ETV Bharat / bharat

सही तरीके से चल रहा है भारतीय सेना का आधुनिकीकरण : सेना प्रमुख

author img

By

Published : May 31, 2021, 1:04 AM IST

सेना का आधुनिकीकरण को लेकर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने स्थिति साफ कर दी हैं. उन्होंने उन सभी आशंकाओं को भी खारिज कर दिया जिसमें चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध की वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अधिक संसाधन खर्च करने की जरूरत के चलते सेना के लिए नए हथियार आदि खरीदने के लिए धन की कमी बताई जा रही थी.

General Manoj Mukund Naravane
सेना प्रमुख नरवणे

नई दिल्ली : सेना का आधुनिकीकरण को लेकर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने स्थिति साफ कर दी हैं. उन्होंने जानकारी दी कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण सही तरीके से चल रहा है. उन्होंने उन सभी आशंकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध की वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अधिक संसाधन खर्च करने की जरूरत के चलते सेना के लिए नए हथियार आदि खरीदने के लिए धन की कमी बताई जा रही थी.

21 हजार करोड़ रुपये के ठेकों की पूर्ति

जनरल नरवणे ने अपनी राय पर जोर देते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष से अब तक 21 हजार करोड़ रुपये के ठेकों की पूर्ति हो चुकी है, जबकि ढांचागत विकास के लिए कई अन्य खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि सेना का आधुनिकीकरण बिना किसी परेशानी के हो रहा है और इसके लिए जरूरी संसाधन सरकार मुहैया करा रही है.

जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण ठीक ढंग से चल रहा है. हाल में सामान्य खरीद योजना के तहत 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत के ठेके पूरे किए गए, जबकि पांच हजार करोड़ रुपये के 44 ठेके वित्तवर्ष 2020-21 में आपात खरीद योजना के तहत पूरे किए गए थे.

थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि कई पूंजीगत खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं. आधुनिकीकरण का संदर्भ देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि हम किसी समस्या का सामना नहीं कर रहे हैं.

बता दें, सरकार ने फरवरी में वित्तवर्ष 2021-22 के लिए पेश बजट में रक्षा के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसमें से 1,35,060 करोड़ रुपये का प्रावधान पूंजीगत व्यय के लिए अलग से किया था. इसमें नए हथियारों, लड़ाकू विमानों, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजो सामान की खरीद शामिल है. बजट के मुताबिक वित्तवर्ष 2021-22 के लिए रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में पिछले साल के 1,13,734 करोड़ रुपये के मुकाबले 18.75 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

चीन की बढ़ती आक्रमकता के चलते आधुनिकीकरण पर जोर

दरअसल, चीन की बढ़ती आक्रमकता का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए रक्षा विशेषज्ञ गत कुछ सालों से भारतीय सेना का तेजी से आधुनिकीकरण करने पर जोर दे रहे हैं. पूर्वी लद्दाख में गत वर्ष पांच मई को 45 सालों में पहली बार भारतीय सेना और चीनी सेना में हिंसक झड़प हुई है और तब से अबतक तक दोनों पक्षों के बीच वहां गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील के पास सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर सीमित प्रगति हुई है जबकि बाकी स्थानों पर इसी तरह के कदम उठाने के लिए होने वाली वार्ता में गतिरोध बना हुआ है.

जनरल नरवणे ने कहा कि इस समय भारतीय सेना की ऊंचाई वाले इलाकों में सभी अहम स्थानों पर पकड़ है और वहां पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में आरक्षित जवान मौजूद हैं. पूर्वी लद्दाख में एलएसी के संवेदनशील इलाकों में मौजूदा समय में करीब 50 से 60 हजार जवान तैनात हैं.

भारत और चीन के संबंधों में गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प के बाद तनाव आ गया था और दोनों पक्षों ने इसके बाद इलाके में हजारों की संख्या में सैनिकों की टैंक और बड़े हथियारों के साथ तैनाती की. सैन्य गतिरोध के नौ महीने के बाद सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से पीछे हटी.

गतिरोध वाले स्थानों पर तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी के लिए दोनों पक्षों में 11 दौर की सैन्य वार्ता हुई. अब दोनों पक्ष गतिरोध के अन्य स्थानों पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए वार्ता कर रहे हैं

निराधार भय बढ़ाने के लिए सैन्य गठबंधन के तौर पर क्वाड की प्रस्तुति

थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि कुछ देशों ने क्वाड या चार देशों के गठबंधन को सैन्य गठबंधन के तौर पर प्रस्तुत किया है ताकि निराधार भय को बढ़ावा दिया जा सके, लेकिन अपने दावों को साबित करने के लिए उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं.

क्वाड की मंशा सैन्य गठबंधन बनने की नहीं है, इस बात पर जोर देते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि यह बहुपक्षीय समूह है जो केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मुद्दों तक सीमित है.

क्वाड समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर विश्व भर में उभरी चिंता के मद्देनजर मुक्त, स्वतंत्र एवं समावेशी क्षेत्र तथा साझा लोकतांत्रिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है.

सेना प्रमुख ने को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि क्वाड की मंशा या प्रयास सैन्य गठबंधन बनाने की नहीं है. यह बहुपक्षीय समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है.

उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने क्वाड को सैन्य गठबंधन दर्शाने की कोशिश की है ताकि निराधार भय को बढ़ावा दिया जा सके जबकि उनके पास यह साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य नहीं हैं.

