भोपाल। इस बार हाईकमान ने मध्य प्रदेश में टिकट के सर्वे के लिए यूपी, गुजरात सहित 4 राज्यों से विधायक बुलाए हैं. इन्हीं के सुझाए नामों पर उम्मीदवारों की पैनल तैयार होगी. जिन पर अंतिम मुहर हाईकमान से लगेगी. उत्तर प्रदेश के 8 विधायक बुंदेलखंड की सभी सीटों का सर्वे करेंगे. भाजपा के लिए 20 अगस्त से 27 तक सर्वे होगा. इंदौर और मालवा की विधानसभा सीटों पर गुजरात के विधायक आएंगे. 18 अगस्त को भोपाल में एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिसमें सरकार की योजना से लेकर जनता से फीडबैक लिया जाएगा. साथ ही स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी योजनाओं का फीडबैक और उनसे वर्तमान विधायक के काम काज का ब्यौरा लिया जाएगा.
इस मुद्दों पर होगा बाहर से आए विधायकों का प्रशिक्षण: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 4 राज्यों से विधायकों को बुलाया जा रहा है और इन विधायकों की संख्या 230 है. इन सभी को प्रशिक्षण के बाद प्रत्येक विधानसभा में भेजा जायेगा. इस तरह से हर एक विधायक को मप्र की एक विधानसभा सीट के सर्वे का काम दिया जाएगा. इन विधायकों की रिपोर्ट के आधार पर न केवल टिकट तय होगा, बल्कि यह भी तय किया जाएगा कि उस विधानसभा क्षेत्र में चुनाव कैसे लड़ना है.
हार-जीत की संभावना का पता लगाएंगे विधायक: बीजेपी ने विधायकों की इस योजना को गोपनीय रखा है. चुनावी रणनीति के तहत ही दूसरे राज्यों के विधायकों से सर्वे कराया जा रहा है. विधायक हर विधानसभा में पहुंचकर हार-जीत की संभावना का पता लगाएंगे. विधायक पार्टी को यह बताएंगे कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है. ये वे विधायक हैं जो उनके राज्यों में कद्दावर हैं और लंबा अनुभव रखते हैं. प्रशिक्षण देने राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश आएंगे. साथ में प्रदेश के चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी भी रहेंगे. वहीं, शिवराज सिंह सहित संगठन के प्रमुख लोग प्रशिक्षण शिविर में शामिल होंगे.
MP में एक्टिव हुए अमित शाह: मप्र में चुनाव की कमान गृहमंत्री अमित शाह ने ले रखी है. उन्हीं के मुताबिक चुनाव की रणनीति तय की जा रही है. अमित शाह ने पहले दिन की बैठक में साफ कर दिया था कि एमपी में हारी हुई सीटें को कैसे जीतना है, इसका बारीकी से अध्ययन कर रिपोर्ट दें. बैठक के बाद दिल्ली में भी मंथन हुआ और दिल्ली कोर ग्रुप की बैठक में ये फैसला लिया गया कि हारी सीटों पर 3 महीने पहले ही टिकट का ऐलान कर दिया जायेगा. प्रदेश के नेताओं की लिस्ट का एकदम से आना चौंकाने वाला फैसला दिखा.
अपने ही फॉर्मूले से बेपटरी हुई बीजेपी: जिस तरह से बीजेपी पिछले कुछ चुनावों में लगातार जीत का परचम लहरा रही थी उसको देखते हुए भाजपा के थिंक टैंक ने कई फॉर्मूले लागू करने की कोशिश की और उन्हें कई राज्यों में लागू किया और वह सफल रहे. लेकिन हाल के कर्नाटक चुनाव में पार्टी का फॉर्मूला नहीं चल सका, जिसके चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. अब बीजेपी में फॉर्मूला बे पटरी होता दिखाई दे रहा है. बीजेपी की हाल के प्रत्याशियों की लिस्ट देखे तो पार्टी ने बूढ़े चेहरों को भी मैदान में उतारा है. उसके सर्वे में साफ हो गया था कि यदि पार्टी उम्र के क्राइटेरिया का फॉर्मूला लागू करती है तो वो जीत नहीं सकती. पीएम नरेंद्र मोदी भी परिवारवाद की खिलाफत करते रहे हैं, लेकिन अब जब पार्टी के लिए उन सीटों को फतेह करना है तो परिवारवाद की बाते सिर्फ कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करने के लिए ही की जाती हैं.