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प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहा ONORC स्कीम का लाभ : INTUC - राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना

इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने वन नेशन वन राशन कार्ड (One Nation One Card) योजना पर सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रवासी मजदूरों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

केएन त्रिपाठी
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Published : Aug 31, 2021, 3:17 PM IST

नई दिल्ली : इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (Indian National Trade Union Congress) के राष्ट्रीय अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (One Nation One Card) स्कीम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

उन्होंने कहा कि अनाज की सिर्फ कालाबाजारी हो रही है. मजदूरों के कोटे का अनाज दूसरे लोग ले जा रहे हैं. मजदूरों का अनाज निकल जा रहा है और वह अपना थम्ब इम्प्रेशन एवं सिग्नेचर ही चेक करते रह जाते हैं. केंद्र सरकार से आग्रह है कि राशन के मामले को राज्यों के अंतर्गत में छोड़ देना चाहिए. राज्यों को यह तय करना चाहिए कि वो अपने लोगों को अनाज किस तरह देंगे. केंद्र सरकार खुद का क्रेडिट लेने के लिए मजदूरों को तकलीफ न पहुंचाए.

बता दें केंद्र सरकार वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है. 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो चुका है, लेकिन मजदूरों संगठन इस स्कीम पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं.

केएन त्रिपाठी का बयान

केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार इस योजना के देशभर में 75 करोड़ लाभार्थी हो चुके हैं. बचे हुए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में जैसे असम और छत्तीसगढ़ में भी यह योजना जल्द लागू हो जाएगी.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 2.2 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन देन का मासिक औसत दर्ज किया जा रहा है. अगस्त 2019 में इस योजना की शुरुआत हुई थी. तब से अब तक 40 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन देन किए गए हैं.

टॉप 10 राज्यों की बात करें तो बिहार में 10.14 करोड़, आंध्र प्रदेश में 6.92 करोड़, राजस्थान में 4.56 करोड़, तेलंगाना में 3.92 करोड़, उत्तर प्रदेश में 2.72 करोड़, केरल 2.50 करोड़, कर्नाटक में 2.43 करोड़, महाराष्ट्र में 2.16 करोड़, हरियाणा में 1.57 करोड़, मध्य प्रदेश में 1.03 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन देन किये गए हैं.

बता दें उस तरह के लोग जो अपने राज्य से दूसरे राज्य में रोजगार के लिए जाते हैं उनके लिए वन नेशन वन राशन कार्ड योजना है. इस योजना के जरिये वह किसी भी राज्य में सरकारी राशन दुकान से अपने कोटे का अनाज ले सकते हैं. एक ही राशन कार्ड पूरे देश भर में मान्य होगा. खासकर यह योजना प्रवासी मजदूरों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई थी.

पढ़ें - भूजल स्रोतों का पता लगा रहा CSIR, पेयजल के रूप में कर सकेंगे इस्तेमाल: जितेंद्र सिंह

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (National Food Security Scheme) के 80 करोड़ लाभार्थी किसी भी राज्य में एक ही राशन कार्ड के जरिये अपने कोटे का अनाज सस्ते दर पर ले सकते हैं. ONORC व्यवस्था बायोमेट्रिक सिस्टम पर आधारित है. इससे राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आंख व हाथ के अंगुठे से होती है.

वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के 80 करोड़ लाभार्थियों को अलग से मुफ्त में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Prime Minister Garib Kalyan Anna Yojana) के तहत पांच किलो खाद्यान्न (गेहूं -चावल) कोरोना संकट में दिया जा रहा है. केंद्र सरकार के अनुसार वन नेशन वन राशन कार्ड के जरिये लाभार्थी मुफ्त अनाज भी दूसरे राज्यों में रह कर ले पा रहे हैं.

नई दिल्ली : इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (Indian National Trade Union Congress) के राष्ट्रीय अध्यक्ष केएन त्रिपाठी ने केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ (One Nation One Card) स्कीम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

उन्होंने कहा कि अनाज की सिर्फ कालाबाजारी हो रही है. मजदूरों के कोटे का अनाज दूसरे लोग ले जा रहे हैं. मजदूरों का अनाज निकल जा रहा है और वह अपना थम्ब इम्प्रेशन एवं सिग्नेचर ही चेक करते रह जाते हैं. केंद्र सरकार से आग्रह है कि राशन के मामले को राज्यों के अंतर्गत में छोड़ देना चाहिए. राज्यों को यह तय करना चाहिए कि वो अपने लोगों को अनाज किस तरह देंगे. केंद्र सरकार खुद का क्रेडिट लेने के लिए मजदूरों को तकलीफ न पहुंचाए.

बता दें केंद्र सरकार वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है. 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो चुका है, लेकिन मजदूरों संगठन इस स्कीम पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं.

केएन त्रिपाठी का बयान

केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार इस योजना के देशभर में 75 करोड़ लाभार्थी हो चुके हैं. बचे हुए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में जैसे असम और छत्तीसगढ़ में भी यह योजना जल्द लागू हो जाएगी.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 2.2 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन देन का मासिक औसत दर्ज किया जा रहा है. अगस्त 2019 में इस योजना की शुरुआत हुई थी. तब से अब तक 40 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन देन किए गए हैं.

टॉप 10 राज्यों की बात करें तो बिहार में 10.14 करोड़, आंध्र प्रदेश में 6.92 करोड़, राजस्थान में 4.56 करोड़, तेलंगाना में 3.92 करोड़, उत्तर प्रदेश में 2.72 करोड़, केरल 2.50 करोड़, कर्नाटक में 2.43 करोड़, महाराष्ट्र में 2.16 करोड़, हरियाणा में 1.57 करोड़, मध्य प्रदेश में 1.03 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन देन किये गए हैं.

बता दें उस तरह के लोग जो अपने राज्य से दूसरे राज्य में रोजगार के लिए जाते हैं उनके लिए वन नेशन वन राशन कार्ड योजना है. इस योजना के जरिये वह किसी भी राज्य में सरकारी राशन दुकान से अपने कोटे का अनाज ले सकते हैं. एक ही राशन कार्ड पूरे देश भर में मान्य होगा. खासकर यह योजना प्रवासी मजदूरों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई थी.

पढ़ें - भूजल स्रोतों का पता लगा रहा CSIR, पेयजल के रूप में कर सकेंगे इस्तेमाल: जितेंद्र सिंह

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (National Food Security Scheme) के 80 करोड़ लाभार्थी किसी भी राज्य में एक ही राशन कार्ड के जरिये अपने कोटे का अनाज सस्ते दर पर ले सकते हैं. ONORC व्यवस्था बायोमेट्रिक सिस्टम पर आधारित है. इससे राशन कार्ड धारक की पहचान उसकी आंख व हाथ के अंगुठे से होती है.

वहीं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के 80 करोड़ लाभार्थियों को अलग से मुफ्त में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (Prime Minister Garib Kalyan Anna Yojana) के तहत पांच किलो खाद्यान्न (गेहूं -चावल) कोरोना संकट में दिया जा रहा है. केंद्र सरकार के अनुसार वन नेशन वन राशन कार्ड के जरिये लाभार्थी मुफ्त अनाज भी दूसरे राज्यों में रह कर ले पा रहे हैं.

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