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MP News: 5 साल की प्रिशा ने 9 दिन में कर दी 17598 फीट ऊंची चोटी फतह, 2 साल की उम्र से कर रही थी तैयारी

आमतौर पर जिस उम्र में बच्चियां ऑनलाइन गैमिंग, दोस्तों के साथ मौज मस्ती, गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलती हैं, उतनी छोटी उम्र में एमपी के बैतूल जिले की प्रिशा ने 17598 फीट ऊंची एवरेस्ट के बैस कैंप तक की चढ़ाई कर दी। ईटीवी भारत ने प्रिशा और उनके पिता लोकेश निकाजू से एक्सलूसिव बातचीत की।

MP News
प्रिशा
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Published : Jun 19, 2023, 10:22 PM IST

प्रिशा ने पर्वत माउंट एवरेस्ट बेस पर की चढ़ाई

भोपाल। प्रिशा लोकेश निकाजू ने महज 5 साल 6 माह की उम्र में दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया. वे ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बन गई हैं. उनसे पहले छह साल की बच्ची का नाम दर्ज है, लेकिन अब प्रिशा के नाम पर यह रिकार्ड दर्ज हो गया है. प्रिशा ने 5364 मीटर यानी 17598 फीट की ऊंचाई पर एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने में कुल 9 दिन का समय लिया. इसके पहले वे महाराष्ट्र की कई चोटियों और किलों की चढ़ाई कर चुकी हैं.

प्रिशा को बचपन से किया ट्रेंड: प्रिशा के पिता लोकेश ने बताया कि 24 मई को वह प्रिशा को लेकर लुकला (नेपाल) पहुंचे और ट्रेक शुरू किया. यह ट्रैक 01 जून 2023 को पूरा हुआ और प्रिशा ने एवरेस्ट बेस कैंप पर भारतीय ध्वज फहराया. इसके बाद वे 4 जून 2023 को लुकला (नेपाल) लौट आए. जब उनसे पूछा कि ऊंचाई पर चढ़ाई के दौरान तो कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, प्रिशा ने यह सब कैसे किया? तब लोकेश बोले कि यह सही है कि कठिन और उच्च ऊंचाई वाले ट्रेक पर ट्रेकर्स को सांस लेने में कठिनाई, सिरदर्द और एक्यूट माउंटेन सिकनेस का अनुभव होता है, लेकिन प्रिशा को हमने पहले से ही इसके लिए ट्रेंड किया था. वह मजबूत इरादों वाली लड़की है. लोकेश ने बताया कि वे और प्रिशा की मां सीमा मिलकर उसको कठिन उच्च ऊंचाई वाले ट्रेक के लिए दो साल से ही ट्रेंड कर रहे थे. इस ट्रेक पर जाने से पहले वह हर दिन 5 से 6 मील पैदल चलती थी. एरोबिक्स करती थी. अपने अपार्टमेंट की सीढ़ियां चढ़ती थी और अपने बगीचे क्षेत्र में दीवार पर चढ़ती थी. इसलिए जब ऊंचाई पर चढ़ने का समय आया तो वह घबराई नहीं.

prisha climb mount everest base camp
माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर प्रिशा

बैतूल के मुलताई से कराई थी शुरूआत, भोपाल भी लाए: लोकेश ने बताया कि वे मुल रूप से बैतूल के मुलताई के रहने वाले हैं. उनके पिता टीआर निकाजू और मां प्रमिला निकाजू (सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक) अभी वहीं रहते हैं. दादा-दादी ने उनकी पोती की प्रतिभा को दो साल की उम्र में पहचान लिया था. बैतूल के जंगलों में उसकी ट्रेनिंग शुरू करवा दी. फिर भोपाल भी आए, लेकिन जल्दी ही काम के सिलसिल में मुंबई आ गए और पलावा सिटी ठाणे में रहने लगे. लोकेश की तीन बेटियां हैं और उनमें से प्रिशा दूसरे नंबर की है. बड़ी भी ट्रैकिंग करती है, लेकिन प्रिशा को खेलों के प्रति जुनून है. वह ट्रैकिंग के अलावा तैराकी, कराटे, टेबल टेनिस खेलना पसंद करती है. प्रिशा के इस जूनुन के पीछे उनके पिता लोकेश ही हैं. वे भी पर्वतारोही हैं और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, मनाली के पूर्व ट्रेनी हैं.

prisha climb mount everest base camp
माउंट बेस पर चढ़ाई करती प्रिशा

यहां पढ़ें...

वीडियोगेम नहीं पता, जब खेलना आता है: ईटीवी भारत से बातचीत में प्रिशा ने बताया कि बस उन्हें खेलने का जूनून है. वे फर्स्ट स्टेंडर्ड की स्टूडेंट हैं. जब उनसे पूछा कि वीडियो गेम खेलती हो तो बोली मुझे नहीं आता. दीदी खेलती हैं. जब सफर के बारे में पूछा तो बोली कि एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने के दौरान उन्हें बहुत मजा आया. पिता लोकेश बोले कि उनका लक्ष्य है कि प्रिशा अब हिमालय, धौलागिरी अन्नपूर्णा क्षेत्र में कई और चोटियों पर चढ़ाई करे. इस सूची में माउंट एवरेस्ट भी है.

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प्रिशा और उसके पिता

इन पर्वतों पर कर चुकी है चढ़ाई: प्रिशा बाल पर्वतारोही है, जिसने 2 साल की उम्र में ट्रेकिंग शुरू की थी और अब तक सिंहगढ़, लोहगढ़, विसापुर, कलसुबाई, कर्नाला, सोंदई, कोथलीगढ़, इरशालगढ़, प्रबलमाची, कलावंतिन, शिवनेरी, रायगढ़ किले को मिलाकर महाराष्ट्र के कई किलों पर चढ़ाई कर चुकी हैं. 3 साल की उम्र में महाराष्ट्र राज्य की सबसे ऊंची चोटी “कलसुबाई” पर चढ़ाई की थी.

