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जानिए मकोका में सुकेश-लीना को मिल सकती है कितनी सजा, क्या कहता है कानून ? - सुकेश चंद्रशेखर केस

करोड़ों की ठगी के मामले में सुकेश चंद्रशेखर की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. पुलिस ने सुकेश और उसकी पार्टनर लीना पॉल समेत पांच आरोपियों को मकोका के तहत गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों को कितनी सजा और कितना जुर्माना लग सकता है. जानिए एक्सपर्ट्स से...

सुकेश और लीना को मिलेगी कितनी सजा ?
सुकेश और लीना को मिलेगी कितनी सजा ?
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Published : Sep 14, 2021, 5:26 PM IST

नई दिल्ली : 200 करोड़ की ठगी करने वाले शातिर जालसाज सुकेश की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. पुलिस ने उसके खिलाफ मकोका लगाने के साथ ही उसकी कथित पत्नी लीना पॉल सहित अन्य आरोपियों को भी मकोका में गिरफ्तार किया है. इनके खिलाफ अगर संगठित अपराध अदालत में साबित हुआ तो उन्हें मकोका के तहत सजा सुनाई जा सकती है. इसमें उम्रकैद तक की सजा के अलावा पांच लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है.

संगठित तौर पर अपराध करने वालों पर लगता है मकोका

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि मकोका (Maharashtra Control of Organized Crime Act) कानून महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाया गया था. दिल्ली पुलिस द्वारा भी इस कानून का इस्तेमाल किया जाता है. इस अपराध में कम से कम दो लोगों का होना आवश्यक है.

सुकेश और लीना को मिलेगी कितनी सजा ?

अगर कोई भी संगठित तौर पर अपराध को अंजाम दे रहा है तो उसके खिलाफ मकोका के तहत एक्शन लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए शर्त होती है कि उस अपराधी के खिलाफ पहले से दो आरोपपत्र दाखिल होने चाहिए और इस पर अदालत ने संज्ञान लिया हो. अगर यह शर्त पूरी नहीं होती तो मकोका लगाना गलत है.

'मकोका बेहद सख्त कानून'

अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि मकोका बेहद सख्त कानून है. आमतौर पर आतंकवादियों एवं संगठित तौर पर अपराध करने वाले बड़े बदमाशों के खिलाफ ही इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं इस मामले में जब तक गवाहों के बयान दर्ज नहीं हो जाते तब तक आरोपी को ज़मानत नहीं मिलती. अगर गवाह ने उसके खिलाफ बयान दिया है और साक्ष्य उसके खिलाफ हैं तो उसे सजा होनी तय है.

इसमें आरोपी बनाए गए शख्स को यह साबित करना पड़ता है कि वह निर्दोष है. उन्होंने बताया कि अगर ऐसे अपराध के दौरान किसी की मौत हो गई है तो दोषी को उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा दी जा सकती है. वहीं अगर किसी की मौत इस अपराध के दौरान नहीं हुई है तो यह सजा पांच साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है.

आमतौर पर ठगी करने वालों पर नहीं लगता मकोका

अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि आमतौर पर ठगी करने वालों के खिलाफ मकोका नहीं लगती है, लेकिन सुकेश के मामले में पुलिस को ऐसा लगा होगा कि वह संगठित तौर पर अपराध कर रहा है. इसमें उसके कई साथियों के अलावा जेल अधिकारियों की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है.

उन्होंने बताया कि पुलिस को अदालत के समक्ष यह साबित करना होगा कि यह लोग संगठित तौर पर अपराध कर रहे थे. अगर उन्होंने ऐसा किया तो अदालत से सुकेश, लीना पॉल एवं उनके अन्य साथियों को सजा मिलना तय है. उन्हें इस तरह के मामले में पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है.

पढ़ें : जेल अधिकारियों पर मकोका लगाने की तैयारी, जानिए क्या है मामला

सूत्रों के अनुसार संगठित तौर पर अपराध करने वालों के खिलाफ मकोका सबसे कारगर हथियार है. इसके लगने से अपराधी लंबे समय तक जेल में रहते हैं और बाहर उनके लिए वारदात करना मुश्किल होता है. दिल्ली पुलिस द्वारा नीरज बवाना, जितेंद्र गोगी, मंजीत महाल, लारेंस बिश्नोई-काला जठेड़ी, नासिर आदि गैंग के खिलाफ मकोका का केस दर्ज हो रखा है. इन सभी गैंग के सरगना जेल में बंद हैं. वहीं इनके गुर्गे भी मकोका लगने के बाद काफी शांत हो चुके हैं. इसके बावजूद उनके खिलाफ पुलिस की धरपकड़ जारी रहती है.

