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कोविड19 के कारण अब तक एक हजार से अधिक चिकित्सकों की मौत : IMA - एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर वर्कर्स

ईटीवी भारत से बात करते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ जयलाल ने कहा कि वर्तमान दूसरी लहर ने अब तक 244 चिकित्सकों की जान ले ली है और यह संख्या नियमित आधार पर बढ़ रही है. इस तरह कोरोना के कारण अब तक एक हजार चिकित्सकों की मौत हो गई है.

डॉ जयलाल
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Published : May 18, 2021, 7:17 PM IST

नई दिल्ली : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कहा कि कोविड19 संक्रमण के कारण अब तक 1000 से अधिक चिकित्सकों की मौत हो गई है. मंगलवार को एक विशेष साक्षात्कार में ईटीवी भारत से बात करते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ जयलाल ने कहा कि वर्तमान दूसरी लहर ने अब तक 244 चिकित्सकों की जान ले ली है और यह संख्या नियमित आधार पर बढ़ रही है.

आईएमए अध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर में देश भर के 756 डॉक्टरों और चिकित्सकों की मौत हुई थी.

डॉ जयलाल ने कहा कि इस तरह के हताहतों की रिपोर्ट पूरे भारत से आ रही है. हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि सरकार ने उन्हें शहीद के रूप में मान्यता नहीं दी है. आईएमए के आंकड़ों में कहा गया है कि 69 मौतों के साथ, बिहार डॉक्टरों की सबसे अधिक हताहत होने वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है. उसके बाद उत्तर प्रदेश में 34, दिल्ली में 27, आंध्र प्रदेश में 21. तेलंगाना में 19, महाराष्ट्र में 13, तमिलनाडु में 10 चिकित्सकों की मौत हो चुकी है. मृतक चिकित्सकों की आयु 25 वर्ष से 70 वर्ष के बीच है.

डॉ जयलाल ने आगे कहा कि वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि डॉक्टर एसोसिएशन अपने 3.5 लाख सदस्यों का रिकॉर्ड रखता है.

भारत में1,20,1354 एलोपैथिक और 7.88 लाख आयुष डॉक्टरों का समुदाय वर्तमान में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोविड19 रोगियों की सेवा कर रहा है. आईएमए के एक अनुमान के अनुसार, भारत की कुल हेल्थ वर्कर्स में से केवल 66 प्रतिशत को ही टीका लगाया गया है.

जयलाल ने कहा कि डॉक्टर्स कोविड रोगियों के इलाज के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, लेकिन सरकार ने डॉक्टरों की सुविधा के लिए दोहरा रवैया अपनाया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों सहित सभी सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा के रूप में 50 लाख रुपये की घोषणा की है. दूसरी ओर सरकार ने उन सभी निजी चिकित्सकों के लिए कुछ नहीं किया, जो कोविड रोगियों का इलाज कर रहे हैं.

आईएमए ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को एक ज्ञापन सौंपकर सभी निजी चिकित्सकों को समान लाभ देने का आग्रह किया है.

आईएमए ने कहा कि लोग बड़े पैमाने पर कोविड-19 के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जा रहे हैं.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर वर्कर्स (एएचसीपी-इंडिया) के महानिदेशक और एक वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ गिरिधर ज्ञानी ने भी यही विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को निजी डॉक्टरों को भी यही सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

पढ़ें - सिंगापुर में कोरोना का नया स्ट्रेन बच्चों के लिए खतरनाक, केजरीवाल बोले- हवाई सेवाएं तत्काल हों रद्द

उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी दोनों डॉक्टर कोविड19 रोगियों का इलाज करते हुए समान कर्तव्य निभा रहे हैं. वास्तव में लोग सरकारी डॉक्टरों की तुलना में निजी डॉक्टरों से ज्यादा संपर्क करते हैं.

केंद्र सरकार ने पिछले साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत एक योजना की घोषणा की थी, जो ड्यूटी के दौरान मारे गए हेल्थ केयर्स वर्कर्स को मुआवजा देने के लिए थी.

