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2022 के चुनाव पर नजर : कैबिनेट विस्तार में गुजरात के सांसदों को मिली जगह - 2022 के चुनाव पर नजर

मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के साथ केंद्रीय स्तर पर गुजरात का महत्व बढ़ गया है. गुजरात के सांसदों को तमाम मुद्दों को ध्यान में रखते हुए मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है. दिसंबर 2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव (gujarat-assembly-poll) के लिए राजनीतिक समीकरण पहले ही सेट हो चुके हैं. 'ईटीवी भारत' की विशेष रिपोर्ट.

कैबिनेट विस्तार में गुजरात के सांसदों को मिली जगह
कैबिनेट विस्तार में गुजरात के सांसदों को मिली जगह
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Published : Jul 7, 2021, 10:12 PM IST

अहमदाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट विस्तार (cabinet extension) की घोषणा की है जिसमें गुजरात के 3 और सांसदों को बर्थ मिली है. साथ ही पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया राज्य मंत्री थे, उन्हें कैबिनेट स्तर पर पदोन्नत किया गया है. इस प्रकार 26 लोकसभा सीटों में से अब 4 सांसद और 11 राज्यसभा सीटों में से 3 सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं. मोदी कैबिनेट में कुल 7 सांसदों को जगह मिली है. गुजरात के इस प्रतिनिधित्व के साथ, महत्व भी बढ़ गया है.

मोदी कैबिनेट में सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात को प्रतिनिधित्व मिला है. खेड़ा के देवू सिंह चौहान, सुरेंद्रनगर के डॉ. महेंद्र मुंजपुरा और सूरत के दर्शन जरदोश को जगह मिली है. इस तरह राज्य के सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात क्षेत्रों को महत्व दिया गया है. देवू सिंह चौहान ओबीसी हैं, जबकि दर्शना जरदोश दक्षिण गुजरात का प्रतिनिधित्व करती हैं. डॉ. महेंद्र मुंजपुरा कोली समुदाय से आते हैं.

कदवा और लेउवा पाटीदार नेताओं को प्रमोशन

पुरुषोत्तम रूपाला कदवा पाटीदार और मनसुख मांडविया लेउवा पाटीदार हैं, दोनों को पदोन्नत किया गया है और उन्हें कैबिनेट स्तर की बर्थ प्राप्त हुई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी गुजरात से हैं. केंद्र स्तर पर देखें तो पीएम मोदी समेत कुल 8 गुजराती हैं.

क्या मोदी कैबिनेट ने जाति समीकरण को ध्यान में रखा?

2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ मोदी और अमित शाह पिछले कुछ समय से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. दोनों नेता अक्सर राज्य का दौरा करते रहे हैं और भाजपा के राज्य नेतृत्व के साथ बैठक भी कर रहे हैं. साथ ही हाल ही में जाति के राजनीतिक समीकरण ने राज्य में काफी हलचल पैदा कर दी है. विभिन्न जातियों के लोग मांग कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री को उनकी जाति का होना चाहिए. यह मांग जो शुरू में मजबूत पाटीदार कुलों से आई थी, उसके बाद कोली और ठाकोर से भी आई. यही वजह है कि मोदी के मंत्रिमंडल के विस्तार पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है. दो पाटीदार, एक ओबीसी और एक महिला को जगह मिली है.

2022 के विधानसभा चुनाव के लिए मंच तैयार

गुजरात विधानसभा चुनाव दिसंबर 2022 में होना है. राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) तीसरी पार्टी के रूप में उभरी है यही वजह है कि भाजपा ने अभी से राजनीतिक समीकरण बनाना शुरू कर दिया है. गुजरात में मशहूर कहावत है कि 'अगर किसी के मायके में डिनर हो और मां खाना बना रही हो तो और क्या मांगेगा' केंद्र की मोदी कैबिनेट में गुजरात का महत्व बढ़ गया है.

जानिए कैबिनेट में जगह पाने वाले नेताओं के बारे में

पुरुषोत्तम रुपाला : गुजरात में प्रभावशाली कड़वा पाटीदार या पटेल समुदाय से आने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम रुपाला एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य रहे और 80 के दशक में भाजपा में शामिल हो राजनीति में आने से पहले पांच साल तक अमरेली नगर निकाय के मुख्य अधिकारी रहे.

