सागर। बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज के एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. सर्वेश जैन आए दिन सुर्खियों में रहते हैं. आए दिन इनके कारनामे चर्चा में आते हैं और सागर से लेकर राजधानी भोपाल तक हडकंप मच जाता है. दरअसल डाॅ. सर्वेश जैन एक शासकीय कर्मचारी होने के बावजूद सर्विस रूल को ताक पर रखकर सीधे पीएमओ को चिट्ठी लिख देते हैं. पिछले महीनों उन्होंने सरकारी अस्पातालों की दुर्दशा सुधारने के लिए सीधा प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख दी थी और सलाह दी थी कि अस्पतालों में सुधार के लिए जरूरी है कि देश भर के VVIP जिनमें नेता, नौकरशाह हैं वो सरकारी अस्पतालों में इलाज कराएं. हालांकि उनको तत्काल नोटिस भी मिल गया था. अब उन्होंने फिर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर रजिस्ट्री कराने में लगने वाली रिश्वत के बारे में जानकारी दी है. हालांकि अभी तक उनको नोटिस नहीं मिला है, लेकिन उनके इस पत्र से एक बार फिर प्रशासनिक हलकों में हडकंप मच गया है.
रजिस्ट्री के लिए मांगी रिश्वत, पीएम को लिखी चिट्ठी: बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज के डाॅ. सर्वेश जैन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस बार प्लाॅट की रजिस्ट्री कराने में लगने वाली रिश्वत के बारे में चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि "मेरे स्वर्गीय पिता का सपना था कि सागर शहर में मेरा अपना एक भूखंड हो, जिस पर मैं अपने वेतन और नियमानुसार की गयी सरकारी प्रेक्टिस से एक मकान बनवा सकूं. जो मेरे शासकीय सेवा से निवृत्त होने के बाद मेरा आसरा बने.'' आगे उन्होंने लिखा है कि "इसके लिए मैनें एक भूखंड खरीदा, लेकिन उसे खरीदने में इतनी सारी फीस और रिश्वत से मेरा उत्साह और देशभक्ति काफूर हो गया.''
रिश्वत दे देकर थक गया: डाॅ. सर्वेश जैन ने लिखा ''रजिस्ट्री कराने गए तो स्टांप फीस के अलावा ऑफिस का खर्च नाम से हस्तलिखित पर्ची मिली. जिस पर दी जाने वाली रिश्वत का ब्यौरा था. रजिस्ट्री के बाद नामांतरण के दो बार 10-10 हजार रूपए देने पड़े. इसके बाद डायवर्सन में करीब एक लाख रूपए लगे, जिसमें पचास हजार रेडक्रास सोसायटी की रसीद के नाम पर लिए गए.'' डाॅ सर्वेश जैन ने आगे लिखा है कि ''इन सब कामों को कराने अब नक्शा पास कराने के लिए एक लाख दस हजार रूपए रिश्वत मांगी जा रही है, जिसमें 55 हजार की रसीद मिलेगी.''
फीस हो या रिश्वत सिंगल विंडो व्यवस्था की जाए: डॉ. सर्वेश जैन प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में आगे लिखते हैं कि ''ये सब नाटक पिछले दो तीन साल में हुआ है और मेरी समझ के अनुसार इस मामले में हमारी व्यवस्था दोषी है. आज के कम्प्यूटर के दौर में सारे काम सिंगल डोर से होना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार कम हो और आम आदमी को फीस या रिश्वत जो भी देना है, वो एक जगह पर एक बार में ली जाए.'' उन्होंने आगे लिखा है कि ''इस चिट्ठी के बाद मेरे आरोपों के प्रमाण मांगे जाएंगे. लेकिन क्या यह सबूत ही पर्याप्त नहीं है कि इस पूरे वाक्ये में बताए गए कर्मचारी और अधिकारियों की संपत्ति आय से अधिक है. लोकायुक्त या ईओडब्ल्यू से उम्मीद करना बेकार है क्योंकि वो आम आदमी को परेशान करने में ज्यादा रूचि लेती है.''
अनुशासन के डंडे का डर नहीं: एक बार पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुशासनहीनता का नोटिस पा चुके डाॅ. सर्वेश जैन कहते हैं कि ''मेरा उद्देश्य ये नहीं था कि मुझे जो रिश्वत लगी, वो पैसे बच जाएं. किसी भी बात को सामने लाने के पीछे उद्देश्य रहता है कि वो चर्चा का विषय हो और लोगों को पता चले कि ये क्या हो रहा है. देश के दूसरे प्रदेश में क्या हाल है, इसकी मुझे जानकारी नहीं. लेकिन मप्र के सागर और विदिशा जिले में मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि रजिस्ट्री कराओ तो स्टांप ड्यूटी के अलावा रिश्वत देनी पड़ती है. डायवर्सन और नामांतरण और नक्शा पास कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है.''
अल्पज्ञान भ्रष्टाचारियों के लिए बना वरदान: डाॅ. सर्वेश जैन कहते हैं कि ''भारत का संविधान कहता है कि सरकार आम आदमी की सेवा के लिए है, आम आदमी को तंग करने के लिए नहीं है. मेरी शिकायत जनता से भी है कि आप राष्ट्रभक्ति और देशभक्ति की बात करते हैं और गलत का आप विरोध नहीं करते हैं. ऐसी परिस्थिति में गरीब आदमी जब मजबूरी में जमीन बेंच रहा होगा,तो उसका क्या हाल होगा. अल्पज्ञान भ्रष्टाचारियों के लिए वरदान बन गया है.'' सीधे पीएम को चिट्ठी लिखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ''सिस्टम में भ्रष्टाचार अंदर तक घुस गया है. आप उस पर ध्यान आकर्षित कराओ, तो कंपन तो जरूर होगा. अभी नौकरी से हटाएंगे, तो अदालत जाएंगे. नोटिस के लिए तैयार है, बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता है.''