बेंगलुरु: उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि भारतीय रेलवे सेवा नियमों के अनुसार एक या अधिक पत्नियां पारिवारिक पेंशन की हकदार हैं. एक से ज्यादा पत्नी होने की स्थिति में पारिवारिक पेंशन मृत कर्मचारी की पत्नियों के बीच समान रूप से साझा की जाएगी.
दरअसल मृतक रेलवे कर्मचारी की दूसरी पत्नी ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया था, जिसमें दक्षिण पश्चिम रेलवे को पहली पत्नी और उसकी बेटियों को 50% पारिवारिक पेंशन देने का आदेश दिया गया था.
याचिका पर सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कर्मचारी या उसके परिवार के अधिकार पेंशन नियमों पर निर्भर करते हैं. नियम नहीं तो पेंशन नहीं. नियम बन जाने पर नियमानुसार पेंशन का भुगतान करना होगा.
रेलवे सेवा (पेंशन) नियम, 1993 में साल 2016 में संशोधन किया गया और रेलवे सेवा (पेंशन) संशोधन नियम लागू हुए. नियम में एक या अधिक विधवाएं स्पष्ट रूप से पारिवारिक पेंशन की हकदार हैं. पेंशन मृत कर्मचारी की पत्नियों को समान रूप से वितरित की जाती है. यह तब लागू होता है जब किसी रेलवे कर्मचारी की एक से अधिक पत्नियां हों. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता जो दूसरी पत्नी है, वह 50 फीसदी पेंशन की हकदार है.
इसके अलावा पीठ ने कहा कि बेंगलुरु की फैमिली कोर्ट के उस आदेश में दखल देने की जरूरत नहीं है, जिसमें पहली पत्नी और उसकी दो बेटियों को 50 फीसदी पेंशन जारी करने का आदेश दिया गया है.
ये है मामला : आर रमेश बाबू दक्षिण पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ मंडल कार्मिक प्रबंधक के कार्यालय में यातायात विभाग में पॉइंट्समैन के रूप में कार्यरत थे. उनकी पहली पत्नी से तीन बेटियां हैं. 9 दिसंबर 1999 को आर रमेश बाबू ने पुष्पा से तिरुपति में दूसरी शादी की.
इस रिश्ते से उनकी 22 साल की बेटी है. 4 मई, 2021 को आर रमेश बाबू का निधन हो गया. पहली पत्नी ने रेलवे से आर रमेश बाबू को मिलने वाले लाभ और पेंशन की मांग की. साथ ही, उन्होंने अपनी दूसरी बेटी के लिए अनुकंपा नौकरी के लिए भी आवेदन प्रस्तुत किया था.
इस बीच, लाभ देने का कोई निर्णय नहीं लिया गया क्योंकि दूसरी पत्नी ने सूचित किया था कि वह भी लाभ की हकदार है. हालांकि, पार्टियों की स्थिति के संबंध में, दक्षिण पश्चिम रेलवे बोर्ड ने पहली पत्नी को सूचित किया कि किसी भी तरह का भुगतान पारिवारिक अदालत के आदेश के बाद किया जाएगा.
इस संदर्भ में पहली पत्नी ने बेंगलुरु में पारिवारिक अदालत का दरवाजा खटखटाया और अनुरोध किया कि दक्षिण पश्चिम रेलवे बोर्ड को सुविधाएं, अनुकंपा रोजगार और बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया जाए क्योंकि वह कानूनी रूप से पहली पत्नी हैं.
इसके अलावा दूसरी पत्नी ने एक ज्ञापन सौंपा. मामले की सुनवाई करने वाली फैमिली कोर्ट ने 22 जुलाई 2022 को नैरुतवा रेलवे बोर्ड को पहली पत्नी और उसके बच्चों को पेंशन का 50% भुगतान करने का निर्देश दिया. इस पर सवाल उठाते हुए दूसरी पत्नी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.