अमरेली जिले के रहने वाले रुपाला (68) ने जल्द ही पार्टी में अपनी जगह बना ली और वह 1991 में अमरेली सीट से पहली बार विधायक बने तथा उन्होंने 2002 तक दो और बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह 1995 से 2002 तक तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे.

रुपाला 2006 में भगवा पार्टी की गुजरात ईकाई के अध्यक्ष बने और 2010 तक इस पद पर रहे जब उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. अपने अनूठे और विनोदी वाक् कौशल के लिए पहचाने जाने वाले रुपाला चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ग्रामीण जनता को पार्टी के साथ बांधते रहे हैं.

उनके आधिकारिक बायोडेटा के अनुसार, बीएससी और बीएड डिग्री रखने वाले रुपाला 1988 से 1991 तक अमरेली जिला भाजपा के अध्यक्ष रहे और उन्होंने 1991 से 2002 तक तीन बार अमरेली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

रुपाला ने 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के परेश धनानी से हारने के बाद फिर कभी राज्य में चुनाव नहीं लड़ा. उन्हें 2008 में राज्यसभा के लिए पहली बार नामांकित किया गया और वह 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. 2016 में उन्हें फिर से गुजरात से राज्यसभा भेजा गया और उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.

दर्शना जरदोश : तीन दशकों तक गुजरात भाजपा के विभिन्न पदों पर रहने के बाद सूरत से लोकसभा सांसद दर्शना जरदोश मोदी सरकार में मंत्री के तौर पर बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं.

जरदोश (60) दर्जी समुदाय से आती हैं जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है. उन्होंने 2009, 2014 और 2019 में तीन बार सूरत से चुनाव जीता. उनके आधिकारिक बायोडेटा के अनुसार, जरदोश 1980 के दशक में सूरत भाजपा की वार्ड नंबर आठ समिति की उपाध्यक्ष रहीं और बाद में 2000 में इसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं. इसके बाद उन्हें सूरत भाजपा की महिला ईकाई का अध्यक्ष बनाया गया और फिर से 2008 तक प्रदेश भाजपा की महिला ईकाई का महासचिव बनाया गया.

सूरत से 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए जरदोश ने कांग्रेस के धीरू गजेरा को 74,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया. जरदोश 2014 और 2019 में दोनों बार पांच लाख से अधिक मतों से आम चुनावों में विजयी हुई.

जरदोश 2009 में सांसद बनने के बाद संसद की विभिन्न समितियों की सदस्य रहीं जैसे कि रसायन और उर्वरकों पर समिति, महिला सशक्तिकरण, वित्त और कारोबार परामर्श पर समिति.

मनसुख मंडाविया : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से भाजपा नेता मनसुख मंडाविया 2016 से केंद्र में मोदी सरकार में एक अहम युवा चेहरे रहे हैं. उन्हें पांच जुलाई 2016 को सबसे पहले सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था. उन्होंने 30 जुलाई 2019 को फिर से रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली और पोत, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला.

भावनगर जिले के हनोल गांव में एक जुलाई 1972 को एक किसान परिवार में जन्मे मंडाविया सबसे पहले 2012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में फिर से राज्यसभा सदस्य बने. इससे पहले वह गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कोरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष भी रहे.

उन्होंने आरएसएस की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और बाद में भाजपा की युवा ईकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) में शामिल हो गए.

मंडाविया 2002 में गुजरात में तब सबसे युवा विधायक बने जब उन्हें पालिताणा निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया. भावनगर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक मंडाविया को लंबी पदयात्रा कराने के लिए जाना जाता है.

उन्हें 2013 में प्रदेश भाजपा का सबसे युवा सचिव बनाया गया और 2014 में महासचिव बनाया गया. साथ ही 2014 में उन्हें भाजपा के सदस्यता अभियान का प्रभारी बनाया गया जिसमें एक करोड़ लोगों को पार्टी में शामिल किया गया. 2015 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया जहां उन्होंने '2030 सतत विकास एजेंडा' पर भाषण दिया.

पढ़ें- Modi Cabinet Expansion : 43 मंत्रियों ने ली शपथ, पीएम बोले- समृद्ध भारत के लिए करेंगे काम

केंद्रीय मंत्री के तौर पर उन्हें किफायती दरों पर 850 से अधिक औषधियां मुहैया कराने वाले 5,100 से अधिक जन औषधि केंद्र खोलने और हृदय के स्टेंट और घुटने के प्रतिरोपण की कीमत कम करने का श्रेय दिया जाता है.

