अहमदाबाद : मोरबी ब्रिज हादसा (Morbi bridge collapse) मामले में एसआईटी ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुल ढहने में ओरेवा कंपनी की पूरी तरह लापरवाही रही (Orewa Company completely responsible). एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा है कि यह हादसा नहीं बल्कि हत्या है, इसलिए आरोपियों के खिलाफ धारा 302 लगाई जाए.
-
Special Investigation Team (SIT) has submitted an exhaustive 5,000-page report to #GujaratHighCourt in Morbi bridge collapse incident in which 135 people died.
— IANS (@ians_india) October 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The report released blames key personnel of Oreva company which was responsible for the bridge's operation and… pic.twitter.com/E7d0nKSXfZ
">Special Investigation Team (SIT) has submitted an exhaustive 5,000-page report to #GujaratHighCourt in Morbi bridge collapse incident in which 135 people died.
— IANS (@ians_india) October 10, 2023
The report released blames key personnel of Oreva company which was responsible for the bridge's operation and… pic.twitter.com/E7d0nKSXfZSpecial Investigation Team (SIT) has submitted an exhaustive 5,000-page report to #GujaratHighCourt in Morbi bridge collapse incident in which 135 people died.
— IANS (@ians_india) October 10, 2023
The report released blames key personnel of Oreva company which was responsible for the bridge's operation and… pic.twitter.com/E7d0nKSXfZ
एसआईटी ने सौंपी 5000 पन्नों की रिपोर्ट : राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान इस बात पर बहस हुई थी कि हादसे के लिए सस्पेंशन ब्रिज का संचालन करने वाली ओरेवा कंपनी और नगर पालिका में से कौन जिम्मेदार है. चुनाव पूर्व त्रासदी के राजनीतिक असर से बचने के लिए राज्य सरकार ने हादसे की जांच के लिए एसआईटी यानि स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया था. करीब एक साल की गहन जांच के बाद एसआईटी ने 10 अक्टूबर को गुजरात हाई कोर्ट में अपनी 5,000 पेज की रिपोर्ट सौंपी है.
एसआईटी रिपोर्ट की अहम बातें: मोरबी की दुखद त्रासदी में 21 बच्चों समेत कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी. मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढहने के मामले में एसआईटी ने कई अहम तथ्य दर्ज किए हैं. प्रबंधन की ओर से पुल की मरम्मत की क्या प्रक्रिया थी. इस प्रक्रिया के लिए कौन जिम्मेदार था? कौन इसे करने में चूक गया? इन सभी बातों की पुष्टि करने के बाद उन्होंने 5 हजार पन्नों की अपनी रिपोर्ट गुजरात हाईकोर्ट में सौंपी है.
एसआईटी रिपोर्ट में कहा गया है कि सस्पेंशन ब्रिज को दोबारा खोले जाने पर कोई फिटनेस रिपोर्ट तैयार नहीं की गई थी. यह इस त्रासदी के लिए एक बड़ी गलती है. मोरबी नगर पालिका को पुल दोबारा खोले जाने की जानकारी नहीं दी गई. चूंकि पुल पर यात्रियों के लिए निर्धारित दर टिकटों की बिक्री पर कोई नियंत्रण नहीं है, दुर्घटना के समय पुल पर क्षमता से अधिक लोग मौजूद थे.
पुल पर हादसे के वक्त पर्याप्त सुरक्षा उपकरण और सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त संख्या नहीं थी, जो त्रासदी के लिए भी जिम्मेदार बने. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस हादसे के लिए ओरेवा के मालिक जयसुख पटेल समेत मैनेजर दिनेश दवे और दीपक पारेख पर धारा 302 लगाई जाए.
त्रासदी के लिए जिम्मेदार ओरेवा के जयसुख पटेल कौन हैं? : मोरबी त्रासदी के लिए जिम्मेदार ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल ओरेवा समूह की कंपनियों से जुड़े हैं. ऑर्पेट की यह कंपनी दुनिया में घड़ियां और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लिए जानी जाती है. जयसुख पटेल के पिता ओधवजी पटेल मोरबी और सौराष्ट्र पंथक के जाने-माने व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं.
महिला कर्मचारियों द्वारा संचालित ऑर्पेट कंपनी के वर्तमान एमडी और दुर्घटना के लिए एसआईटी द्वारा जिम्मेदार ठहराए गए जयसुख पटेल ने कच्छ के नाना रण में रण सरोवर परियोजना के माध्यम से कच्छ और वागड़ पंथक में जल भंडारण परियोजनाओं के लिए कई प्रयास किए, जिसके खिलाफ स्थानीय लोग और अगरियाओं ने भारी विरोध किया.