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यूपी में पहले चरण के मतदान संपन्न, दिखी सत्ता विरोधी रुझान की झलक

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Published : Feb 11, 2022, 2:18 PM IST

ईटीवी भारत ने पिछले व इस विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान को लेकर बनते बिगड़ते सीटों के समीकरण पर सियासी विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा से बात की है. उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिमी यूपी के जिलों में हुए मतदान से यह संदेश मिल रहे हैं कि यहां बड़े बदलाव हो सकते हैं.

yogesh mishra
सियासी विश्लेषक योगेश मिश्रा

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के संपन्न होने के बाद ईटीवी भारत ने पिछले व इस विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान को लेकर बनते बिगड़ते सीटों के समीकरण पर सियासी विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा से बात की है. इस दौरान सियासी विश्लेषक योगेश मिश्रा ने कहा कि इस बार जो पहले चरण का मतदान हुआ है और जो पिछली बार हुए थे उन दोनों की तुलना में पिछली बार 64 फीसद मतदान हुआ था. उन्होंने कहा कि पिछली बार बदलाव साफ तौर से दिखाई दे रहा था. वहीं, मतदान को लेकर दो-तीन तरह के संदेश बिल्कुल साफ होते हैं. जितना अधिक मतदान होता है, उससे एक चीज साफ होती है कि लोगों का लोकतंत्र के प्रति विश्वास बढ़ रहा है. दूसरा यह कि लोग अपने वोट का अधिकार समझ रहे हैं. लेकिन कई बार मतदान नहीं होने की ढेर सारी वजहें भी होती हैं. सियासी पार्टियां सांपनाथ और नागनाथ को आगे कर देती हैं. ऐसे में जनता के पास कोई विकल्प ही नहीं होता है.

कई बार तो लोगों को सिस्टम, सियासी पार्टी और नेताओं के कमिटमेंट के प्रति निराशा होती है. इसके अलावा नेताओं के अपने अलग-अलग दावों के प्रति जनता में नाराजगी समय दर समय सामने आते रही है. खैर, यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिमी यूपी के जिलों में हुए मतदान से यह संदेश मिल रहे हैं कि यहां बड़े बदलाव हो सकते हैं. इसका लाभ सत्ता को भी हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि विपक्ष के लिए परिवर्तन हो सकता है. लेकिन परिवर्तन होगा, क्योंकि पहले चरण में 60 फीसद से अधिक वोट पड़े हैं. इसके आगे और अधिक बढ़ने के आसार हैं.

सियासी विशेषज्ञ योगेश मिश्रा ने बताया कि अगर 60 फीसद से अधिक लोग अपने घरों से निकलकर बाहर आते हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं तो यह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण बात है. गौतमबुध नगर, नोएडा जैसी जगहों पर कम मतदान हुए हैं. कई बार लोगों को लाइन में लगकर वोट देने में समस्या होती है तो वहीं कई लोगों को मतदान के बारे में पता नहीं होता है. खैर, मौजूदा तस्वीर को देख तो यही जान पड़ता है कि अबकी बदलाव के आसार बन रहे हैं. लेकिन असल नतीजे तो आगामी 10 मार्च को ही आने हैं.

यह भी पढ़े- योगी दोबारा आ गया तो आप लोगों को पूरा खा जाएगा : सीएम ममता

लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के संपन्न होने के बाद ईटीवी भारत ने पिछले व इस विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान को लेकर बनते बिगड़ते सीटों के समीकरण पर सियासी विशेषज्ञ व वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्रा से बात की है. इस दौरान सियासी विश्लेषक योगेश मिश्रा ने कहा कि इस बार जो पहले चरण का मतदान हुआ है और जो पिछली बार हुए थे उन दोनों की तुलना में पिछली बार 64 फीसद मतदान हुआ था. उन्होंने कहा कि पिछली बार बदलाव साफ तौर से दिखाई दे रहा था. वहीं, मतदान को लेकर दो-तीन तरह के संदेश बिल्कुल साफ होते हैं. जितना अधिक मतदान होता है, उससे एक चीज साफ होती है कि लोगों का लोकतंत्र के प्रति विश्वास बढ़ रहा है. दूसरा यह कि लोग अपने वोट का अधिकार समझ रहे हैं. लेकिन कई बार मतदान नहीं होने की ढेर सारी वजहें भी होती हैं. सियासी पार्टियां सांपनाथ और नागनाथ को आगे कर देती हैं. ऐसे में जनता के पास कोई विकल्प ही नहीं होता है.

कई बार तो लोगों को सिस्टम, सियासी पार्टी और नेताओं के कमिटमेंट के प्रति निराशा होती है. इसके अलावा नेताओं के अपने अलग-अलग दावों के प्रति जनता में नाराजगी समय दर समय सामने आते रही है. खैर, यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिमी यूपी के जिलों में हुए मतदान से यह संदेश मिल रहे हैं कि यहां बड़े बदलाव हो सकते हैं. इसका लाभ सत्ता को भी हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि विपक्ष के लिए परिवर्तन हो सकता है. लेकिन परिवर्तन होगा, क्योंकि पहले चरण में 60 फीसद से अधिक वोट पड़े हैं. इसके आगे और अधिक बढ़ने के आसार हैं.

सियासी विशेषज्ञ योगेश मिश्रा ने बताया कि अगर 60 फीसद से अधिक लोग अपने घरों से निकलकर बाहर आते हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं तो यह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण बात है. गौतमबुध नगर, नोएडा जैसी जगहों पर कम मतदान हुए हैं. कई बार लोगों को लाइन में लगकर वोट देने में समस्या होती है तो वहीं कई लोगों को मतदान के बारे में पता नहीं होता है. खैर, मौजूदा तस्वीर को देख तो यही जान पड़ता है कि अबकी बदलाव के आसार बन रहे हैं. लेकिन असल नतीजे तो आगामी 10 मार्च को ही आने हैं.

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