चीन क्वाड की अत्यधिक आलोचना करता है और दावा करता है कि समूह का मकसद हिंद-प्रशांत में उसे रोकना है. रूस भी क्वाड की आलोचना करता रहा है और उसने कहा है कि यह क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए समावेशी संवाद के लिए नुकसानदेह है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सेना का आधुनिकीकरण को लेकर सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने स्थिति साफ कर दी हैं. उन्होंने जानकारी दी कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण सही तरीके से चल रहा है. उन्होंने उन सभी आशंकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध की वजह से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अधिक संसाधन खर्च करने की जरूरत के चलते सेना के लिए नए हथियार आदि खरीदने के लिए धन की कमी बताई जा रही थी.

21 हजार करोड़ रुपये के ठेकों की पूर्ति

जनरल नरवणे ने अपनी राय पर जोर देते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष से अब तक 21 हजार करोड़ रुपये के ठेकों की पूर्ति हो चुकी है, जबकि ढांचागत विकास के लिए कई अन्य खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि सेना का आधुनिकीकरण बिना किसी परेशानी के हो रहा है और इसके लिए जरूरी संसाधन सरकार मुहैया करा रही है.

जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण ठीक ढंग से चल रहा है. हाल में सामान्य खरीद योजना के तहत 16 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत के ठेके पूरे किए गए, जबकि पांच हजार करोड़ रुपये के 44 ठेके वित्तवर्ष 2020-21 में आपात खरीद योजना के तहत पूरे किए गए थे.

थल सेनाध्यक्ष ने कहा कि कई पूंजीगत खरीद प्रस्ताव प्रक्रिया में हैं. आधुनिकीकरण का संदर्भ देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि हम किसी समस्या का सामना नहीं कर रहे हैं.

बता दें, सरकार ने फरवरी में वित्तवर्ष 2021-22 के लिए पेश बजट में रक्षा के लिए 4.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसमें से 1,35,060 करोड़ रुपये का प्रावधान पूंजीगत व्यय के लिए अलग से किया था. इसमें नए हथियारों, लड़ाकू विमानों, युद्धपोत और अन्य सैन्य साजो सामान की खरीद शामिल है. बजट के मुताबिक वित्तवर्ष 2021-22 के लिए रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत व्यय में पिछले साल के 1,13,734 करोड़ रुपये के मुकाबले 18.75 प्रतिशत की वृद्धि की गई है.

चीन की बढ़ती आक्रमकता के चलते आधुनिकीकरण पर जोर

दरअसल, चीन की बढ़ती आक्रमकता का प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए रक्षा विशेषज्ञ गत कुछ सालों से भारतीय सेना का तेजी से आधुनिकीकरण करने पर जोर दे रहे हैं. पूर्वी लद्दाख में गत वर्ष पांच मई को 45 सालों में पहली बार भारतीय सेना और चीनी सेना में हिंसक झड़प हुई है और तब से अबतक तक दोनों पक्षों के बीच वहां गतिरोध बना हुआ है. पैंगोंग झील के पास सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर सीमित प्रगति हुई है जबकि बाकी स्थानों पर इसी तरह के कदम उठाने के लिए होने वाली वार्ता में गतिरोध बना हुआ है.

जनरल नरवणे ने कहा कि इस समय भारतीय सेना की ऊंचाई वाले इलाकों में सभी अहम स्थानों पर पकड़ है और वहां पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संख्या में आरक्षित जवान मौजूद हैं. पूर्वी लद्दाख में एलएसी के संवेदनशील इलाकों में मौजूदा समय में करीब 50 से 60 हजार जवान तैनात हैं.

भारत और चीन के संबंधों में गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प के बाद तनाव आ गया था और दोनों पक्षों ने इसके बाद इलाके में हजारों की संख्या में सैनिकों की टैंक और बड़े हथियारों के साथ तैनाती की. सैन्य गतिरोध के नौ महीने के बाद सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देशों की सेनाएं पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से पीछे हटी.

गतिरोध वाले स्थानों पर तनाव कम करने और सैनिकों की वापसी के लिए दोनों पक्षों में 11 दौर की सैन्य वार्ता हुई. अब दोनों पक्ष गतिरोध के अन्य स्थानों पर सैनिकों को पीछे हटाने के लिए वार्ता कर रहे हैं

निराधार भय बढ़ाने के लिए सैन्य गठबंधन के तौर पर क्वाड की प्रस्तुति

थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने कहा कि कुछ देशों ने क्वाड या चार देशों के गठबंधन को सैन्य गठबंधन के तौर पर प्रस्तुत किया है ताकि निराधार भय को बढ़ावा दिया जा सके, लेकिन अपने दावों को साबित करने के लिए उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं हैं.

क्वाड की मंशा सैन्य गठबंधन बनने की नहीं है, इस बात पर जोर देते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि यह बहुपक्षीय समूह है जो केवल हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मुद्दों तक सीमित है.

क्वाड समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता को लेकर विश्व भर में उभरी चिंता के मद्देनजर मुक्त, स्वतंत्र एवं समावेशी क्षेत्र तथा साझा लोकतांत्रिक विचारधाराओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है.

सेना प्रमुख ने को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि क्वाड की मंशा या प्रयास सैन्य गठबंधन बनाने की नहीं है. यह बहुपक्षीय समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है.

उन्होंने कहा कि कुछ देशों ने क्वाड को सैन्य गठबंधन दर्शाने की कोशिश की है ताकि निराधार भय को बढ़ावा दिया जा सके जबकि उनके पास यह साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य नहीं हैं.

चीन क्वाड की अत्यधिक आलोचना करता है और दावा करता है कि समूह का मकसद हिंद-प्रशांत में उसे रोकना है. रूस भी क्वाड की आलोचना करता रहा है और उसने कहा है कि यह क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए समावेशी संवाद के लिए नुकसानदेह है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.