नई दिल्ली : 200 करोड़ की ठगी करने वाले शातिर जालसाज सुकेश की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. पुलिस ने उसके खिलाफ मकोका लगाने के साथ ही उसकी कथित पत्नी लीना पॉल सहित अन्य आरोपियों को भी मकोका में गिरफ्तार किया है. इनके खिलाफ अगर संगठित अपराध अदालत में साबित हुआ तो उन्हें मकोका के तहत सजा सुनाई जा सकती है. इसमें उम्रकैद तक की सजा के अलावा पांच लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है.

संगठित तौर पर अपराध करने वालों पर लगता है मकोका

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि मकोका (Maharashtra Control of Organized Crime Act) कानून महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाया गया था. दिल्ली पुलिस द्वारा भी इस कानून का इस्तेमाल किया जाता है. इस अपराध में कम से कम दो लोगों का होना आवश्यक है.

सुकेश और लीना को मिलेगी कितनी सजा ?

अगर कोई भी संगठित तौर पर अपराध को अंजाम दे रहा है तो उसके खिलाफ मकोका के तहत एक्शन लिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए शर्त होती है कि उस अपराधी के खिलाफ पहले से दो आरोपपत्र दाखिल होने चाहिए और इस पर अदालत ने संज्ञान लिया हो. अगर यह शर्त पूरी नहीं होती तो मकोका लगाना गलत है.

'मकोका बेहद सख्त कानून'

अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि मकोका बेहद सख्त कानून है. आमतौर पर आतंकवादियों एवं संगठित तौर पर अपराध करने वाले बड़े बदमाशों के खिलाफ ही इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें अग्रिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं इस मामले में जब तक गवाहों के बयान दर्ज नहीं हो जाते तब तक आरोपी को ज़मानत नहीं मिलती. अगर गवाह ने उसके खिलाफ बयान दिया है और साक्ष्य उसके खिलाफ हैं तो उसे सजा होनी तय है.

इसमें आरोपी बनाए गए शख्स को यह साबित करना पड़ता है कि वह निर्दोष है. उन्होंने बताया कि अगर ऐसे अपराध के दौरान किसी की मौत हो गई है तो दोषी को उम्रकैद से लेकर मौत तक की सजा दी जा सकती है. वहीं अगर किसी की मौत इस अपराध के दौरान नहीं हुई है तो यह सजा पांच साल से लेकर उम्रकैद तक हो सकती है.

आमतौर पर ठगी करने वालों पर नहीं लगता मकोका

अधिवक्ता दिव्यांशु पांडेय ने बताया कि आमतौर पर ठगी करने वालों के खिलाफ मकोका नहीं लगती है, लेकिन सुकेश के मामले में पुलिस को ऐसा लगा होगा कि वह संगठित तौर पर अपराध कर रहा है. इसमें उसके कई साथियों के अलावा जेल अधिकारियों की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ है.

उन्होंने बताया कि पुलिस को अदालत के समक्ष यह साबित करना होगा कि यह लोग संगठित तौर पर अपराध कर रहे थे. अगर उन्होंने ऐसा किया तो अदालत से सुकेश, लीना पॉल एवं उनके अन्य साथियों को सजा मिलना तय है. उन्हें इस तरह के मामले में पांच साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है.

पढ़ें : जेल अधिकारियों पर मकोका लगाने की तैयारी, जानिए क्या है मामला

सूत्रों के अनुसार संगठित तौर पर अपराध करने वालों के खिलाफ मकोका सबसे कारगर हथियार है. इसके लगने से अपराधी लंबे समय तक जेल में रहते हैं और बाहर उनके लिए वारदात करना मुश्किल होता है. दिल्ली पुलिस द्वारा नीरज बवाना, जितेंद्र गोगी, मंजीत महाल, लारेंस बिश्नोई-काला जठेड़ी, नासिर आदि गैंग के खिलाफ मकोका का केस दर्ज हो रखा है. इन सभी गैंग के सरगना जेल में बंद हैं. वहीं इनके गुर्गे भी मकोका लगने के बाद काफी शांत हो चुके हैं. इसके बावजूद उनके खिलाफ पुलिस की धरपकड़ जारी रहती है.

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