ETV Bharat / bharat

दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी भोपाल गैस कांड मामले में सुनवाई, 17 साल बाद आरोपी कंपनी डाऊ केमिकल कोर्ट में हुई हाजिर

Bhopal Gas Tragedy Hearing: एमपी की राजधानी भोपाल में हुई भयवाह त्रासदी भोपाल गैस कांड मामले में आज जिला अदालत में सुनवाई की गई. इस दौरान डाऊ केमिकल कंपनी की तरफ से 17 साल बाद कोई कोर्ट के आदेश पर हाजिर हुआ. ये नोटिस साल 2005 में जारी किया गया था. इसमें कंपनी को अदालत में सुनवाई के दौरान हाजिर होने को कहा था. ये सुनवाई सीबीआई समेत अन्य याचिकाओं के तहत की गई है.

Bhopal District Court
भोपाल जिला अदालत
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 25, 2023, 9:13 PM IST

Updated : Nov 25, 2023, 10:43 PM IST

रचना ढिंगरा

भोपाल। राजधानी में हुई दुनिया की सबसे भयवाह त्रासदी भोपाल गैस कांड मामले में आज जिला अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान डाऊ केमिकल कंपनी की तरफ से 17 साल बाद कोर्ट के आदेश पर कोई हाजिर हुआ. इससे पहले साल 2005 में जिला अदालत ने नोटिस जारी किया था. जिसमें अदालत ने कंपनी को हाजिर होने को कहा था. इसके लिए शो कॉज नोटिस भी अदालत की तरफ से जारी किया गया था.

डाऊ केमिकल की तरफ से हाजिर हुए प्रतनिधि लगातार अदालत से कहते रहे कि भारत की अदालत उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई जूरिडिक्शन नहीं रखती है. वे उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं, क्योंकि वे एक अमेरिकन कंपनी है.

अदालत ने सुनवाई 6 जनवरी को की तय: भोपाल की जिला अदालत ने सीबीआई सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई 6 जनवरी के लिए तय की है. इन याचिकाओं में मांग की गई कि 1984 की गैस त्रासदी के लिए डॉव केमिकल पर मुकदमा चलाया जाए. भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा माना जाता है. बता दें, डॉव केमिकल का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के मिशिगन में है. इसी ने यूनियन कार्बाइड को खरीदा था. इसके भोपाल स्थित यूनिट साल 2 और 3 दिसंबर की मध्यरात्रि को हुए रिसाव से कई हजार लोग मारे गए थे.

अदालत ने क्यों की सुनवाई जनवरी तक स्थगित: प्रथम श्रेणी विधान महेश्वरी ने शनिवार को हुई सुनवाई को 6 जनवरी के लिए स्थगित कर दिया है. इसमें अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगम ने दलील दी है कि मामला भोपाल अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इधर, गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों के वकील अवि सिंह ने कहा, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2012 में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर फैसला किया था. इस प्रकार डॉव केमिकल को मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता रवींद्र श्रीवास्तव और संदीप गुप्ता के नेतृत्व में वकीलों ने कंपनी का पक्ष रखा. इधर, डॉव केमिकल का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने बताया कि मामला भोपाल अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. बहुराष्ट्रीय कंपनी अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा शासित थी. उन्होंने कहा, "हमने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उच्च न्यायालय द्वारा तय नहीं किया गया है।"

केंद्रीय जांच ब्यूरो, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन और अन्य संगठनों ने अपनी दलीलों में तर्क दिया कि चूंकि डॉव केमिकल यूनियन कार्बाइड का मालिक है. इसलिए उसे आपराधिक मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें...

रचना ढिंगरा

भोपाल। राजधानी में हुई दुनिया की सबसे भयवाह त्रासदी भोपाल गैस कांड मामले में आज जिला अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान डाऊ केमिकल कंपनी की तरफ से 17 साल बाद कोर्ट के आदेश पर कोई हाजिर हुआ. इससे पहले साल 2005 में जिला अदालत ने नोटिस जारी किया था. जिसमें अदालत ने कंपनी को हाजिर होने को कहा था. इसके लिए शो कॉज नोटिस भी अदालत की तरफ से जारी किया गया था.

डाऊ केमिकल की तरफ से हाजिर हुए प्रतनिधि लगातार अदालत से कहते रहे कि भारत की अदालत उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई जूरिडिक्शन नहीं रखती है. वे उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं, क्योंकि वे एक अमेरिकन कंपनी है.

अदालत ने सुनवाई 6 जनवरी को की तय: भोपाल की जिला अदालत ने सीबीआई सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई 6 जनवरी के लिए तय की है. इन याचिकाओं में मांग की गई कि 1984 की गैस त्रासदी के लिए डॉव केमिकल पर मुकदमा चलाया जाए. भोपाल गैस त्रासदी दुनिया की सबसे खराब औद्योगिक आपदा माना जाता है. बता दें, डॉव केमिकल का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के मिशिगन में है. इसी ने यूनियन कार्बाइड को खरीदा था. इसके भोपाल स्थित यूनिट साल 2 और 3 दिसंबर की मध्यरात्रि को हुए रिसाव से कई हजार लोग मारे गए थे.

अदालत ने क्यों की सुनवाई जनवरी तक स्थगित: प्रथम श्रेणी विधान महेश्वरी ने शनिवार को हुई सुनवाई को 6 जनवरी के लिए स्थगित कर दिया है. इसमें अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगम ने दलील दी है कि मामला भोपाल अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इधर, गैस त्रासदी पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों के वकील अवि सिंह ने कहा, याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 2012 में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर फैसला किया था. इस प्रकार डॉव केमिकल को मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता रवींद्र श्रीवास्तव और संदीप गुप्ता के नेतृत्व में वकीलों ने कंपनी का पक्ष रखा. इधर, डॉव केमिकल का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने बताया कि मामला भोपाल अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. बहुराष्ट्रीय कंपनी अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा शासित थी. उन्होंने कहा, "हमने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उच्च न्यायालय द्वारा तय नहीं किया गया है।"

केंद्रीय जांच ब्यूरो, भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन और अन्य संगठनों ने अपनी दलीलों में तर्क दिया कि चूंकि डॉव केमिकल यूनियन कार्बाइड का मालिक है. इसलिए उसे आपराधिक मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें...

Last Updated : Nov 25, 2023, 10:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.