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बेटी के लिए टॉम ब्वाय बनी महिला, पढ़ें एक मां की दिल को छू लेने वाली असली कहानी - अपनी बेटी के लिए तमिलनाडु की मां बनी टॉमब्वाय

एक महिला जिसके पति का साथ शादी के 15 दिन बाद ही छूट गया, उसने अपनी बेटी के लिए टॉम ब्वाय बनने से भी परहेज नहीं किया. बेटी को पिता की कमी महसूस न हो इसलिए मां आदमियों जैसे बाल कटाये और कपड़े पहनने लगी.

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Published : May 11, 2022, 3:47 PM IST

तूतीकोरन: मुदिवैथनेथल शिव पिल्लई जब महज 20 साल की थीं, तभी उनकी शादी सोरकलिंगपुरम पेचियाम्माल से हुई थी. हालांकि उनका वैवाहिक जीवन 15 दिनों से अधिक नहीं चला. फिर वह अपना जीवन यापन करने के लिए नौकरानियों का काम करने लगीं. चूंकि वे एक विधवा थीं जिसकी वजह से उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा. हालांकि बेटी को अपने पिता की कमी न लगे, इसलिए उसने आदमी की तरह कपड़े पहनने शुरू कर दिये और खुद को पुरुष के रूप में परिवर्तित कर लिया.

सार्वजनिक स्थान पर उन्होंने अपना नाम मुथु (यह तमिल आदमी का नाम है) के रूप में बदल दिया. गरीबी ने उसे अपना जीवन यापन करने के लिए जगह-जगह घूमने के लिए मजबूर किया. महिला ने खुद को एक पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया और आसपास में उसे अन्नाची (आदरणीय शब्द, जिसे एक बड़े भाई की तरह कहा जाता है) के रूप में जाना जाता है. कुछ समय बाद वह वापस तूतीकोरिन चली गई जहां उसने एक आदमी के रूप में बाल कटवाए और वेस्टी शर्ट पहनी.

वह पिछले 30 सालों से अपनी बेटी के पिता और मां के रूप में रह रही हैं. वह चाय की दुकानों पर काम करती और उसकी पहचान मुथु मास्टर के रूप में हुई. गांव में भी उन्हें मुथु मास्टर कहा जाता है. मुथु मास्टर अभी 57 साल की हैं और उन्होंने अपनी बेटी की शादी तय कर दी है. उन्होंने बताया कि मैं 100 दिन की कार्ययोजना में काम कर रही हूं और अपनी बेटी की शादी के लिए कमाने के लिए चित्रकार के रूप में भी काम कर रही हूं. मेरा विवाहित जीवन 15 दिनों में समाप्त हो गया लेकिन मैंने अपनी बेटी के लिए और अपने स्वाभिमान के लिए अपना रूप बदल लिया है. मुझे इस जीवन से कभी चिंता या पछतावा नहीं हुआ.

यह भी पढ़ें- राजस्थानः सांसद दीया कुमारी का दावा- हमारी जमीन पर कब्जा कर शाहजहां ने बनाया ताजमहल, पोथीखाने में मौजूद हैं सारे दस्तावेज

मुथु मास्टर ने कहा कि मुझे अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला. आधार कार्ड में उनका नाम मुथु है इसलिए मुझे विधवा पेंशन या वरिष्ठ नागरिक पेंशन नहीं मिलती है. अगर मुझे ये फंड मिलते हैं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी मदद होगी. बेटी संगुमा सुनथरी ने बताया कि मेरे पिता का निधन हो गया इसलिए मेरी मां ने मेरे पिता की भूमिका निभाई. मुझे इस बदलाव पर पछतावा नहीं है. अगर उन्हें वह पेंशन मिलती है तो यह उसके लिए एक बड़ी मदद होगी. अधिकारी से विनम्र अनुरोध है कि पेचियाम्माल के अनुरोध पर गौर करें और आवश्यक कार्रवाई करें.

तूतीकोरन: मुदिवैथनेथल शिव पिल्लई जब महज 20 साल की थीं, तभी उनकी शादी सोरकलिंगपुरम पेचियाम्माल से हुई थी. हालांकि उनका वैवाहिक जीवन 15 दिनों से अधिक नहीं चला. फिर वह अपना जीवन यापन करने के लिए नौकरानियों का काम करने लगीं. चूंकि वे एक विधवा थीं जिसकी वजह से उन्हें तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा. हालांकि बेटी को अपने पिता की कमी न लगे, इसलिए उसने आदमी की तरह कपड़े पहनने शुरू कर दिये और खुद को पुरुष के रूप में परिवर्तित कर लिया.

सार्वजनिक स्थान पर उन्होंने अपना नाम मुथु (यह तमिल आदमी का नाम है) के रूप में बदल दिया. गरीबी ने उसे अपना जीवन यापन करने के लिए जगह-जगह घूमने के लिए मजबूर किया. महिला ने खुद को एक पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया और आसपास में उसे अन्नाची (आदरणीय शब्द, जिसे एक बड़े भाई की तरह कहा जाता है) के रूप में जाना जाता है. कुछ समय बाद वह वापस तूतीकोरिन चली गई जहां उसने एक आदमी के रूप में बाल कटवाए और वेस्टी शर्ट पहनी.

वह पिछले 30 सालों से अपनी बेटी के पिता और मां के रूप में रह रही हैं. वह चाय की दुकानों पर काम करती और उसकी पहचान मुथु मास्टर के रूप में हुई. गांव में भी उन्हें मुथु मास्टर कहा जाता है. मुथु मास्टर अभी 57 साल की हैं और उन्होंने अपनी बेटी की शादी तय कर दी है. उन्होंने बताया कि मैं 100 दिन की कार्ययोजना में काम कर रही हूं और अपनी बेटी की शादी के लिए कमाने के लिए चित्रकार के रूप में भी काम कर रही हूं. मेरा विवाहित जीवन 15 दिनों में समाप्त हो गया लेकिन मैंने अपनी बेटी के लिए और अपने स्वाभिमान के लिए अपना रूप बदल लिया है. मुझे इस जीवन से कभी चिंता या पछतावा नहीं हुआ.

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मुथु मास्टर ने कहा कि मुझे अपने पति का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला. आधार कार्ड में उनका नाम मुथु है इसलिए मुझे विधवा पेंशन या वरिष्ठ नागरिक पेंशन नहीं मिलती है. अगर मुझे ये फंड मिलते हैं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी मदद होगी. बेटी संगुमा सुनथरी ने बताया कि मेरे पिता का निधन हो गया इसलिए मेरी मां ने मेरे पिता की भूमिका निभाई. मुझे इस बदलाव पर पछतावा नहीं है. अगर उन्हें वह पेंशन मिलती है तो यह उसके लिए एक बड़ी मदद होगी. अधिकारी से विनम्र अनुरोध है कि पेचियाम्माल के अनुरोध पर गौर करें और आवश्यक कार्रवाई करें.

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