इंदौर। कहते हैं जो बोल और सुन नहीं सकते, उनके मन में भी भक्ति होती है. यह बात और है कि वह अपनी आस्था और भक्ति अपने तरीके से अभिव्यक्त करते हैं. इंदौर में सैकड़ो मूक बधिर बच्चों के बीच कुछ ऐसी ही आस्था और भक्ति इन दिनों गणेश उत्सव के दौरान सामान्य लोगों को भी आश्चर्यचकित कर रही है. दरअसल शहर के डीफ बाइलिंगुअल अकेडमी के बच्चों ने खुद बोल और सुन नहीं पाने के कारण गणेश जी की आरती साइन लैंग्वेज में तैयार की है. जो गणेश उत्सव से लगातार उनकी अपनी भाषा में सुबह शाम व्यक्त हो रही है, आइए देखते हैं, साइन लैंग्वेज में गणेश जी की आस्था में तैयार की गई मूक-बधिर बच्चों की खास आरती.
मूक बधिर संस्थान ने की बप्पा की स्थापना: इंदौर के मूक-बधिर संस्थान, डीफ बाइलिंगुअल अकेडमी में होती इस आरती में आपको आरती के बोल और वंदना भले सुनाई नहीं दे रही हो, लेकिन आरती करने वाले यह सैकड़ों बच्चे अपने मन की बात आरती के जरिए भगवान गणेश तक बखूबी पहुंच पा रहे हैं. दरअसल देश के लगभग हर राज्य के और शहर से आकर यहां पढ़ाई करने वाले केजी क्लास लेकर कॉलेज क्लास तक के बच्चों ने जब गणेश उत्सव के दौरान देखा कि पूरे शहर में जगह-जगह पूजा पाठ और आरती हो रही है, जो वह ना सुन सकते हैं, न समझ कर ही बयां कर पाते थे, लिहाजा उन्होंने भी इस साल अपनी संस्था में न केवल गणेश जी की स्थापना का फैसला किया, बल्कि खुद आरती भी तैयार की.
चंद्रयान की थीम पर बप्पा और साइन लैंग्वेज में हुई आरती: बच्चों के इस फैसले में संस्था से जुड़े पंडित जी ने भी उनकी मदद की और मिशन चंद्रयान थीम पर गणेश जी की भव्य झांकी की स्थापना कराई गई. इसके बाद उन्हें आरती का मतलब साइन लैंग्वेज में समझाते हुए पूरी आरती तैयार कराई, फिर आरती के लिए अलग-अलग टीम लीडरों को दो-दो घंटे की ट्रेनिंग देने के बाद संस्था में गणेश जी की आराधना का ऐसा माहौल बना की संस्था के करीब 300 से ज्यादा बच्चे हर दिन रात में बाकायदा गणेश उत्सव की ड्रेस के साथ और पूजा पाठ के सारे संसाधनों के साथ साइन लैंग्वेज में आरती गाने लगे. अब स्थिति यह है कि वह अन्य लोगों की तरह ही साइन लैंग्वेज में अनूठी आरती की प्रस्तुति सुबह शाम होने वाली आरती में लगातार कर रहे हैं. इन बच्चों में कोई भगवान गणेश से न केवल अपनी पढ़ाई में सफल होने और आत्मनिर्भर होने की प्रार्थना कर रहा है, तो कोई अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर पा रहा है.
भक्ती में डूब जाते हैं मूक बधिर बच्चे: हालांकि गणेश उत्सव के पहले वह ईश्वर और आराधना को तो समझते थे, लेकिन पूजा-पाठ, उपवास और आरती किस तरीके से होती है. इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी. हालांकि अब वे जब भक्ति में डूब कर साइन लैंग्वेज में आरती गाते हैं, तो उनका भी मन भक्ति में डूब जाता है और पूजा पाठ के बाद वह खुश और शांत महसूस करते हैं. इस दौरान जो लोग उन्हें साइन लैंग्वेज में आरती करते देखते हैं. वह भी अभिभूत हो जाते हैं. यह देखकर की साइन लैंग्वेज में आरती करने वाले मूक-बधिर बच्चे अपनी भावनाओं की बदौलत न केवल भगवान के ज्यादा करीब हैं. बल्कि उनकी आस्था और प्रार्थना में पूरी पवित्रता और समर्पण है.
इंदौर से उज्जैन जाकर देंगे बप्पा को विदाई: आज अनंत चतुर्दशी के दिन यह सभी बच्चे बाकायदा अपनी खास शैली में आरती करने के साथ भगवान गणेश को विदाई देंगे. बल्कि खुद भी उज्जैन पहुंचकर गणेश जी का विसर्जन करेंगे. इस प्रार्थना के साथ कि ईश्वर ने उन्हें शारीरिक रूप से जो अक्षमता दी है. वही प्रार्थना के बाद उनके जीवन में सक्षम बनते हुए उनके आत्मनिर्भर और सफल होने का माध्यम भी बन सके.