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पश्चिम बंगाल : प्रवासी पक्षियों ने बदला नाविकों का जीवन

इन दिनों प्रवासी पक्षियों से पश्चिम बंगाल का गाजलडोबा गुलजार है. सर्दियां आते ही विदेशी पक्षी यहां पहुंचने लगते हैं. वहीं कुछ विदेशी पर्यटक पक्षियों की तस्वीरें लेने के लिए नावों की मदद लेते हैं, जिससे गाजलडोबा के नाविकों को रोजगार भी मिल जाता है.

प्रवासी पक्षियों ने बदला नाविकों का जीवन
प्रवासी पक्षियों ने बदला नाविकों का जीवन
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Published : Nov 29, 2020, 3:21 PM IST

कोलकाता : सर्दी आते ही प्रवासी पक्षियों से पश्चिम बंगाल का गाजलडोबा गुलजार हो गया है. दूसरे राज्यों के अलावा उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों से लोगों को यहां आना लगा हुआ है. नवंबर के दूसरे सप्ताह में ही यहां पर दक्षिण अफ्रीका, साइबेरियन सहित अन्य गर्म देशों से पक्षियों का आना शुरू हो जाता है.

बता दें सर्दियां आते ही विदेशी पक्षी यहां पहुंचते हैं और जैसे ही ये प्रवासी पक्षी आते हैं, गाजलडोबा के नाविकों की कमाई होने लगती है. बता दें, पहले नाविक पक्षियों को मारते थे और अब वे इन पक्षियों को बचा रहे हैं. इन प्रवासी पक्षियों ने गाजलडोबा में मछुआरों के जीवन को बदल दिया है.

प्रवासी पक्षियों ने बदला नाविकों का जीवन

कुछ विदेशी पक्षियों की तस्वीरें लेने के लिए नावों की मदद लेते हैं. नाव वालों ने अब उनसे विदेशी पक्षियों के नाम सीख लिए हैं. उन्हें पता है कि कब और कहां, कौन सा पक्षी आता है. सर्दियों के करीब आते ही, विदेशी पक्षी तिस्ता नदी पर गाजलडोबा बैराज में पहुंचते हैं.

पढ़ें : प्रवासी पक्षियों के रक्षक बने बीरभूम के ग्रामीण

मछुआरे रबी दास ने कहा हम तिस्ता में मछली पकड़ने के लिए जाते थे. हम पक्षियों को मार दिया करते थे और उन्हें खा जाते थे. अब हम पक्षियों को नहीं मारते. देश के विभिन्न हिस्सों से पक्षी प्रेमी पक्षियों को देखने के लिए और तस्वीरें लेने आते हैं, जिससे हमारी कमाई भी हो रही है.

कोलकाता : सर्दी आते ही प्रवासी पक्षियों से पश्चिम बंगाल का गाजलडोबा गुलजार हो गया है. दूसरे राज्यों के अलावा उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों से लोगों को यहां आना लगा हुआ है. नवंबर के दूसरे सप्ताह में ही यहां पर दक्षिण अफ्रीका, साइबेरियन सहित अन्य गर्म देशों से पक्षियों का आना शुरू हो जाता है.

बता दें सर्दियां आते ही विदेशी पक्षी यहां पहुंचते हैं और जैसे ही ये प्रवासी पक्षी आते हैं, गाजलडोबा के नाविकों की कमाई होने लगती है. बता दें, पहले नाविक पक्षियों को मारते थे और अब वे इन पक्षियों को बचा रहे हैं. इन प्रवासी पक्षियों ने गाजलडोबा में मछुआरों के जीवन को बदल दिया है.

प्रवासी पक्षियों ने बदला नाविकों का जीवन

कुछ विदेशी पक्षियों की तस्वीरें लेने के लिए नावों की मदद लेते हैं. नाव वालों ने अब उनसे विदेशी पक्षियों के नाम सीख लिए हैं. उन्हें पता है कि कब और कहां, कौन सा पक्षी आता है. सर्दियों के करीब आते ही, विदेशी पक्षी तिस्ता नदी पर गाजलडोबा बैराज में पहुंचते हैं.

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मछुआरे रबी दास ने कहा हम तिस्ता में मछली पकड़ने के लिए जाते थे. हम पक्षियों को मार दिया करते थे और उन्हें खा जाते थे. अब हम पक्षियों को नहीं मारते. देश के विभिन्न हिस्सों से पक्षी प्रेमी पक्षियों को देखने के लिए और तस्वीरें लेने आते हैं, जिससे हमारी कमाई भी हो रही है.

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