यूनीसेफ ने उन्हें 10 करोड़ सैनिटरी पैड बेचने के लिए जन औषधि केंद्रों की श्रृंखला का इस्तेमाल कर महिला माहवारी स्वच्छता में योगदान देने के लिए सम्मानित किया था.

अहमदाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट विस्तार (cabinet extension) की घोषणा की है जिसमें गुजरात के 3 और सांसदों को बर्थ मिली है. साथ ही पुरुषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया राज्य मंत्री थे, उन्हें कैबिनेट स्तर पर पदोन्नत किया गया है. इस प्रकार 26 लोकसभा सीटों में से अब 4 सांसद और 11 राज्यसभा सीटों में से 3 सांसद केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं. मोदी कैबिनेट में कुल 7 सांसदों को जगह मिली है. गुजरात के इस प्रतिनिधित्व के साथ, महत्व भी बढ़ गया है.

मोदी कैबिनेट में सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात को प्रतिनिधित्व मिला है. खेड़ा के देवू सिंह चौहान, सुरेंद्रनगर के डॉ. महेंद्र मुंजपुरा और सूरत के दर्शन जरदोश को जगह मिली है. इस तरह राज्य के सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात और मध्य गुजरात क्षेत्रों को महत्व दिया गया है. देवू सिंह चौहान ओबीसी हैं, जबकि दर्शना जरदोश दक्षिण गुजरात का प्रतिनिधित्व करती हैं. डॉ. महेंद्र मुंजपुरा कोली समुदाय से आते हैं.

कदवा और लेउवा पाटीदार नेताओं को प्रमोशन

पुरुषोत्तम रूपाला कदवा पाटीदार और मनसुख मांडविया लेउवा पाटीदार हैं, दोनों को पदोन्नत किया गया है और उन्हें कैबिनेट स्तर की बर्थ प्राप्त हुई है. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी गुजरात से हैं. केंद्र स्तर पर देखें तो पीएम मोदी समेत कुल 8 गुजराती हैं.

क्या मोदी कैबिनेट ने जाति समीकरण को ध्यान में रखा?

2022 में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ मोदी और अमित शाह पिछले कुछ समय से राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं. दोनों नेता अक्सर राज्य का दौरा करते रहे हैं और भाजपा के राज्य नेतृत्व के साथ बैठक भी कर रहे हैं. साथ ही हाल ही में जाति के राजनीतिक समीकरण ने राज्य में काफी हलचल पैदा कर दी है. विभिन्न जातियों के लोग मांग कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री को उनकी जाति का होना चाहिए. यह मांग जो शुरू में मजबूत पाटीदार कुलों से आई थी, उसके बाद कोली और ठाकोर से भी आई. यही वजह है कि मोदी के मंत्रिमंडल के विस्तार पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है. दो पाटीदार, एक ओबीसी और एक महिला को जगह मिली है.

2022 के विधानसभा चुनाव के लिए मंच तैयार

गुजरात विधानसभा चुनाव दिसंबर 2022 में होना है. राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) तीसरी पार्टी के रूप में उभरी है यही वजह है कि भाजपा ने अभी से राजनीतिक समीकरण बनाना शुरू कर दिया है. गुजरात में मशहूर कहावत है कि 'अगर किसी के मायके में डिनर हो और मां खाना बना रही हो तो और क्या मांगेगा' केंद्र की मोदी कैबिनेट में गुजरात का महत्व बढ़ गया है.

जानिए कैबिनेट में जगह पाने वाले नेताओं के बारे में

पुरुषोत्तम रुपाला : गुजरात में प्रभावशाली कड़वा पाटीदार या पटेल समुदाय से आने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पुरुषोत्तम रुपाला एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य रहे और 80 के दशक में भाजपा में शामिल हो राजनीति में आने से पहले पांच साल तक अमरेली नगर निकाय के मुख्य अधिकारी रहे.

अमरेली जिले के रहने वाले रुपाला (68) ने जल्द ही पार्टी में अपनी जगह बना ली और वह 1991 में अमरेली सीट से पहली बार विधायक बने तथा उन्होंने 2002 तक दो और बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। वह 1995 से 2002 तक तत्कालीन भाजपा सरकार में मंत्री भी रहे.

रुपाला 2006 में भगवा पार्टी की गुजरात ईकाई के अध्यक्ष बने और 2010 तक इस पद पर रहे जब उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. अपने अनूठे और विनोदी वाक् कौशल के लिए पहचाने जाने वाले रुपाला चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ग्रामीण जनता को पार्टी के साथ बांधते रहे हैं.

