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पर्वतारोही रोहताश और अनु ने फतह की माउंट किलिमंजारो

हिसार के पर्वतारोही रोहताश खिलेरी व विद्युत नगर निवासी अनु यादव ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह किया और वहां अपने देश की आन-बान-शान तिरंगे झंडे को लहराया.

पर्वतारोही रोहताश और अनु
पर्वतारोही रोहताश और अनु
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Published : Mar 24, 2021, 7:15 PM IST

हिसार : जिले के गांव मलापुर निवासी पर्वतारोही रोहताश खिलेरी व विद्युत नगर निवासी अनु यादव ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह कर लिया. चोटी फतह करने के बाद अनु यादव सकुशल वापस नीचे बेस कैंप पहुंच गई हैं. लेकिन रोहताश खिलेरी चोटी पर 24 घंटे ठहरने का रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में वहीं रुक गए, उनकी तलाश में रेस्क्यू टीम निकल चुकी है.

अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए अनु यादव ने बयाया कि उन्होंने 17 मार्च को किलिमंजारो नेशनल पार्क से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई शुरू की और 19 मार्च की दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर कीबो हट पहुंच गए थे, जो कि 4720 मीटर की ऊंचाई पर है. वहां पर कुछ समय आराम करने के बाद वह और रोहताश खिलेरी रात को करीब डेढ़ बजे फिर से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की शुरुआत की.

इसके बाद करीब 5681 मीटर की ऊंचाई पर गिलमंस प्वॉइंट पर उसकी तबीयत काफी खराब हो गई. अगले दिन दोपहर को (अफ्रीका के टाइम अनुसार दो बजे) वे दोनों 5756 मीटर ऊंचाई पर स्टेला प्वॉइंट तक ही पहुंच पाए. उस समय शाम होने को थी और मौसम भी खराब था, इसलिए उन्होंने वहीं पर रुकने का फैसला किया.

इसके बाद 21 मार्च की सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर वे माउंट किलिमंजारो की फाइनल चढ़ाई के लिए निकले. अफ्रीका के टाइम 11 बजकर 45 मिनट पर वे चोटी के शिखर पर पहुंचे और दोनों ने मिलकर अपने देश की आन-बान-शान तिरंगे झंडे को लहराया.

अनु यादव ने कहा कि हमारा प्रयास था कि हमें चोटी पर 24 घंटे रुककर नया रिकॉर्ड बनाना था, लेकिन उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी और सिरदर्द हो रहा था. जिसके चलते वह शिखर पर रुकने में सक्षम नहीं थी. हालांकि, मौसम सही था, धूप निकली हुई थी, बस थोड़ी हवा चल रही थी और मैंने वापस नीचे जाने का निर्णय लिया.

लेकिन, उनके गुरु रोहताश खिलेरी ने कहा कि अगर वे अभी नहीं रुके, तो उन्हें माउंट एवरेस्ट पर 24 घंटे रुकने की भी परमिशन नहीं मिलेगी और वे कभी यह रिकॉर्ड नहीं बना पाएंगे. इसलिए वे यह रिस्क उठा रहे हैं. उन्होंने मुझे गाइड के साथ सही सलामत नीचे भेज दिया और वे वहीं पर रुक गए.

अनु यादव ने चिंता जताई कि उनके गुरु रोहताश खिलेरी को देर रात तक नीचे पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन वे अभी तक लापता हैं और उनकी कोई जानकारी नहीं मिली है. रेस्क्यू टीम ऊपर गई हुई है, भगवान करे वे सही सलामत हों.

बता दें कि रोहताश खिलेरी इस चोटी के साथ-साथ माउंट एवरेस्ट को पहले भी फतह कर चुके हैं और इस बार अपनी शिष्या अनु यादव के साथ वे रिकॉर्ड बनाने के लिए शिखर पर पहुंचे थे. वहीं, अनु यादव फतेहाबाद के बुवान गांव की बेटी है और पिछले लंबे समय से हिसार विद्युत नगर में अपने परिवार के साथ रह रही है, उनके पिता ओमबीर यादव विद्युत विभाग में कार्यरत हैं.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट के सवाल, आरक्षण की नीति कितनी जायज ?

