ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित सिंधिया राजघराने को कौन नहीं जानता है. इसे राजघराने में एक ऐसा राजघराना है, जो आज भी राजस्थानी अंदाज से अपना जीवन जीता है. जब सिंधिया राजघराने में कोई त्यौहार या बड़ा आयोजन होता है, तो सिंधिया राजघराने के मुखिया व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी इस राजशाही पोशाक और सिंधिया राजघराने की शान यानी पगड़ी को पहनकर बाहर निकलते हैं. आज हम आपको पगड़ी की ऐसी रोचक कहानी के बारे में बताएंगे, जो सिंधिया राजघराने की शान कही जाती है. यानी सिंधिया राजघराने की पगड़ी काफी पुरानी है. उतना ही इस पगड़ी का इतिहास पुराना और काफी रोचक है.
मुस्लिम परिवार की पांचवी पीढ़ी बना रही पगड़ी: यूं तो पूरे देश भर में कई राजघराने हैं. जो अलग-अलग पोशाक पहनते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा सिंधिया राजघराने की शाही पोशाक हमेशा सुर्खियों में रहती है. सबसे खास बात यह है सिंधिया राजघराना जिस पगड़ी को पहनता है, वह एक मुस्लिम परिवार तैयार करता है. यह मुस्लिम परिवार करीब साढे़ 300 सालों से सिंधिया राजघराने की पगड़ी तैयार कर रहा है. इस मुस्लिम परिवार की पांचवी पीढ़ी सिंधिया राजघराने की शान यानी पगड़ी को तैयार करते हैं. उसके बाद घराने के मुखिया इस पगड़ी को सिर पर धारण करते हैं. इस मुस्लिम परिवार के हाथों में वह जादू है कि सिंधिया परिवार सिर्फ इसी परिवार के हाथों से बनी पगड़ी ही पहनते हैं और इसके अलावा उन्हें कोई पगड़ी रास नहीं आती है.
मोहम्मद रफीक अहमद बनाते हैं पगड़ी: ग्वालियर शहर में स्थित परिवार की पांचवी पीढ़ी के वंशज मोहम्मद रफीक अहमद सिंधिया राजपरिवार की पगड़ी को तैयार कर रहे हैं. उनकी उम्र लगभग 75 के आसपास है और आंखें भी कमजोर होने लगी हैं, लेकिन हाथों में ऐसा जादू है कि सिंधिया राजपरिवार उनके हाथों की बनाई हुई पगड़ी को पहनने से खुद को रोक नहीं पाते है. यही कारण है कि जब सिंधिया राजपरिवार में कोई आयोजन या त्योहार होता है तो उस समय मोहम्मद रफीक अहमद के हाथों की बनी पगड़ी को पहना जाता है. किसी त्योहार या बड़े आयोजन से पहले ही सिंधिया राज परिवार से मोहम्मद रफीक अहमद को नई पगड़ी बनाने का ऑर्डर मिल जाता है. उसके बाद लगभग एक सप्ताह में इस पगड़ी को तैयार किया जाता है और उन्हें सौंप दी जाती है.
सिंधिया राजघराने से मिलता अलग किस्म का कपड़ा: मोहम्मद रफीक अहमद बताते हैं कि उनके परिवार को उज्जैन से सिंधिया राजघराने के राजा प्रथम माधव जी ग्वालियर लेकर आए थे. तब से लेकर अब तक उनका परिवार सिंधिया राजघराने के लिए पगड़ी तैयार करता है. इसके बदले सिंधिया घराने की तरफ से उन्हें हर महीने कुछ पगार दी जाती है. साथ ही सिंधिया राज परिवार की तरफ से उन्हें हर समय मदद भी मिलती है. उनका कहना है कि यह पगड़ी एक सप्ताह में तैयार होती है और सबसे खास बात यह है इस पगड़ी का अलग प्रकार का कपड़ा भी सिंधिया राजघराने की तरफ से ही मिलता है. इस पगड़ी के बनाने का तरीका बिल्कुल पूरी तरह अलग है. यह किसी राजघराने की पगड़ी से नहीं मिलती है. यही कारण है कि इस पगड़ी को बड़े ही अनूठे तरीके से परिवार तैयार करता है. मोहम्मद रफीक अहमद के यहां सिंधिया राज परिवार के सभी सदस्यों की पगड़ी के सांचे रखे हुए हैं. जिस सिंधिया राज परिवार के सदस्य की पगड़ी को तैयार करना होता है, उसी के सांचे के आधार पर पगड़ी तैयार होती है. इसके साथ ही दशहरा के दिन जब सिंधिया राजपरिवार अपनी राजसी पोशाक में देवी-देवताओं को पूजने के लिए बाहर निकलते हैं, तो इस दिन नई पगड़ी पहनते हैं. इसके साथ ही जब कोई बड़ा आयोजन होता है तो उस दिन भी सिंधिया राजपरिवार द्वारा नई पगड़ी तैयार कर उसको पहना जाता है.
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बाबा महाकाल भी धारण करते हैं रफीक के हाथों की बनी पगड़ी: दिलचस्प बात यह है कि इस मुस्लिम परिवार द्वारा बनाई गई पगड़ी को बाबा महाकाल भी पहनते हैं. मोहम्मद रफीक अहमद द्वारा तैयार की जाती है और उसके बाद बाबा महाकाल के दर पर पहुंचती है. वहां बाबा महाकाल इसको धारण करते हैं. मोहम्मद रफीक अहमद ने बताया है कि सिंधिया परिवार की सदस्य यशोधरा राजे सिंधिया की तरफ से साल में दो बार बाबा महाकाल के लिए पगड़ी जाती है. इस मौके पर बाबा महाकाल साल में दो बार उनके हाथों बनी पगड़ी को धारण करते हैं. यह पगड़ी इको फ्रेंडली होती है. सिंधिया राजपरिवार मराठा राजपरिवार है इसलिए इसे मराठा पगड़ी भी कहते हैं. इस समय यह पगड़ी सबसे ज्यादा चर्चित है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि बागेश्वर धाम के कथा वाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इस समय इसी पगड़ी को धारण किए हुए हैं. इस समय धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सिंधिया राजघराने से मिलती-जुलती पगड़ी पहनते हैं. यही कारण है कि उनकी पगड़ी की तुलना सिंधिया राजघराने की पगड़ी से करने लगे हैं, लेकिन मोहम्मद रफीक अहमद ने बताया है कि जो धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पगड़ी पहनते हैं वह पूरी तरह नकल है. सिंधिया राजघराने की पगड़ी सिर्फ उन्हीं के परिवार द्वारा तैयार होती है और सिर्फ सिंधिया राजपरिवार को ही दी जाती है.