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हर पंचायत में पैक्स गठन की जरूरत, 10 लाख करोड़ रु का बांटा जा सकता है कृषि लोन : शाह - किसानों को कृषि ऋण

पंचायत के जरिए किसानों को कृषि ऋण पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है. सरकार चाहती है कि देश में जितनी भी पंचायतें हैं, उनमें से हरेक के पास पैक्स समिति हो, ताकि 10 लाख करोड़ रु. का कृषि लोन किसानों तक वितरित किया जा सके. अभी मात्र 95000 पैक्स समितियां हैं. ये मात्र दो लाख करोड़ रुपये का ही कृषि लोन बांट पाती हैं. minister of cooperation amit shah.

Minister of Co operation amit shah
अमित शाह, सहकारिता मंत्री
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Published : Aug 12, 2022, 6:34 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि सहकारी समितियों (cooperative societies) के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये का कृषि-ऋण मुहैया कराने के लिए देश भर में दो लाख से अधिक नई प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) के गठन की जरूरत है. minister of cooperation amit shah.

शाह ने ग्रामीण सहकारी बैंकों (Rural cooperative Banks) के एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में फिलहाल 95,000 से अधिक पैक्स समितियां मौजूद हैं, लेकिन उनमें से करीब 63,000 समितियां ही सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि पैक्स समितियां कृषि क्षेत्र की कर्ज प्रणाली की आत्मा हैं, लिहाजा उनका सशक्तीकरण और विस्तार जरूरी है.

मंत्री ने कहा कि देश भर में तीन लाख पंचायतें मौजूद हैं लेकिन पैक्स समितियों की संख्या सिर्फ 95,000 ही है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में दो लाख से अधिक नई पैक्स समितियों के गठन की जरूरत है. शाह ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के वरिष्ठ अधिकारियों से एक पंचवर्षीय योजना बनाने को कहा.

उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के जरिये कृषि क्षेत्र को वित्त मुहैया कराने की दर घटी है. इस समय सक्रिय 63,000 पैक्स समितियों ने दो लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण वितरित किया है. सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर पैक्स समितियों की संख्या तीन लाख तक पहुंच जाती है तो सहकारी समितियों के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये तक का कृषि ऋण वितरित कर पाना मुमकिन होगा.

उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पैक्स समितियों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए इनके कंप्यूटरीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. पांच साल के भीतर मौजूरा पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए कुल 2,516 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. शाह ने पैक्स समितियों को अपने फलक का विस्तार करने और अधिक संख्या में किसानों को अपने साथ जोड़ने का सुझाव भी दिया.

उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स समितियों के मानक नियमों का एक मसौदा जारी कर राज्य सरकारों एवं अन्य संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इन सुझावों के आधार पर जल्द ही नियमों को अंतिम रूप देगी.

मानक नियमों के मसौदे में पैक्स समितियों को पेट्रोलियम उत्पादों का वितरक बनने और राशन की सरकारी दुकानों के संचालन का काम सौंपने का भी प्रस्ताव रखा गया है. उन्होंने कहा कि इस मसौदे में 22 नए कार्यों से जुड़ने की मंजूरी देने की बात कही गई है. सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार एक नई सहकारिता नीति लाने, एक विश्वविद्यालय के गठन और सहकारी समितियों का डेटाबेस तैयार करने की दिशा में भी काम कर रही है.

इस मौके पर शाह ने चुनिंदा एससीबीएस, डीसीसीबी और पैक्स समितियों को पुरस्कार भी प्रदान किए. इसके अलावा 100 साल की सेवा पूरी कर चुके कुछ सहकारी ऋण संस्थाों को सम्मानित भी किया गया. इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, राज्य सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय महासंघ (नैफ्सकॉब) को चेयरमैन कोंडुरु रविंदर राव, कृभको के चेयरमैन चंद्रपाल सिंह यादव और नैफेड के चेयरमैन बिजेंदर सिंह भी मौजूद थे.

ये भी पढ़ें : International Co-operative Day बढ़ेगा पैक्स का दायरा, खुलेगा सहकारिता विश्वविद्यालय

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि सहकारी समितियों (cooperative societies) के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये का कृषि-ऋण मुहैया कराने के लिए देश भर में दो लाख से अधिक नई प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) के गठन की जरूरत है. minister of cooperation amit shah.

शाह ने ग्रामीण सहकारी बैंकों (Rural cooperative Banks) के एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में फिलहाल 95,000 से अधिक पैक्स समितियां मौजूद हैं, लेकिन उनमें से करीब 63,000 समितियां ही सक्रिय रूप से काम कर रही हैं. उन्होंने कहा कि पैक्स समितियां कृषि क्षेत्र की कर्ज प्रणाली की आत्मा हैं, लिहाजा उनका सशक्तीकरण और विस्तार जरूरी है.

मंत्री ने कहा कि देश भर में तीन लाख पंचायतें मौजूद हैं लेकिन पैक्स समितियों की संख्या सिर्फ 95,000 ही है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में दो लाख से अधिक नई पैक्स समितियों के गठन की जरूरत है. शाह ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के वरिष्ठ अधिकारियों से एक पंचवर्षीय योजना बनाने को कहा.

उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों के जरिये कृषि क्षेत्र को वित्त मुहैया कराने की दर घटी है. इस समय सक्रिय 63,000 पैक्स समितियों ने दो लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण वितरित किया है. सहकारिता मंत्री ने कहा कि अगर पैक्स समितियों की संख्या तीन लाख तक पहुंच जाती है तो सहकारी समितियों के जरिये 10 लाख करोड़ रुपये तक का कृषि ऋण वितरित कर पाना मुमकिन होगा.

उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पैक्स समितियों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए इनके कंप्यूटरीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. पांच साल के भीतर मौजूरा पैक्स समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए कुल 2,516 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. शाह ने पैक्स समितियों को अपने फलक का विस्तार करने और अधिक संख्या में किसानों को अपने साथ जोड़ने का सुझाव भी दिया.

उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने पैक्स समितियों के मानक नियमों का एक मसौदा जारी कर राज्य सरकारों एवं अन्य संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इन सुझावों के आधार पर जल्द ही नियमों को अंतिम रूप देगी.

मानक नियमों के मसौदे में पैक्स समितियों को पेट्रोलियम उत्पादों का वितरक बनने और राशन की सरकारी दुकानों के संचालन का काम सौंपने का भी प्रस्ताव रखा गया है. उन्होंने कहा कि इस मसौदे में 22 नए कार्यों से जुड़ने की मंजूरी देने की बात कही गई है. सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार एक नई सहकारिता नीति लाने, एक विश्वविद्यालय के गठन और सहकारी समितियों का डेटाबेस तैयार करने की दिशा में भी काम कर रही है.

इस मौके पर शाह ने चुनिंदा एससीबीएस, डीसीसीबी और पैक्स समितियों को पुरस्कार भी प्रदान किए. इसके अलावा 100 साल की सेवा पूरी कर चुके कुछ सहकारी ऋण संस्थाों को सम्मानित भी किया गया. इस कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा, सहकारिता सचिव ज्ञानेश कुमार, राज्य सहकारी बैंकों के राष्ट्रीय महासंघ (नैफ्सकॉब) को चेयरमैन कोंडुरु रविंदर राव, कृभको के चेयरमैन चंद्रपाल सिंह यादव और नैफेड के चेयरमैन बिजेंदर सिंह भी मौजूद थे.

ये भी पढ़ें : International Co-operative Day बढ़ेगा पैक्स का दायरा, खुलेगा सहकारिता विश्वविद्यालय

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