हिसार : जिले के गांव मलापुर निवासी पर्वतारोही रोहताश खिलेरी व विद्युत नगर निवासी अनु यादव ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को फतह कर लिया. चोटी फतह करने के बाद अनु यादव सकुशल वापस नीचे बेस कैंप पहुंच गई हैं. लेकिन रोहताश खिलेरी चोटी पर 24 घंटे ठहरने का रिकॉर्ड बनाने के प्रयास में वहीं रुक गए, उनकी तलाश में रेस्क्यू टीम निकल चुकी है.

अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए अनु यादव ने बयाया कि उन्होंने 17 मार्च को किलिमंजारो नेशनल पार्क से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई शुरू की और 19 मार्च की दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर कीबो हट पहुंच गए थे, जो कि 4720 मीटर की ऊंचाई पर है. वहां पर कुछ समय आराम करने के बाद वह और रोहताश खिलेरी रात को करीब डेढ़ बजे फिर से माउंट किलिमंजारो की चढ़ाई की शुरुआत की.

इसके बाद करीब 5681 मीटर की ऊंचाई पर गिलमंस प्वॉइंट पर उसकी तबीयत काफी खराब हो गई. अगले दिन दोपहर को (अफ्रीका के टाइम अनुसार दो बजे) वे दोनों 5756 मीटर ऊंचाई पर स्टेला प्वॉइंट तक ही पहुंच पाए. उस समय शाम होने को थी और मौसम भी खराब था, इसलिए उन्होंने वहीं पर रुकने का फैसला किया.

इसके बाद 21 मार्च की सुबह 9 बजकर 40 मिनट पर वे माउंट किलिमंजारो की फाइनल चढ़ाई के लिए निकले. अफ्रीका के टाइम 11 बजकर 45 मिनट पर वे चोटी के शिखर पर पहुंचे और दोनों ने मिलकर अपने देश की आन-बान-शान तिरंगे झंडे को लहराया.

अनु यादव ने कहा कि हमारा प्रयास था कि हमें चोटी पर 24 घंटे रुककर नया रिकॉर्ड बनाना था, लेकिन उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब थी और सिरदर्द हो रहा था. जिसके चलते वह शिखर पर रुकने में सक्षम नहीं थी. हालांकि, मौसम सही था, धूप निकली हुई थी, बस थोड़ी हवा चल रही थी और मैंने वापस नीचे जाने का निर्णय लिया.

लेकिन, उनके गुरु रोहताश खिलेरी ने कहा कि अगर वे अभी नहीं रुके, तो उन्हें माउंट एवरेस्ट पर 24 घंटे रुकने की भी परमिशन नहीं मिलेगी और वे कभी यह रिकॉर्ड नहीं बना पाएंगे. इसलिए वे यह रिस्क उठा रहे हैं. उन्होंने मुझे गाइड के साथ सही सलामत नीचे भेज दिया और वे वहीं पर रुक गए.

अनु यादव ने चिंता जताई कि उनके गुरु रोहताश खिलेरी को देर रात तक नीचे पहुंच जाना चाहिए था, लेकिन वे अभी तक लापता हैं और उनकी कोई जानकारी नहीं मिली है. रेस्क्यू टीम ऊपर गई हुई है, भगवान करे वे सही सलामत हों.

बता दें कि रोहताश खिलेरी इस चोटी के साथ-साथ माउंट एवरेस्ट को पहले भी फतह कर चुके हैं और इस बार अपनी शिष्या अनु यादव के साथ वे रिकॉर्ड बनाने के लिए शिखर पर पहुंचे थे. वहीं, अनु यादव फतेहाबाद के बुवान गांव की बेटी है और पिछले लंबे समय से हिसार विद्युत नगर में अपने परिवार के साथ रह रही है, उनके पिता ओमबीर यादव विद्युत विभाग में कार्यरत हैं.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट के सवाल, आरक्षण की नीति कितनी जायज ?

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