उनके आधिकारिक बायोडेटा के अनुसार, बीएससी और बीएड डिग्री रखने वाले रुपाला 1988 से 1991 तक अमरेली जिला भाजपा के अध्यक्ष रहे और उन्होंने 1991 से 2002 तक तीन बार अमरेली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

रुपाला ने 2002 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के परेश धनानी से हारने के बाद फिर कभी राज्य में चुनाव नहीं लड़ा. उन्हें 2008 में राज्यसभा के लिए पहली बार नामांकित किया गया और वह 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. 2016 में उन्हें फिर से गुजरात से राज्यसभा भेजा गया और उन्होंने कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.

दर्शना जरदोश : तीन दशकों तक गुजरात भाजपा के विभिन्न पदों पर रहने के बाद सूरत से लोकसभा सांसद दर्शना जरदोश मोदी सरकार में मंत्री के तौर पर बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं.

जरदोश (60) दर्जी समुदाय से आती हैं जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आता है. उन्होंने 2009, 2014 और 2019 में तीन बार सूरत से चुनाव जीता. उनके आधिकारिक बायोडेटा के अनुसार, जरदोश 1980 के दशक में सूरत भाजपा की वार्ड नंबर आठ समिति की उपाध्यक्ष रहीं और बाद में 2000 में इसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं. इसके बाद उन्हें सूरत भाजपा की महिला ईकाई का अध्यक्ष बनाया गया और फिर से 2008 तक प्रदेश भाजपा की महिला ईकाई का महासचिव बनाया गया.

सूरत से 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ते हुए जरदोश ने कांग्रेस के धीरू गजेरा को 74,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया. जरदोश 2014 और 2019 में दोनों बार पांच लाख से अधिक मतों से आम चुनावों में विजयी हुई.

जरदोश 2009 में सांसद बनने के बाद संसद की विभिन्न समितियों की सदस्य रहीं जैसे कि रसायन और उर्वरकों पर समिति, महिला सशक्तिकरण, वित्त और कारोबार परामर्श पर समिति.

मनसुख मंडाविया : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र से भाजपा नेता मनसुख मंडाविया 2016 से केंद्र में मोदी सरकार में एक अहम युवा चेहरे रहे हैं. उन्हें पांच जुलाई 2016 को सबसे पहले सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया था. उन्होंने 30 जुलाई 2019 को फिर से रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री के तौर पर शपथ ली और पोत, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला.

भावनगर जिले के हनोल गांव में एक जुलाई 1972 को एक किसान परिवार में जन्मे मंडाविया सबसे पहले 2012 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2018 में फिर से राज्यसभा सदस्य बने. इससे पहले वह गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कोरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष भी रहे.

उन्होंने आरएसएस की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और बाद में भाजपा की युवा ईकाई भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) में शामिल हो गए.

मंडाविया 2002 में गुजरात में तब सबसे युवा विधायक बने जब उन्हें पालिताणा निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया. भावनगर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में परास्नातक मंडाविया को लंबी पदयात्रा कराने के लिए जाना जाता है.

उन्हें 2013 में प्रदेश भाजपा का सबसे युवा सचिव बनाया गया और 2014 में महासचिव बनाया गया. साथ ही 2014 में उन्हें भाजपा के सदस्यता अभियान का प्रभारी बनाया गया जिसमें एक करोड़ लोगों को पार्टी में शामिल किया गया. 2015 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया जहां उन्होंने '2030 सतत विकास एजेंडा' पर भाषण दिया.

पढ़ें- Modi Cabinet Expansion : 43 मंत्रियों ने ली शपथ, पीएम बोले- समृद्ध भारत के लिए करेंगे काम

केंद्रीय मंत्री के तौर पर उन्हें किफायती दरों पर 850 से अधिक औषधियां मुहैया कराने वाले 5,100 से अधिक जन औषधि केंद्र खोलने और हृदय के स्टेंट और घुटने के प्रतिरोपण की कीमत कम करने का श्रेय दिया जाता है.

यूनीसेफ ने उन्हें 10 करोड़ सैनिटरी पैड बेचने के लिए जन औषधि केंद्रों की श्रृंखला का इस्तेमाल कर महिला माहवारी स्वच्छता में योगदान देने के लिए सम्मानित किया था.

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