नई दिल्ली : मॉस्को फॉर्मेट डायलॉग में भाग लेने वाले सदस्य देशों ने एक संयुक्त बयान में प्रतिबंधित आतंकवादियों द्वारा अफगान भूमि के उपयोग पर चिंता व्यक्त की. रूस ने गुरुवार को तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में आईएसआईएस और अल-कायदा की बढ़ती मौजूदगी पर चिंता व्यक्त की.
नई दिल्ली ने भी पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी पर अफगानिस्तान की धरती पर भारत विरोधी आतंकी समूहों- लश्कर-ए-तैयबा और जैश का समर्थन करने का भी आरोप लगाया है.
बता दें, बुधवार को भारत, पाकिस्तान और तालिबान ने 10 देशों की मॉस्को फॉर्मेट डायलॉग (Moscow Format Dialogue) में भाग लिया.
वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों के बारे में चिंतित होने के कारण, पक्षों ने क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान करने के लिए अफगानिस्तान में सुरक्षा को बढ़ावा देना जारी रखने की अपनी इच्छा की पुष्टि की.
भाग लेने वाले देशों ने वर्तमान अफगान नेतृत्व से शासन में सुधार के लिए और कदम उठाने और समावेशी सरकार बनाने का आह्वान किया, जो देश में सभी प्रमुख जातीय राजनीतिक ताकतों के हितों को पर्याप्त रूप से दर्शाती है.
संयुक्त बयान में कहा गया कि अफगानिस्तान में राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया को पूरा करने के लिए यह एक बुनियादी शर्त होगी.
अफगानिस्तान में बिगड़ती आर्थिक और मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, सभी पक्षों ने संघर्ष के बाद के पुनर्निर्माण में अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय और आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए समेकित प्रयासों को जुटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आवश्यकता पर विश्वास व्यक्त किया.
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इस संदर्भ में, पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में जल्द से जल्द एक व्यापक-आधारित अंतरराष्ट्रीय दाता सम्मेलन आयोजित करने के लिए एक सामूहिक पहल शुरू करने का प्रस्ताव किया है.
(ANI)