नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism) का सफाया करने का खाका तैयार किया है. ब्लूप्रिंट के अनुसार, नौ राज्यों के 25 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का विकास करने के लिए चुना है. नक्सल मामले से निपटने वाले गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को 'ईटीवी भारत' को बताया, 'एकमात्र उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में समग्र बुनियादी ढांचे का विकास करना है ताकि उग्र युवाओं का शोषण न हो सके.'
अधिकारी ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बैंक की नई शाखाएं खोलने के अलावा आने वाले दिनों में 2542 मोबाइल टावर भी स्थापित किए जाएंगे. अधिकारी ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में हमने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 47 आईटीआई, 62 कौशल विकास केंद्र, 11 केंद्रीय विद्यालय, जवाहर नवोदय विद्यालय, 1200 बैंक शाखाएं स्थापित की हैं.' अधिकारी ने कहा कि आंध्र प्रदेश में एक जिले, बिहार में तीन, छत्तीसगढ़ में सात, झारखंड में आठ, मध्य प्रदेश में एक, महाराष्ट्र में एक, ओडिशा में तीन और तेलंगाना में एक जिले की पहचान माओवादियों द्वारा सबसे अधिक प्रभावित जिलों के रूप में की गई है.
गौरतलब है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा की जा रही ठोस कार्रवाई से नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में भी कमी आई है. तदनुसार, सुरक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे (एसआरई) योजना के अंतर्गत आने वाले जिलों की संख्या अब 11 राज्यों में 90 से घटकर 10 राज्यों में 70 हो गई है. एसआरई जिलों और सबसे अधिक प्रभावित जिलों की समीक्षा अंतिम बार 2018 में संशोधित की गई थी. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में तेजी से विकास के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्कूलों, औषधालयों और अस्पतालों, बिजली और दूरसंचार लाइनों, पेयजल परियोजनाओं से संबंधित 14 श्रेणियों में बुनियादी ढांचा संबंधी परियोजनाओं के लिए वन भूमि के डायवर्जन के लिए सामान्य मंजूरी दे दी है.
सबसे ज्यादा प्रभावित जिले : सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार नौ राज्यों के 25 सबसे अधिक प्रभावित एलडब्ल्यूई जिले झारखंड में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लातेहार, लोहरदगा, सरायकेला-खरसवां और पश्चिमी सिंहभूम, छत्तीसगढ़ में बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर, राजनांदगांव और सुकमा हैं. इसी तरह बिहार में गया, जमुई और लखीसराय, ओडिशा में कंधमाल, मलकानगिरी, कालाहांडी हैं. जबकि तेलंगाना के भद्राडी-कोठागुडम, महाराष्ट्र का गढ़चिरौली, मध्य प्रदेश का बालाघाट और आंध्र प्रदेश का विशाखापत्तनम है.
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वामपंथी उग्रवाद में आई कमी : गृह मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार द्वारा राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना के दृढ़ कार्यान्वयन से देश भर में वामपंथी उग्रवाद में अभूतपूर्व सुधार हुआ है. पिछले छह वर्षों में वामपंथी उग्रवाद की हिंसा के साथ-साथ वामपंथी उग्रवाद के भौगोलिक प्रसार में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है. 2011 में शुरू हुई गिरावट का सिलसिला 2020 में भी जारी है. गृह मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2013 की तुलना में 2020 में हिंसक घटनाओं (1,136 से 665) और वामपंथी उग्रवाद से संबंधित मौतों में 54 प्रतिशत (397 से 183) की कमी आई है.
एमएचए ने कहा 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में भी हिंसा की घटनाओं में मामूली गिरावट रही. 2019 में 670 मामले थे जबकि 2020 में 665. जबकि मौतों में 9 प्रतिशत (202 से 183) की गिरावट आई. सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में 17 प्रतिशत (52 से 43) की गिरावट आई है. वहीं, भारत सरकार द्वारा विकासात्मक प्रयास किए जाने से बड़ी संख्या में वामपंथी उग्रवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हुए हैं.
छत्तीसगढ़ और झारखंड सबसे ज्यादा प्रभावित : हालांकि, छत्तीसगढ़ और झारखंड दो ऐसे राज्य हैं जो ज्यादातर नक्सलवाद से प्रभावित हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2020 में 315 घटनाओं और 111 मौतों के साथ छत्तीसगढ़ सबसे बुरी तरह प्रभावित राज्य बना हुआ है. इसके बाद झारखंड में 199 घटनाएं सामने आईं. यहां 39 लोगों की मौत हुई. ओडिशा में 50 घटनाएं सामने आईं, यहां 9 मौतें हुईं. महाराष्ट्र में 30 घटनाएं और 8 मौतें हुईं, जबकि बिहार 26 घटनाएं सामने आईं. यहां 8 मौतें हुईं.
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