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राजस्थान में रानीखेत बीमारी से हुई सैकड़ों मोरों की मौत, विशेषज्ञों ने की पुष्टि

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Published : May 25, 2021, 12:39 PM IST

राजस्थान के पाली में मोरों की मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. विशेषज्ञों ने मोरों की मौत के पीछे का कारण रानीखेत बीमारी होना बताया है.

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पाली (राजस्थान) : जिले के रोहट उपखंड के विभिन्न गांवों में पिछले एक माह से राष्ट्रीय पक्षी मोर के मौत का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. पशु चिकित्सा विभाग की ओर से कई बार इन मृत मोरों के सैंपल को भोपाल जांच के लिए भी भेजा जा चुका है, लेकिन वहां भी इनकी मौत के कारण की पुष्टि नहीं हो पाई.

लगातार हो रही है इन मोरों की मौतों के चलते प्रशासन ने सोमवार को विशेषज्ञों की टीम को पाली बुलवाया. इन विशेषज्ञों द्वारा जांच करने पर मोरों की मौत के पीछे रानीखेत बीमारी को माना गया. जिसकी पशु चिकित्सकों ने पुष्टि भी कर दी है. इन मोरों की मौत को रोकने के लिए वैक्सीन को जरिया बताया गया है.

जानकारी के अनुसार, मोरों की मौत के कारणों का पता नहीं चलने और वन्यजीव प्रेमियों में लगातार बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. चक्रवती गौतम ने राज्य को कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान अजमेर के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक खरे को रोहट बुलाया था. डॉ. खरे ने इन मोरों के बारे में जानकारी जुटाई, जिसके बाद मृत मोरों की जांच कराई गई.

पढ़ें- ब्लैक एंड व्हाइट की तुलना में यलो फंगस ज्यादा खतरनाक

डॉ. खरे ने कहा कि रानीखेत बीमारी से इन मोरों की मौत हो रही है. इन दिनों प्रदेश में यह वायरस काफी सक्रिय है, जो पक्षियों को चपेट में ले रहा है. अजमेर में तो इस वायरस की चपेट में आने से बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत हुई है. इसके बाद खुद के खर्चे से 1,000 मोरों के लिए असोटा वैक्सीन भी लगवाई गई. खरे ने बताया कि मोरों को पीने के पानी के साथ इस वैक्सीन को दिया जाएगा. इसके लिए रोहट क्षेत्र के सांवलता खुर्द के भाकरी वाला गांव के अलग-अलग स्थानों पर पीने के पानी के पात्र रखे जाएंगे.

क्या है रानीखेत बीमारी
रानीखेत रोग (Virulent Newcastle disease (VN) एक विषाणुजनित ऐसा रोग हैं, जो पक्षियों को प्रभावित करता है. यह बीमारी होने के दो या तीन दिन बाद ही पक्षी कमजोर होकर मर जाता है. यह रोग सर्वप्रथम उत्तराखंड के रानीखेत में मिला था इसलिए इसका नाम भी रानीखेत रोग रखा गया.

पाली (राजस्थान) : जिले के रोहट उपखंड के विभिन्न गांवों में पिछले एक माह से राष्ट्रीय पक्षी मोर के मौत का सिलसिला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. पशु चिकित्सा विभाग की ओर से कई बार इन मृत मोरों के सैंपल को भोपाल जांच के लिए भी भेजा जा चुका है, लेकिन वहां भी इनकी मौत के कारण की पुष्टि नहीं हो पाई.

लगातार हो रही है इन मोरों की मौतों के चलते प्रशासन ने सोमवार को विशेषज्ञों की टीम को पाली बुलवाया. इन विशेषज्ञों द्वारा जांच करने पर मोरों की मौत के पीछे रानीखेत बीमारी को माना गया. जिसकी पशु चिकित्सकों ने पुष्टि भी कर दी है. इन मोरों की मौत को रोकने के लिए वैक्सीन को जरिया बताया गया है.

जानकारी के अनुसार, मोरों की मौत के कारणों का पता नहीं चलने और वन्यजीव प्रेमियों में लगातार बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. चक्रवती गौतम ने राज्य को कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान अजमेर के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक खरे को रोहट बुलाया था. डॉ. खरे ने इन मोरों के बारे में जानकारी जुटाई, जिसके बाद मृत मोरों की जांच कराई गई.

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डॉ. खरे ने कहा कि रानीखेत बीमारी से इन मोरों की मौत हो रही है. इन दिनों प्रदेश में यह वायरस काफी सक्रिय है, जो पक्षियों को चपेट में ले रहा है. अजमेर में तो इस वायरस की चपेट में आने से बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत हुई है. इसके बाद खुद के खर्चे से 1,000 मोरों के लिए असोटा वैक्सीन भी लगवाई गई. खरे ने बताया कि मोरों को पीने के पानी के साथ इस वैक्सीन को दिया जाएगा. इसके लिए रोहट क्षेत्र के सांवलता खुर्द के भाकरी वाला गांव के अलग-अलग स्थानों पर पीने के पानी के पात्र रखे जाएंगे.

क्या है रानीखेत बीमारी
रानीखेत रोग (Virulent Newcastle disease (VN) एक विषाणुजनित ऐसा रोग हैं, जो पक्षियों को प्रभावित करता है. यह बीमारी होने के दो या तीन दिन बाद ही पक्षी कमजोर होकर मर जाता है. यह रोग सर्वप्रथम उत्तराखंड के रानीखेत में मिला था इसलिए इसका नाम भी रानीखेत रोग रखा गया.

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