नई दिल्ली/गाजियाबाद : राजधानी और देश के बाकी हिस्सों में कोरोना महामारी के गिरते आंकड़ों ने गांवों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि बीते कुछ दिनों से ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.
गाजियाबाद के नाहल गांव में 40 हजार से अधिक की आबादी है. बीते कुछ दिनों पहले गांव के हालात सामान्य थे, लेकिन हफ्ते भर पहले करीब 30 दिन में 100 से अधिक मौतें हुईं. ग्रामीणों के मुताबिक, हर दिन कभी पांच, कभी 10 तो कभी आठ मरीजों ने दम तोड़ा.
कुछ गांव वालों का यह भी कहना है कि गांव में कोरोना को लेकर कोई जांच नहीं हुई और किसी तरह का कोई कैम्प नहीं लगाया गया. हल्के बुखार के लक्षण दिखाई देने के बाद अचानक लोगों की मौत होनी शुरू हो गई. गांव वालों ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव के बाद हालात बिगड़े हैं.
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वहीं स्थानीय हाजी तैयब ने बताया कि मौजूद समय में गांव के हालात सामान्य हैं, लेकिन बीते एक महीने में गांव में काफी लोगों की मौतें हुई हैं. गांव में तक़रीबन 150 लोगों की मौत हुई हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गांव में कोरोना की टेस्टिंग नहीं हुई.
नाहल गांव के पूर्व प्रधान फजर मोहम्मद भी टेस्टिंग को लेकर ही सवाल उठाते हैं. वह कहते हैं कि गांव में काफी मौतें हुई हैं. उनका कहना है कि भारी आबादी के इस इलाके में जब लगातार मौतें हो रही थी तब भी कोरोना टेस्टिंग गांव में नहीं कराई गई. उन्होंने कहा कि जब गांव में लोग बीमार पड़े तब गांव में मौजूद झोला छाप डॉक्टरों से लोगों ने इलाज कराया.
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गांव के मास्टर साकिर हुसैन के मुताबिक, गांव में बीते एक ही महीने में तक़रीबन 100 लोगों की मौत हुई है. गांव में एक दिन तो 10 लोगों की मौत हुई थी. इसके बावजूद गांव में कोरोना की जांच के लिए कोई कैम्प नहीं लगाया गया.
वहीं एक अन्य स्थानीय हाफिज नूर हसन ने बताया, पंचायत चुनाव के बाद हालात गड़बड़ होने शुरू हो गए और लोग बीमार पड़ने लगे. उनके मुताबिक हर घर में हर किसी को बुखार जैसे लक्षण थे. अस्पतालों के हालातों को लेकर पूर्व प्रधान मुनव्वर कहते हैं कि अस्पतालों में बेड की किल्लत थी. ऐसे में कुछ लोग ही अस्पतालों में भर्ती हो सके बाकी लोगों ने गांव में मौजूद झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराया.