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राजस्थानः हादसे में बेटी की मौत के बाद उसकी नेकी को बनाया जीने का मकसद...हर दिन 1500 लोगों का भरते हैं पेट - Rajasthan hindi news

दुबई में हुए एक हादसे ने बेटी को छीन लिया तो परिजनों ने बेटी की नेकी को जीवन जीने का मकसद बना लिया है. अजमेर का मूलचंदानी परिवार हर दिन नेकीयत की रोशनी के बीच 1500 जरूरतमंदों का पेट (Moolchandani family of Ajmer feeds 1500 people daily) भरने का काम कर रहा है. बेटी की याद में परिजनों ने एक ट्रस्ट बनाया और बस हर दिन नेकी की रोशनी को फैलाने का काम कर रहे हैं.

late daughter Roshni of Moolchandani loved to help poors, Roshni Moolchandan charitable trust ajmer
बेटी की याद में हर दिन गरीबों को खिलाते हैं खाना.
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Published : May 7, 2022, 10:06 PM IST

अजमेर. दुबई में करीब 3 साल पहले हुए एक हादसे में अजमेर के मूलचंदानी परिवार ने बेटी रोशनी को खो दिया. इस हादसे ने परिजनों को कभी ना भूल पाने वाला दर्द दे दिया. इस हादसे में बेटी को खोने के बाद उसकी यादों को हमेशा जिंदा रखने के लिए मूलचंदानी पर 'नेकीयत की रोशनी' से कई जरूतद मंदों के जीवन में खुशियां पहुंचा रहे हैं. बेटी के नाम से चेरिटेबल ट्रस्ट बनाकर 8 माह से परिवार हर रोज 1500 गरीब (Moolchandani family of Ajmer feeds 1500 people daily) लोगों का पेट भर रहा है. ट्रस्ट की ओर से जयपुर और बेंगलोर के कुछ इलाकों में भी गरीबों को भोजन करवाने की व्यवस्था की जा रही है.

इंसान नही रहता, लेकिन उसकी नेकीयत को हमेशा याद रखा जाता है. अजमेर के वैशाली नगर में मूलचंदानी परिवार अपनी बेटी रोशनी की नेकीयत को आगे बढ़ा रहा है. जीते जी रोशनी भी नेकी के कार्य ही किया करती थी. भूखे को खाना खिलाना, लोगों की मदद करना यह रोशनी के संस्कार थे. 6 जून 2019 का दिन मूलचंदानी परिवार कभी नही भूल सकता. यह वह दिन था जब परिवार का अहम हिस्सा रोशनी इस दुनिया को छोड़कर चली गई. परिवार के पास उसकी यादें रह गई हैं.

बेटी की याद में हर दिन गरीबों को खिलाते हैं खाना.

पढ़ें. मानव सेवा का अनूठा संकल्प: अपना घर आश्रम की 50 शाखाओं में 8800 से अधिक प्रभुजनों को देंगे श्रेष्ठतम चिकित्सा और सुविधा

परिजनों ने अपनाई रोशनी की नेकीयतः रोशनी के जाने के बाद परिवार ने उसकी नेकीयत को अपना लिया. कोरोना के समय परिजनों ने जरूरतमंदों को भोजन और आवश्यक सामग्रियां देकर मदद की. इसके बाद यह सिलसिला रुका नहीं. बेटी रोशनी के नाम से ट्रस्ट बनाकर पिता जगदीश मूलचंदानी ने नेकीयत के कार्य को जारी रखा. कहते हैं नैक कार्य करने पर ईश्वर भी साथ देता है. ट्रस्ट से कई संस्थाएं जुड़ गई और 8 माह से ट्रस्ट के माध्यम से अजमेर में गरीब बस्तियों में 1500 लोगों का प्रतिदिन पेट भरने का काम कर रहा है.

ट्रस्ट के फाउंडर मेंबर और रोशनी के छोटे भाई दर्पण बताते हैं कि रोशनी को भूखे को खाना खिलाना अच्छा लगता था फिर चाहे वो इंसान हो या पशु पक्षी. हर किसी के लिए उसके मन में दया का भाव था. उसके नेक भाव की रोशनी को मदद के रूप में गरीब असहाय लोगों तक पहुंचाना ही अब मकसद बन गया है.

late daughter Roshni of Moolchandani loved to help poors, Roshni Moolchandan charitable trust ajmer
हादसे में हुई थी रोशनी की मौत.