योजना के अनुसार, एक निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को योजना के तहत कवर करने के लिए, उसे राज्य और केंद्र द्वारा कोरना से संबंधित जिम्मेदारियों के लिए मसौदा तैयार किया जाना चाहिए या मांगा जाना चाहिए.

नई दिल्ली : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कहा कि कोविड19 संक्रमण के कारण अब तक 1000 से अधिक चिकित्सकों की मौत हो गई है. मंगलवार को एक विशेष साक्षात्कार में ईटीवी भारत से बात करते हुए आईएमए अध्यक्ष डॉ जयलाल ने कहा कि वर्तमान दूसरी लहर ने अब तक 244 चिकित्सकों की जान ले ली है और यह संख्या नियमित आधार पर बढ़ रही है.

आईएमए अध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर में देश भर के 756 डॉक्टरों और चिकित्सकों की मौत हुई थी.

डॉ जयलाल ने कहा कि इस तरह के हताहतों की रिपोर्ट पूरे भारत से आ रही है. हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि सरकार ने उन्हें शहीद के रूप में मान्यता नहीं दी है. आईएमए के आंकड़ों में कहा गया है कि 69 मौतों के साथ, बिहार डॉक्टरों की सबसे अधिक हताहत होने वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है. उसके बाद उत्तर प्रदेश में 34, दिल्ली में 27, आंध्र प्रदेश में 21. तेलंगाना में 19, महाराष्ट्र में 13, तमिलनाडु में 10 चिकित्सकों की मौत हो चुकी है. मृतक चिकित्सकों की आयु 25 वर्ष से 70 वर्ष के बीच है.

डॉ जयलाल ने आगे कहा कि वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि डॉक्टर एसोसिएशन अपने 3.5 लाख सदस्यों का रिकॉर्ड रखता है.

भारत में1,20,1354 एलोपैथिक और 7.88 लाख आयुष डॉक्टरों का समुदाय वर्तमान में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोविड19 रोगियों की सेवा कर रहा है. आईएमए के एक अनुमान के अनुसार, भारत की कुल हेल्थ वर्कर्स में से केवल 66 प्रतिशत को ही टीका लगाया गया है.

जयलाल ने कहा कि डॉक्टर्स कोविड रोगियों के इलाज के लिए अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं, लेकिन सरकार ने डॉक्टरों की सुविधा के लिए दोहरा रवैया अपनाया है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने डॉक्टरों सहित सभी सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा के रूप में 50 लाख रुपये की घोषणा की है. दूसरी ओर सरकार ने उन सभी निजी चिकित्सकों के लिए कुछ नहीं किया, जो कोविड रोगियों का इलाज कर रहे हैं.

आईएमए ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को एक ज्ञापन सौंपकर सभी निजी चिकित्सकों को समान लाभ देने का आग्रह किया है.

आईएमए ने कहा कि लोग बड़े पैमाने पर कोविड-19 के इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जा रहे हैं.

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर वर्कर्स (एएचसीपी-इंडिया) के महानिदेशक और एक वरिष्ठ सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ गिरिधर ज्ञानी ने भी यही विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को निजी डॉक्टरों को भी यही सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी दोनों डॉक्टर कोविड19 रोगियों का इलाज करते हुए समान कर्तव्य निभा रहे हैं. वास्तव में लोग सरकारी डॉक्टरों की तुलना में निजी डॉक्टरों से ज्यादा संपर्क करते हैं.

केंद्र सरकार ने पिछले साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत एक योजना की घोषणा की थी, जो ड्यूटी के दौरान मारे गए हेल्थ केयर्स वर्कर्स को मुआवजा देने के लिए थी.

योजना के अनुसार, एक निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को योजना के तहत कवर करने के लिए, उसे राज्य और केंद्र द्वारा कोरना से संबंधित जिम्मेदारियों के लिए मसौदा तैयार किया जाना चाहिए या मांगा जाना चाहिए.

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