टिहरी: उत्तराखंड के एक और लाल ने प्रदेश का नाम रोशन किया है. टिहरी निवासी पर्वतारोही रोहित भट्ट ने तंजानिया के माउंट किलिमंजारो चोटी को फतह कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है. यह चोटी अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों में शुमार है. रोहित भट्ट ने फोन पर ईटीवी भारत से अपनी इस उपलब्धि को साझा किया. उन्होंने बताया कि इस पर्वत को फतह करने के लिए छह दिन लगते हैं. लेकिन उन्होंने इसे तीन दिन, यानी 16 घंटे 12 मिनट में फतह करके विश्व रिकॉर्ड बना दिया है.
आपको बता दें कि रोहित भट्ट 23 जनवरी 2023 को भारत से तंजानिया के लिए रवाना हुए थे. 25 जनवरी की सुबह तंजानिया के किलिमंजारो पार्क से यात्रा शुरू की. रोहित ने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी पर 28 जनवरी, 2023 को सुबह 6 बजे 361 फीट का भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया. विश्व की ऊंची चोटियों में शुमार अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई 5895 मीटर यानी 19,341 फीट है.
रोहित भट्ट ने बताया कि 26, जनवरी 2023 को मध्यप्रदेश के अंकित सेन ने 350 फीट का झंडा फहराकर रिकॉर्ड बनाया था. इसको उन्होंने 16 घंटे 12 मिनट में 361 फीट के झंडे को लेकर 28 जनवरी को फहरा कर अंकित सेन का रिकॉर्ड तोड़ने का काम किया है. रोहित भट्ट ने चोटी फतह करने के बाद द्रौपदी का डांडा एवलॉन्च में मारे गए 29 लोगों की फोटो लगा हुआ बैनर हाथ में लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद किया है.
रोहित भट्ट ने इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता, राजस्थान पुलिस के सोहन तनवर और पायनियर एवरेस्टर कंपनी को दिया है, जिनकी बदौलत उन्होंने ये कारनामा किया है. उन्होंने 361 फीट बड़े झंडे को फहराया है, उसकी कीमत 1 लाख 70 हजार रुपये है.
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गिनीज बुक में नाम दर्ज: रोहित ने कहा सामान्यतः पर्वतारोही तंजानिया के किलिमंजारो में चढ़ने के लिए 6 दिन का समय लगाते हैं. उन्होंने इस काम को तीन दिन में 16 घंटे 12 मिनट में पूरा कर विश्व रिकॉर्ड और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कर दिया है, जो उनका सपना भी था.
बता दें, रोहित 4 अक्टूबर, 2022 में उत्तरकाशी स्थित द्रौपदी का डांडा (डीकेडी-2) में आए एवलॉन्च से सकुशल घर लौटे थे. रोहित युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं. रोहित ने बताया कि 4 अक्टूबर 2022 को डीकेडी में आए एवलांच के दौरान नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के 29 लोगों की मौत हो गई थी. इस दौरान चले ऑपरेशन में एक इंस्ट्रक्टर सहित 4 लोगों की जान बचाई गई थी. बीते कुछ माह बेड रेस्ट के बाद वह पर्वतारोहण के लिए तैयार हुऐ और 23 जनवरी को दिल्ली से फ्लाइट के माध्यम से तंजानिया पहुंचे.