोबारा नहीं मिला मौका: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव मैदान में थे. 17 नवंबर को इसके लिए मतदान हुआ और परिणाम 3 दिसंबर को आने हैं. छिंदवाड़ा विधानसभा के पिछले 20 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो छिंदवाड़ा विधानसभा की जनता ने किसी भी विधायक को एक साथ दो बार मौका नहीं दिया है. 2003 के विधानसभा में जब छिंदवाड़ा की आठों विधानसभा भाजपा के कब्जे में थी. उस दौरान छिंदवाड़ा विधानसभा से चौधरी चंद्रभान सिंह चुनाव जीत कर आए थे, लेकिन 2008 के चुनाव में यहां से जनता ने कांग्रेस के दीपक सक्सेना को मैदान में उतारा और जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया.

Kamal Nath Congress candidate
कमलनाथ कांग्रेस प्रत्याशी

साल 2013 में एक बार फिर से कांग्रेस ने दीपक सक्सेना को मैदान में लाया तो भारतीय जनता पार्टी ने चौधरी चंद्रभान सिंह पर विश्वास जताया था, लेकिन जनता ने भारतीय जनता पार्टी के चौधरी चंद्रभान सिंह को चुनाव 2018 के चुनाव में एक बार नकार दिया. कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरे दीपक सक्सेना को टिकट दिया और जनता ने उन्हें जिता दिया.

दीपक सक्सेना ने दिया था इस्तीफा, कमलनाथ जीते थे उपचुनाव: 2018 जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कमलनाथ CM बने. उस दौरान कमलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद थे. कमलनाथ को मध्य प्रदेश विधानसभा का सदस्य बनना अनिवार्य था. उनके लिए छिंदवाड़ा विधानसभा के विधायक दीपक सक्सेना ने इस्तीफा दिया और कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से 2019 में उपचुनाव लड़ा. इस चुनाव में कमलनाथ के मुकाबले में भाजपा ने युवा चेहरा विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा, हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ उपचुनाव में 25837 वोटों से जीत गए थे.

Vivek Bunty Sahu BJP candidate
विवेक बंटी साहू बीजेपी प्रत्याशी

यहां पढ़ें...

कमलनाथ का दूसरा चुनाव वोटर के ट्रेंड को लेकर चर्चाओं का दौर जारी: 2023 की विधानसभा चुनाव में एक बार फिर छिंदवाड़ा विधानसभा से कमलनाथ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े हैं, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने विवेक बंटी साहू को फिर से मौका दिया है. छिंदवाड़ा के वोटर ट्रेंड को अगर देखा जाए तो किसी भी विधायक को एक साथ दूसरी बार मौका नहीं मिला है. राजनीतिक जानकारों की माने तो छिंदवाड़ा में मुकाबला काफी कड़ा था. भारतीय जनता पार्टी के विवेक बंटी साहू ने मतदाताओं के घर-घर जाकर संपर्क किया, तो वहीं खुद कमलनाथ ने पूरे चुनाव को गंभीरता के साथ रणनीति के तहत लड़ा है. उन्होंने भी नुक्कड़ सभाओं से लेकर रोड शो के जरिए लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया है. अगर कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव जीतते हैं, तो रिवाज बदल जाएगा या फिर मतदाताओं ने अपने ट्रेंड को कायम रखा तो बीजेपी के लिए इतिहास बन जाएगा.

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों में एक छिंदवाड़ा विधानसभा भी है. जहां जीतने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई केंद्रीय मंत्रियों ने छिंदवाड़ा में ताकत झौंक दी, लेकिन छिंदवाड़ा विधानसभा के 2003 के बाद नतीजा देखें तो यहां की जनता ने किसी भी विधायक को दूसरी बार मौका नहीं दिया है. यह कमलनाथ का दूसरा मौका है. जब वे विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. क्या जनता रिवाज कायम रखेगी या फिर वोटर अपना ट्रेंड कायम रखेगा.

2003 के बाद किसी भी विधायक को एकसाथ दोबारा नहीं मिला मौका: मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव मैदान में थे. 17 नवंबर को इसके लिए मतदान हुआ और परिणाम 3 दिसंबर को आने हैं. छिंदवाड़ा विधानसभा के पिछले 20 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो छिंदवाड़ा विधानसभा की जनता ने किसी भी विधायक को एक साथ दो बार मौका नहीं दिया है. 2003 के विधानसभा में जब छिंदवाड़ा की आठों विधानसभा भाजपा के कब्जे में थी. उस दौरान छिंदवाड़ा विधानसभा से चौधरी चंद्रभान सिंह चुनाव जीत कर आए थे, लेकिन 2008 के चुनाव में यहां से जनता ने कांग्रेस के दीपक सक्सेना को मैदान में उतारा और जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया.

Kamal Nath Congress candidate
कमलनाथ कांग्रेस प्रत्याशी

साल 2013 में एक बार फिर से कांग्रेस ने दीपक सक्सेना को मैदान में लाया तो भारतीय जनता पार्टी ने चौधरी चंद्रभान सिंह पर विश्वास जताया था, लेकिन जनता ने भारतीय जनता पार्टी के चौधरी चंद्रभान सिंह को चुनाव 2018 के चुनाव में एक बार नकार दिया. कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरे दीपक सक्सेना को टिकट दिया और जनता ने उन्हें जिता दिया.

दीपक सक्सेना ने दिया था इस्तीफा, कमलनाथ जीते थे उपचुनाव: 2018 जब मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कमलनाथ CM बने. उस दौरान कमलनाथ छिंदवाड़ा से सांसद थे. कमलनाथ को मध्य प्रदेश विधानसभा का सदस्य बनना अनिवार्य था. उनके लिए छिंदवाड़ा विधानसभा के विधायक दीपक सक्सेना ने इस्तीफा दिया और कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से 2019 में उपचुनाव लड़ा. इस चुनाव में कमलनाथ के मुकाबले में भाजपा ने युवा चेहरा विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा, हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ उपचुनाव में 25837 वोटों से जीत गए थे.

Vivek Bunty Sahu BJP candidate
विवेक बंटी साहू बीजेपी प्रत्याशी

यहां पढ़ें...

कमलनाथ का दूसरा चुनाव वोटर के ट्रेंड को लेकर चर्चाओं का दौर जारी: 2023 की विधानसभा चुनाव में एक बार फिर छिंदवाड़ा विधानसभा से कमलनाथ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े हैं, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने विवेक बंटी साहू को फिर से मौका दिया है. छिंदवाड़ा के वोटर ट्रेंड को अगर देखा जाए तो किसी भी विधायक को एक साथ दूसरी बार मौका नहीं मिला है. राजनीतिक जानकारों की माने तो छिंदवाड़ा में मुकाबला काफी कड़ा था. भारतीय जनता पार्टी के विवेक बंटी साहू ने मतदाताओं के घर-घर जाकर संपर्क किया, तो वहीं खुद कमलनाथ ने पूरे चुनाव को गंभीरता के साथ रणनीति के तहत लड़ा है. उन्होंने भी नुक्कड़ सभाओं से लेकर रोड शो के जरिए लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया है. अगर कमलनाथ छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव जीतते हैं, तो रिवाज बदल जाएगा या फिर मतदाताओं ने अपने ट्रेंड को कायम रखा तो बीजेपी के लिए इतिहास बन जाएगा.

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