पढ़ें. Apna Ghar Ashram Bharatpur: बेसहारा जीवों के लिए संजीवनी बना अपना घर आश्रम...यहां बेजुबानों का सेवा के साथ होता है उपचार

हर दिन 1500 लोगों को खिलाते हैं खानाः दर्पण बताते हैं कि घर पर हर रोज 1500 लोगों का खाना बनाया जाता है. वालंटियर के माध्यम से गरीब बस्तियों में भोजन पहुंचाया जाता है. पर्यावरण प्रदूषण ना हो इसके लिए डिस्पोजल आइटम नहीं रखे जाते हैं. बल्कि जरूरतमंदों को उनके बर्तनों में ही भोजन दिया जाता है. उन्होंने बताया कि हर रोज भोजन का नया मैन्यू होता है. दर्पण बताते हैं कि भोजन पाने वाला किस जाति धर्म का है यह कभी नहीं पूछा जाता. भूखे को भोजन करवाना और नेकीयत की रोशनी को फैलाना ट्रस्ट का मकसद है.

पढ़ें. पुरानी किताबों को इकट्ठा कर जरूरतमंद बच्चों तक पहुंचाने की मुहिम, कोरोना काल में अभिभावकों को दे रही राहत

रोशनी ने कम उम्र में हासिल की थी कामयाबीः अजमेर में पली बढ़ी रोशनी ने कम उम्र में ही कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ ली थी. हायर एजुकेशन के बाद रोशनी ने पुणे से ग्राफिक डिजाइन और बीएससी एनिमेशन में डिग्री प्राप्त की थी. रोशनी को फैशन में भी रुचि थी. 2016 में वह मिस पूना चुनी गई थी. पढ़ाई के बाद 2017 में रोशनी दुबई चली गई जहां एक अखबर में उसने ट्रेनिंग की. पिता जगदीश मूलचंदानी बताते हैं कि रोशनी फाइव पाम जमेरात में मार्केटिंग एवं ग्राफिक्स डिजाइनर का जॉब कर रही थी. वहां कई फैशन शो में रोशनी मॉडलिंग भी कर चुकी है.

late daughter Roshni of Moolchandani loved to help poors, Roshni Moolchandan charitable trust ajmer
हर दिन बांटते हैं खाना.

ओमान से छुट्टियां बीता कर वह बस से दुबई लौट रही थी. दुबई में 6 जून 2019 को सवारियों से भरी बस बेरियल से टकराई. जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी. हादसा उस वक्त हुआ जब 30 सेकंड बाद ही रोशनी को बस से अपने गंतव्य पर उतरना था. उस हादसे ने परिवार को जिंदगी भर का जख्म दे दिया. जगदीश मूलचंदानी बताते हैं कि बेटी की नेकी की भावना को आगे बढ़ाने से परिवार को खुशी मिलती है और हमेशा यह कोशिश रहेगी कि यह नेकी का कार्य कभी नहीं रुके. जगदीश मूलचंदानी और उनके बेटे का दवा का कारोबार है.

अजमेर. दुबई में करीब 3 साल पहले हुए एक हादसे में अजमेर के मूलचंदानी परिवार ने बेटी रोशनी को खो दिया. इस हादसे ने परिजनों को कभी ना भूल पाने वाला दर्द दे दिया. इस हादसे में बेटी को खोने के बाद उसकी यादों को हमेशा जिंदा रखने के लिए मूलचंदानी पर 'नेकीयत की रोशनी' से कई जरूतद मंदों के जीवन में खुशियां पहुंचा रहे हैं. बेटी के नाम से चेरिटेबल ट्रस्ट बनाकर 8 माह से परिवार हर रोज 1500 गरीब (Moolchandani family of Ajmer feeds 1500 people daily) लोगों का पेट भर रहा है. ट्रस्ट की ओर से जयपुर और बेंगलोर के कुछ इलाकों में भी गरीबों को भोजन करवाने की व्यवस्था की जा रही है.

इंसान नही रहता, लेकिन उसकी नेकीयत को हमेशा याद रखा जाता है. अजमेर के वैशाली नगर में मूलचंदानी परिवार अपनी बेटी रोशनी की नेकीयत को आगे बढ़ा रहा है. जीते जी रोशनी भी नेकी के कार्य ही किया करती थी. भूखे को खाना खिलाना, लोगों की मदद करना यह रोशनी के संस्कार थे. 6 जून 2019 का दिन मूलचंदानी परिवार कभी नही भूल सकता. यह वह दिन था जब परिवार का अहम हिस्सा रोशनी इस दुनिया को छोड़कर चली गई. परिवार के पास उसकी यादें रह गई हैं.

बेटी की याद में हर दिन गरीबों को खिलाते हैं खाना.

