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मोदी सरकार ने एनजीटी को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी: जयराम रमेश

कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने राष्ट्रीय हरित अधिकरण कमजोर करने का आरोप लगाया है.

Congress party leader Jairam Ramesh
कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश
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Published : Jul 9, 2023, 10:46 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने रविवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को इस हद तक कमजोर कर दिया है कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उच्चतम न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसका अध्यक्ष बनने के लिए सहमत होगा या नहीं.

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि एनजीटी की स्थापना अक्टूबर 2010 में संसद के एक अधिनियम के जरिए की गई थी, जिसके बाद भारत पर्यावरण की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए विशेष संस्था वाले कुछेक देशों में शामिल हो गया था. रमेश ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से मोदी सरकार ने एनजीटी को कमजोर करने और इसकी प्रभावशीलता को कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अब यह (एनजीटी) एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना कर रहा है. इस गुरुवार को इसके अध्यक्ष, जो कानून के अनुसार उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे, उनकी सेवानिवृत्ति के बाद गंभीर संदेह पैदा हो गया है कि क्या ऐसा न्यायविद् जिसने शीर्ष अदालत में सेवा की हो, वह इसकी कमान संभालने के लिए तैयार होगा.

रमेश ने कहा कि हम केवल यह आशा कर सकते हैं कि एनजीटी अधिनियम की मूल भावना संरक्षित रहेगी, हालांकि इसके उद्देश्य में संशोधन करके उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के लिए अध्यक्ष के पद को कम आकर्षक बना दिया गया है.

केंद्र सरकार ने गुरुवार को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति शेओ कुमार सिंह को इसका कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया था. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि न्यायमूर्ति सिंह इस पद पर नियुक्ति होने तक अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने रविवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को इस हद तक कमजोर कर दिया है कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उच्चतम न्यायालय का कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश इसका अध्यक्ष बनने के लिए सहमत होगा या नहीं.

पूर्व पर्यावरण मंत्री रमेश ने कहा कि एनजीटी की स्थापना अक्टूबर 2010 में संसद के एक अधिनियम के जरिए की गई थी, जिसके बाद भारत पर्यावरण की रक्षा और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए विशेष संस्था वाले कुछेक देशों में शामिल हो गया था. रमेश ने आरोप लगाया कि 2014 के बाद से मोदी सरकार ने एनजीटी को कमजोर करने और इसकी प्रभावशीलता को कम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अब यह (एनजीटी) एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना कर रहा है. इस गुरुवार को इसके अध्यक्ष, जो कानून के अनुसार उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश थे, उनकी सेवानिवृत्ति के बाद गंभीर संदेह पैदा हो गया है कि क्या ऐसा न्यायविद् जिसने शीर्ष अदालत में सेवा की हो, वह इसकी कमान संभालने के लिए तैयार होगा.

रमेश ने कहा कि हम केवल यह आशा कर सकते हैं कि एनजीटी अधिनियम की मूल भावना संरक्षित रहेगी, हालांकि इसके उद्देश्य में संशोधन करके उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के लिए अध्यक्ष के पद को कम आकर्षक बना दिया गया है.

केंद्र सरकार ने गुरुवार को न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय हरित अधिकरण के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति शेओ कुमार सिंह को इसका कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया था. केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि न्यायमूर्ति सिंह इस पद पर नियुक्ति होने तक अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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