प्रिशा ने पर्वत माउंट एवरेस्ट बेस पर की चढ़ाई

भोपाल। प्रिशा लोकेश निकाजू ने महज 5 साल 6 माह की उम्र में दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया. वे ऐसा करने वाली सबसे कम उम्र की पर्वतारोही बन गई हैं. उनसे पहले छह साल की बच्ची का नाम दर्ज है, लेकिन अब प्रिशा के नाम पर यह रिकार्ड दर्ज हो गया है. प्रिशा ने 5364 मीटर यानी 17598 फीट की ऊंचाई पर एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने में कुल 9 दिन का समय लिया. इसके पहले वे महाराष्ट्र की कई चोटियों और किलों की चढ़ाई कर चुकी हैं.

प्रिशा को बचपन से किया ट्रेंड: प्रिशा के पिता लोकेश ने बताया कि 24 मई को वह प्रिशा को लेकर लुकला (नेपाल) पहुंचे और ट्रेक शुरू किया. यह ट्रैक 01 जून 2023 को पूरा हुआ और प्रिशा ने एवरेस्ट बेस कैंप पर भारतीय ध्वज फहराया. इसके बाद वे 4 जून 2023 को लुकला (नेपाल) लौट आए. जब उनसे पूछा कि ऊंचाई पर चढ़ाई के दौरान तो कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, प्रिशा ने यह सब कैसे किया? तब लोकेश बोले कि यह सही है कि कठिन और उच्च ऊंचाई वाले ट्रेक पर ट्रेकर्स को सांस लेने में कठिनाई, सिरदर्द और एक्यूट माउंटेन सिकनेस का अनुभव होता है, लेकिन प्रिशा को हमने पहले से ही इसके लिए ट्रेंड किया था. वह मजबूत इरादों वाली लड़की है. लोकेश ने बताया कि वे और प्रिशा की मां सीमा मिलकर उसको कठिन उच्च ऊंचाई वाले ट्रेक के लिए दो साल से ही ट्रेंड कर रहे थे. इस ट्रेक पर जाने से पहले वह हर दिन 5 से 6 मील पैदल चलती थी. एरोबिक्स करती थी. अपने अपार्टमेंट की सीढ़ियां चढ़ती थी और अपने बगीचे क्षेत्र में दीवार पर चढ़ती थी. इसलिए जब ऊंचाई पर चढ़ने का समय आया तो वह घबराई नहीं.

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माउंट एवरेस्ट बेस कैंप पर प्रिशा

बैतूल के मुलताई से कराई थी शुरूआत, भोपाल भी लाए: लोकेश ने बताया कि वे मुल रूप से बैतूल के मुलताई के रहने वाले हैं. उनके पिता टीआर निकाजू और मां प्रमिला निकाजू (सेवानिवृत्त सरकारी शिक्षक) अभी वहीं रहते हैं. दादा-दादी ने उनकी पोती की प्रतिभा को दो साल की उम्र में पहचान लिया था. बैतूल के जंगलों में उसकी ट्रेनिंग शुरू करवा दी. फिर भोपाल भी आए, लेकिन जल्दी ही काम के सिलसिल में मुंबई आ गए और पलावा सिटी ठाणे में रहने लगे. लोकेश की तीन बेटियां हैं और उनमें से प्रिशा दूसरे नंबर की है. बड़ी भी ट्रैकिंग करती है, लेकिन प्रिशा को खेलों के प्रति जुनून है. वह ट्रैकिंग के अलावा तैराकी, कराटे, टेबल टेनिस खेलना पसंद करती है. प्रिशा के इस जूनुन के पीछे उनके पिता लोकेश ही हैं. वे भी पर्वतारोही हैं और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स, मनाली के पूर्व ट्रेनी हैं.

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माउंट बेस पर चढ़ाई करती प्रिशा

यहां पढ़ें...

वीडियोगेम नहीं पता, जब खेलना आता है: ईटीवी भारत से बातचीत में प्रिशा ने बताया कि बस उन्हें खेलने का जूनून है. वे फर्स्ट स्टेंडर्ड की स्टूडेंट हैं. जब उनसे पूछा कि वीडियो गेम खेलती हो तो बोली मुझे नहीं आता. दीदी खेलती हैं. जब सफर के बारे में पूछा तो बोली कि एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने के दौरान उन्हें बहुत मजा आया. पिता लोकेश बोले कि उनका लक्ष्य है कि प्रिशा अब हिमालय, धौलागिरी अन्नपूर्णा क्षेत्र में कई और चोटियों पर चढ़ाई करे. इस सूची में माउंट एवरेस्ट भी है.

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प्रिशा और उसके पिता

इन पर्वतों पर कर चुकी है चढ़ाई: प्रिशा बाल पर्वतारोही है, जिसने 2 साल की उम्र में ट्रेकिंग शुरू की थी और अब तक सिंहगढ़, लोहगढ़, विसापुर, कलसुबाई, कर्नाला, सोंदई, कोथलीगढ़, इरशालगढ़, प्रबलमाची, कलावंतिन, शिवनेरी, रायगढ़ किले को मिलाकर महाराष्ट्र के कई किलों पर चढ़ाई कर चुकी हैं. 3 साल की उम्र में महाराष्ट्र राज्य की सबसे ऊंची चोटी “कलसुबाई” पर चढ़ाई की थी.

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