पढ़ें. मानव सेवा का अनूठा संकल्प: अपना घर आश्रम की 50 शाखाओं में 8800 से अधिक प्रभुजनों को देंगे श्रेष्ठतम चिकित्सा और सुविधा

परिजनों ने अपनाई रोशनी की नेकीयतः रोशनी के जाने के बाद परिवार ने उसकी नेकीयत को अपना लिया. कोरोना के समय परिजनों ने जरूरतमंदों को भोजन और आवश्यक सामग्रियां देकर मदद की. इसके बाद यह सिलसिला रुका नहीं. बेटी रोशनी के नाम से ट्रस्ट बनाकर पिता जगदीश मूलचंदानी ने नेकीयत के कार्य को जारी रखा. कहते हैं नैक कार्य करने पर ईश्वर भी साथ देता है. ट्रस्ट से कई संस्थाएं जुड़ गई और 8 माह से ट्रस्ट के माध्यम से अजमेर में गरीब बस्तियों में 1500 लोगों का प्रतिदिन पेट भरने का काम कर रहा है.

ट्रस्ट के फाउंडर मेंबर और रोशनी के छोटे भाई दर्पण बताते हैं कि रोशनी को भूखे को खाना खिलाना अच्छा लगता था फिर चाहे वो इंसान हो या पशु पक्षी. हर किसी के लिए उसके मन में दया का भाव था. उसके नेक भाव की रोशनी को मदद के रूप में गरीब असहाय लोगों तक पहुंचाना ही अब मकसद बन गया है.

late daughter Roshni of Moolchandani loved to help poors, Roshni Moolchandan charitable trust ajmer
हादसे में हुई थी रोशनी की मौत.

पढ़ें. Apna Ghar Ashram Bharatpur: बेसहारा जीवों के लिए संजीवनी बना अपना घर आश्रम...यहां बेजुबानों का सेवा के साथ होता है उपचार

हर दिन 1500 लोगों को खिलाते हैं खानाः दर्पण बताते हैं कि घर पर हर रोज 1500 लोगों का खाना बनाया जाता है. वालंटियर के माध्यम से गरीब बस्तियों में भोजन पहुंचाया जाता है. पर्यावरण प्रदूषण ना हो इसके लिए डिस्पोजल आइटम नहीं रखे जाते हैं. बल्कि जरूरतमंदों को उनके बर्तनों में ही भोजन दिया जाता है. उन्होंने बताया कि हर रोज भोजन का नया मैन्यू होता है. दर्पण बताते हैं कि भोजन पाने वाला किस जाति धर्म का है यह कभी नहीं पूछा जाता. भूखे को भोजन करवाना और नेकीयत की रोशनी को फैलाना ट्रस्ट का मकसद है.

पढ़ें. पुरानी किताबों को इकट्ठा कर जरूरतमंद बच्चों तक पहुंचाने की मुहिम, कोरोना काल में अभिभावकों को दे रही राहत

रोशनी ने कम उम्र में हासिल की थी कामयाबीः अजमेर में पली बढ़ी रोशनी ने कम उम्र में ही कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ ली थी. हायर एजुकेशन के बाद रोशनी ने पुणे से ग्राफिक डिजाइन और बीएससी एनिमेशन में डिग्री प्राप्त की थी. रोशनी को फैशन में भी रुचि थी. 2016 में वह मिस पूना चुनी गई थी. पढ़ाई के बाद 2017 में रोशनी दुबई चली गई जहां एक अखबर में उसने ट्रेनिंग की. पिता जगदीश मूलचंदानी बताते हैं कि रोशनी फाइव पाम जमेरात में मार्केटिंग एवं ग्राफिक्स डिजाइनर का जॉब कर रही थी. वहां कई फैशन शो में रोशनी मॉडलिंग भी कर चुकी है.

late daughter Roshni of Moolchandani loved to help poors, Roshni Moolchandan charitable trust ajmer
हर दिन बांटते हैं खाना.

ओमान से छुट्टियां बीता कर वह बस से दुबई लौट रही थी. दुबई में 6 जून 2019 को सवारियों से भरी बस बेरियल से टकराई. जिसमें 18 लोगों की मौत हुई थी. हादसा उस वक्त हुआ जब 30 सेकंड बाद ही रोशनी को बस से अपने गंतव्य पर उतरना था. उस हादसे ने परिवार को जिंदगी भर का जख्म दे दिया. जगदीश मूलचंदानी बताते हैं कि बेटी की नेकी की भावना को आगे बढ़ाने से परिवार को खुशी मिलती है और हमेशा यह कोशिश रहेगी कि यह नेकी का कार्य कभी नहीं रुके. जगदीश मूलचंदानी और उनके बेटे का दवा का कारोबार है.

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