नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की प्रगति के साथ, धनशोधन जैसे आर्थिक अपराध देश की वित्तीय प्रणाली के कामकाज के लिए एक वास्तविक खतरा बन गए हैं. धनशोधन मामले में शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के एक कर्मचारी की जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि आर्थिक अपराधों का पूरे देश के विकास पर गंभीर असर पड़ता है.
पीठ ने कहा कि 'प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की प्रगति के साथ, धनशोधन जैसे आर्थिक अपराध देश की वित्तीय प्रणाली के कामकाज के लिए एक वास्तविक खतरा बन गए हैं और जांच एजेंसियों के लिए लेनदेन की जटिल प्रकृति का पता लगाना तथा समझना एवं इसमें शामिल व्यक्तियों की भूमिका की जानकारी जुटाना बड़ी चुनौती बन गए हैं.'
पीठ ने कहा कि 'यह देखने के लिए कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति पर गलत मामला दर्ज न किया जाए और कोई भी अपराधी कानून के चंगुल से बच न जाए, जांच एजेंसी द्वारा बहुत सूक्ष्म प्रयास किए जाने की उम्मीद है.' न्यायालय ने कहा कि आर्थिक अपराधों को जमानत के मामले में अलग दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है.
पीठ ने कहा कि 'गहरी साजिश वाले और सार्वजनिक धन के भारी नुकसान से जुड़े आर्थिक अपराधों को गंभीरता से लेने की जरूरत है तथा इन्हें गंभीर अपराध माना जाना चाहिए जो पूरे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं और इससे देश के वित्तीय स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है.'
शीर्ष अदालत ने कहा कि जब अदालत द्वारा आरोपियों की हिरासत जारी रखी जाती है, तो अदालतों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे उचित समय के भीतर सुनवाई पूरी कर लें, जिससे संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा प्रदत्त त्वरित सुनवाई के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सके. शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी तरूण कुमार को प्रथम दृष्टया यह साबित करना होगा कि वह कथित अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके कोई अपराध करने की संभावना नहीं है.
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के खिलाफ धनशोधन का मामला सीबीआई की प्राथमिकी पर आधारित था, जिसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक कदाचार का आरोप लगाया गया था.