पटना: बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बीच करीब 2 घंटे तक सीएम हाउस में मुलाकात चली. वहीं, समाज कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अतुल प्रसाद भी इस दौरान मौजूद थे. मुलाकात खत्म होने के बाद मदन सहनी मीडिया को देख दूसरे गेट से बाहर निकले.
अफसरशाही का लगाया था आरोप
बता दें कि मदन सहनी ने बिहार में हावी अफसरशाही का आरोप लगाते हुए ऐलान किया था कि उन्हें अपने पद पर रहकर काम करने में असुविधा हो रही है और उनकी बात अधिकारी नहीं सुनते हैं. मदन सहनी दरभंगा के बहादुरपुर विधानसभा क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड के विधायक हैं. समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा था कि यहां अधिकारियों की कौन कहे, चपरासी तक मंत्री की बात नहीं सुनते. अगर मंत्री की भी बात सरकार में नहीं सुनी जाएगी, तो ऐसी हालत में मंत्री पद पर रहकर क्या फायदा? अफसरों की तानाशाही से हम परेशान हो गए हैं. कोई काम नहीं हो रहा है. जब हम गरीबों का भला ही नहीं कर पा रहे हैं, तो केवल सुविधा भोगने के लिए मंत्री नहीं रह सकते. मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप देंगे.
बिहार में ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़ा खेल!
जानकारी के अनुसार, जून महीने में लगभग सभी विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग का बड़ा खेल होता है. अफसर से लेकर क्लर्क तक का तबादला होता है. बताया जाता है कि विभागीय मंत्री ( Social Welfare Minister Madan Sahni ) अपने हिसाब से ट्रांसफर-पोस्टिंग ( Transfer Posting ) करना चाहते थे. लेकिन समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अतुल प्रसाद ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों में ठन गई
सैकड़ों कर्मचारियों का हुआ ट्रांसफर
बिहार में पिछले हफ्ते लगभग सभी विभाग से सैकड़ों कर्मचारियों का ट्रांसफर किया गया है. इसमे क्लर्क से इंजीनियर तक शामिल हैं. लेकिन समाज कल्याण विभाग में किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं हुआ है. खबर है कि अफसर और मंत्री में ऐसी ठनी कि किसी का तबादला नहीं हुआ और उसी का देन है कि मंत्री को अब इस्तीफे की पेशकश करनी पड़ी.
ये भी पढ़ें - बिहार में अफसरशाही: कोई बता गया, कोई छिपा गया!
दलाल नहीं राजनीतिक प्राणी हूं: सहनी
हालांकि शनिवार को मुजफ्फरपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री जीवेश मिश्रा पर मदन सहनी बिफर पड़े. अधिकारियों से तालमेल बैठाने पर तल्ख लहजे में कहा- 'हम राजनीतिक प्राणी हैं, दलाल नहीं कि अधिकारियों से तालमेल बैठाएं. ये विद्या वो अपने पास ही रखें और अपनी सीमा में रहें.'
दरअसल, जीवेश मिश्रा ने कहा था कि 'अफसरों की मनमानी के आरोप का मैं समर्थन नहीं करता. मेरे पास दो-दो विभाग हैं. मेरे विभागों में इस तरह की कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा था कि मंत्री को भी अधिकारी के साथ सामंजस्य बैठाकर विभाग चलाना चाहिए. मंत्री जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं. जनता के कई सारे काम होते हैं. ऐसे में मंत्रियों की जवाबदेही ज्यादा होती है. अधिकारियों को यह बात समझनी चाहिए.'