ग्वालियर। मध्य प्रदेश में पहली बार ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में "अनुवाद तकनीक (Translation Technique)" शुरू की जा रही है. इस तकनीक के माध्यम से आप दुनिया की कोई भी रिसर्च अपनी भाषा में पढ़ सकते हैं. इसमें तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम जैसी अनेक भाषाओं के लेखकों की स्क्रिप्ट ऑडियो और वीडियो का उसी भाषा में अनुवाद हो सकेगा.
मध्य प्रदेश में पहली बार इसका प्रयोग ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में किया जा रहा है. भारत में भी संभवत चुनिंदा ही जगह पर यह प्रयोग हुआ है. सेंट्रल लाइब्रेरी में इसकी तैयारियां पूरी हो चुकी है. अप्रैल 2024 से इस तकनीक का प्रयोग शुरू हो जाएगा.
दुनियाभर के लेखकों की किताब को उपलब्ध कराने की कोशिश: ग्वालियर की सेंट्रल लाइब्रेरी में शुरू होने वाली "अनुवाद तकनीक" के माध्यम से तमिल की रामायण धार्मिक पुस्तक या फिर विश्व प्रसिद्ध किसी भी लेखक के साहित्य का ऑडियो वीडियो सेंट्रल लाइब्रेरी में पाठक को उसकी भाषा में उपलब्ध कराया जाएगा. जैसे किसी पाठक को रूस के लेखक की कोई पुस्तक पढ़नी है, जो रशियन भाषा में है.
इस तकनीक के माध्यम से वही बुक हिंदी या पाठक की पसंद की किसी भी भाषा में अनुवाद करके इस समय मिल जाएगी. सेंट्रल लाइब्रेरी में सबसे पहले इसका उपयोग ऑडियो और वीडियो पर किया जा रहा है उसके बाद स्क्रिप्ट पर सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाएगा।
सेंट्रल लाइब्रेरी के मैनेजर ने क्या बताया: सेंट्रल लाइब्रेरी के मैनेजर विवेक कुमार सोनी ने ईटीवी भारत (ETV Bharat Excluisve Story) बातचीत में बताया है, "इसका प्रयोग मध्य प्रदेश में पहली बार किया जा रहा है. अभी तक यह तकनीक देश के कुछ संस्थाओं के पास है. सेंट्रल लाइब्रेरी में संविधान की ऑरिजिनल कॉपी, 1912 से 2008 तक के गजट की मूल कॉपी, 200 साल पुरानी पुस्तकों की संग्रह करने वाली जैसी कई खूबियां सेंट्रल के पास है.
इस तकनीक के आने से लाइब्रेरी में मौजूद अलग-अलग भाषाओं के लेखकों की ऑडियो वीडियो को हिंदी सहित किसी भी भाषा में अनुवाद किया जा सकेगा, ताकि यहां पर आने वाले छात्रों को मिलने वाली जानकारी में इजाफा हो सके.
अलग सब्जेक्ट में 91 हजार किताबें हैं: सेंट्रल लाइब्रेरी के मैनेजर का कहना है- "लाइब्रेरी में अलग-अलग विषय की लगभग 91 हजार से अधिक किताबें हैं. इसी वजह से यहां पर हर-भारत का व्यक्ति इसका अध्ययन करने के लिए आता है. लाइब्रेरी में 15000 से अधिक लोगों का पंजीयन है. वर्तमान में लगभग 1500 सदस्य एक्टिव है. इसके अलावा स्टूडेंट कॉर्नर में 850 छात्राओं का रजिस्ट्रेशन है, जो रोज नियमित यहां पढ़ने के लिए आते हैं.
उन्होंने बताया है कि इस तकनीक लाभ यहां पर पढ़ने वाले स्टूडेंट को मिलेगा. साथ ही जो सेंट्रल लाइब्रेरी का मेंबर है, उसको भी यह सुविधा कराई जाएगी, जिसका अलग से चार्ज किया जाएगा.
उत्साहित दिखे स्टूडेंट: वही सेंट्रल लाइब्रेरी में अध्ययन करने के लिए आ रहे स्टूडेंट्स का कहना है- "तकनीक के आने के बाद उन्हें सबसे अधिक फायदा होगा. क्योंकि यूपीएससी के अलावा रिसर्च जैसे फील्ड में कई विदेशी किताबें अलग-अलग भाषाओं में है, जो उन्हें समझ में नहीं आती है. इस तकनीक के माध्यम से उन्हें अपनी भाषा में ट्रांसलेट कर उनको समझने का अवसर प्राप्त होगा.
उनका आईआईटी, यूपीएससी या मेडिकल क्षेत्र में अलग-अलग राज्यों में कई ऐसे बहुत अच्छी टीचर से जो अपनी-अपनी भाषा में समझते हैं, इस तकनीक के माध्यम से हम उन्हें आसानी से समझ सकते हैं. इसके अलावा छात्रों का कहना है कि देश के अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग देशी की अच्छी बुक है, लेकिन उनकी भाषाओं की वजह से वह समझ नहीं पाते हैं. इस तकनीक के माध्यम से उन्हें बेहद लाभ होगा.
विवेक कुमार सोनी ने बताया है- "इस तकनीक भाषा को बदलने के लिए एक सॉफ्टवेयर का उपयोग होता है. जो वीडियो या ऑडियो की भाषा को बदलना है, उसको सॉफ्टवेयर में लोड करना होगा. जैसे ही उसे लोड किया जाएगा, तो उसमें भाषा का ऑप्शन आएगा. आप जिस भाषा में चाहते हैं. वहां पर क्लिक करना होगा. उसके बाद वह ऑडियो आपकी चाही गई भाषा में बोलेगा.
ऐसे ही स्क्रिप्ट या किताब को चाही गई भाषा में बदलने के लिए उसकी पीडीएफ फाइल को सॉफ्टवेयर में अपलोड करना पड़ेगा. उसके बाद हम जिस भाषा में चाहते हैं, उसे भाषा की पीडीएफ कॉपी आपको उपलब्ध हो जाएगी.